सुप्रीम कोर्ट ने छह माह पुराने स्टे रद्द करने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में देश के सभी मजिस्ट्रेट अदालतों से कहा है कि वे ऐसे मुकदमे जिनमें स्टे आदेश दिए हुए 6 महीने से ज्यादा हो गए हो, उनमें तुरंत कार्रवाही शुरु करें। स्टे 6 महीने से ज्यादा अवधि के नहीं हो सकते। यह अवधि तभी बढ़ सकती है जब उन्हें संबंधित अदालत ने तार्किक आदेश कर बढ़ाया हो।
जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि ट्रायल कोर्ट को देखना चाहिए की जब भी ऐसे स्टे हों तो अगली तारीख 6 महीने के तुरंत बाद लगाई जाए।
बेहतर क्यों, बताएं:
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 (एशियन रिसर्फैसिंग ऑफ रोड बनाम सीबीआई ) फैसले में कहा था कि स्टे 6 माह से ज्यादा नहीं हो। स्टे के बाद केस में सुनवाई पर नहीं आते और मुकदमा लंबा चलता है। कोर्ट स्टे बढ़ाता है तो उसे बताना होगा कि त्वरित निपटारे के मुकाबले स्टे देना क्यों बेहतर है।
सुनवाई से इनकार किया था:
दरअसल, पुणे के एक मजिस्ट्रेट ने अपराधिक मामले की सुनवाई से यह कहकर इनकार कर दिया था कि मुंबई हाईकोर्ट ने इस मामले स्टे दिया हुआ है। पीठ ने कहा , मजिस्ट्रेट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ है।उन्हें आदेश के पैरा 35 के अनुसार कार्य करना था। पैरा में साफ है कि स्टे ऑर्डर 6 महीने से ज्यादा का नहीं हो सकता।
लेबल: देश
<< मुख्यपृष्ठ