जानिए यूपी में होने वाले सड़क हादसों के पीछे का सच!
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सड़क हादसे अनियंत्रित रफ्तार और मोबाइल पर बात करते वक्त वाहनों को चलाने से हो रहे हैं। फिलहाल परिवहन विभाग और प्रदेश सरकार दोनों मिलकर सड़क हादसों को न्यूनतम करने में लगे हुए हैं।
सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं नेशनल हाईवे पर हो रही हैं। कुल दुर्घटनाओं का करीब 38 प्रतिशत सड़क हादसे नेशनल हाईवे पर हो रहे हैं। जबकि राज्य के स्टेट हाईवे पर करीब 30 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। दुर्घटनाओं के ग्राफ में एक्सप्रेस-वे पर सिर्फ एक प्रतिशत हादसे हो रहे हैं। प्रमुख जिला मार्गों, अन्य जिला मार्गोंं एवं ग्रामीण सड़कों पर करीब 31 प्रतिशत हादसे हो रहे हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में अनियंत्रित रफ्तार और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने से सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं। अनियंत्रित रफ्तार से वाहन चलाने से हादसों और मौतों का आंकड़ा 37 प्रतिशत के आसपास है। जबकि मोबाइल फोन पर बात करते हुए वाहन चलाने से करीब 12 प्रतिशत हादसे और मौतें हो रही हैं। हादसों का तीसरा सबसे बड़ा कारण गलत दिशा में नियम के विरुद्ध वाहन चलाना है। इससे होने वाली मौतों का ग्राफ 11 प्रतिशत के आसपास है। शराब पीकर वाहन चलाने से करीब 10 प्रतिशत लोगों को हादसे में जान गंवानी पड़ती है। इसके अलावा एक प्रतिशत लोगों की मौत का कारण रेड लाइट प्रतिबंधों को तोड़ना है। जबकि 29 प्रतिशत मौतों में अन्य सभी कारण शामिल हैं।
परिवहन मुख्यालय के सड़क सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि प्रदेश में हो रहे सड़क हादसों को न्यूनतम करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। सड़कों के किनारे अवैध ढाबों को हटवाने का कार्य चल रहा है। ताकि अवैध ढाबों पर बेतरतीब वाहन न खड़े होने पाए। राज्य मार्गों पर और स्टेट हाईवे पर सफेद फ्लोर सेंट पेंट कराए जा रहे हैं। ताकि वाहन चालकों को सड़क की सीमा दिखती रहे। सभी प्रमुख मार्गों पर गति सीमा के लिए डिस्प्ले बोर्ड लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा लोगों को सड़क सुरक्षा के नियमों के साथ ही तेज वाहन न चलाने, सीट बेल्ट और हेलमेट का प्रयोग करने के लिए जागरुक भी किया जा रहा है।
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