सायरा बानो ने थामा बीजेपी का दामन, तीन तलाक के खिलाफ लड़ी थी जंग
देहरादून: तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ने वाली 44 साल की शायरा बानो अब बीजेपी का दामन थाम लिया है। । उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष बंशीधर भगत ने एक समारोह में उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। सायरा बानो ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना रोल मॉडल बतातो हुए कहा कि मुस्लिम समाज में बीजेपी को लेकर जो डर और संशय बना हुआ है उसे वे दूर करने का प्रयास करेंगी।
3 तलाक के खिलाफ कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
सायरा बानो देश की पहली मुस्लिम महिला हैं, जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने 23 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर की थी। इस कानूनी लड़ाई में उन्हें जीत हासिल हुई थी।
रिटायर्ड आर्मी अफसर की बेटी हैं सायरा बानो
उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली रिटायर्ड आर्मी अफसर की बेटी सायरा बानो एमबीए डिग्री धारक हैं। सायरा बानो का निकाह 2002 में प्रयागराज निवासी प्रॉपर्टी डीलर रिजवान से हुई थी। रिजवान से सायरा बानो के दो बच्चे हैं। साल 2015 में पति की प्रताड़ना से परेशान होकर वह अपने मायके आ गई थीं। पति रिजवान ने एक कागज पर तीन बार तलाक लिखकर उससे रिश्ता तोड़ लिया था। शायरा बानो ने 23 फरवरी, 2016 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीन तलाक बोलकर पत्नी को छोड़ने की इस कुप्रथा को चुनौती दी थी।
ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध कराया घोषित
उन्होने अदालत से इसे गैरकानूनी करार देकर महिलाओं को भी बराबरी का हक देने वाला कानून बनाने की अपील की थी। जिसके बाद 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के पैनल में से तीन ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। 30 जुलाई 2019 को भारत की संसद ने भी इसे असंवैधानिक करार देते हुए कानून बना दिया और ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध घोषित कर दिया।
केंद्र सरकार ने 6 महीने के अंदर संसद में बनाया कानून
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केंद्र सरकार 6 महीने के अंदर संसद में इसको लेकर कानून बनाए। इस फैसले के बाद केंद्र सरकार तीन तलाक के खिलाफ कानून भी लेकर आई और आज देशभर की मुस्लिम महिलाएं सुकून की जिंदगी जी रही हैं।
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