साल में सिर्फ एक दिन खुलता है ये कानपुर का मंदिर, रावण की होती है पूजा
विजयादशमी पर जहां पर देश में रावण दहन किया जाता है वही दूसरी तरफ कुछ ऐसे स्थान है जहां पर लोग रावण की पूजा करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर यूपी के कानपुर में है जहां दशहरे के दिन रावण की विशेष आराधना होती है। वहीं चौकाने वाली बात ये है कि इस दिन रावण की पूजा करने के लिए सैकड़ो श्रद्धालुओ की भीड़ लगती है। यहां मंदिर 150 साल पूराना माना जाता है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला में रावण का मंदिर स्थित है इस मंदिर की खासियत यह है कि ये मंदिर साल भर में एक बार खुलता है। दशहरा के दिन यह मंदिर सुबह ही खुल जाता है जहां रावण की पूजा आर्चना होती है। श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं। परंपरा के अनुसार सुबह आठ बजे मंदिर के कपाट खोले दिए जाते हैं और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद आरती की जाती है। शाम को मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए फिर बंद कर दिए जाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने कराया था। मंदिर के पुजारी केके तिवारी ने कहा कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ-साथ भगवान शिव का परम भक्त था। इसलिए शक्ति के प्रहरी के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया, जहां रावण की पूजा की जाती है। पुजारी का कहना है कि रावण का जन्म भी दशहरे के दिन ही हुआ था।
असत्य पर सत्य की जीत को याद कर देशभर में दशहरे के मौके पर रावण का दहन किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, रावण का वध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने किया था। उसके मरते समय राम ने लक्ष्मण से इस महान पंडित का आशीर्वाद लेने की सलाह दी थी। कानपुर के दशानन मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान राम ने रावण के दुर्गुणों की वजह से उसका अंत किया पर उसकी विद्वता का भी मान रखा था। उसी परंपरा का निर्वहन आज कानपुर के श्रद्धालु भी कर रहे हैं।
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