इटावा का बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय का कायाकल्प उजागर ।
बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एव लेखाधिकारी कार्यालय में तैनात अनिल त्रिपाठी की नियुक्ति को अवैध बताते हुए जिले के एक नवयुवक आशीष कुमार ने जाँच हेतु *माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार/माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार* को संबोधित शिकायती पत्र बेसिक शिक्षा मंत्री सहित उच्चाधिकारियों को प्राप्त कराया।
शिकायती पत्र में कहा गया की श्री अनिल त्रिपाठी की नियुक्ति अवैध है एवं तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा नियुक्ति को अवैध मानते हुए वित्त एवं लेखाधिकारी को कार्यवाही करने हेतु निर्देश भी निर्गत किए गए थे परंतु कहावत है कि *सैंया भए कोतवाल, तो अब डर काहे को॥* तभी तो प्रदेश सरकार के द्वारा फर्जीवाड़े के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान के बावजूद अनिल त्रिपाठी नामक व्यक्ति लेखा कार्यालय में तैनात रहकर शासकीय धन का दुरुपयोग कर रहा है।
*इस सम्बंध में पूर्व में भी श्री कैलाश नाथ मिश्र सेवानिवृत्त लिपिक द्वारा शिकायती पत्र दिनांक 01-02-2003,06-03-2003,21-03-2003 को श्रीमान जिलाधिकारी महोदय इटावा को हस्तगत प्राप्त कराए गए थे जिसकी जाँच श्रीमान जिलाधिकारी महोदय द्वारा श्रीमान नगर मजिस्ट्रेट श्री बालकृष्ण जी को जाँच अधिकारी नामित किया गया था। श्रीमान जाँच अधिकारी द्वारा शासन को आख्या प्रेषित की गई थी इसके अतिरिक्त शिकायतों पर वित्त नियंत्रक श्रमायुक्त कार्यालय कानपुर , वित्त नियंत्रक बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद एवं संयुक्त निदेशक कोषागार कानपुर मण्डल कानपुर द्वारा अपने-अपने स्तर पर जाँच की गई तथा श्री अनिल कुमार त्रिपाठी की नियुक्ति अवैध मान्य करते हुए जाँच आख्याएं शासन को प्रेषित की गई थीं। उत्तर प्रदेश शासन वित्त(सेवाएं) अनुभाग द्वारा दिनांक 11-12-2008 द्वारा श्री अनिल कुमार त्रिपाठी की नियुक्ति अवैध तरीके से करने के सापेक्ष में तत्कालीन वित्त एवं लेखाधिकारी श्री पी0के0 मेहता( सेवानिवृत्त) की पेन्शन से दण्ड स्वरुप 3 वर्ष तक 10 प्रतिशत कटौती करने का आदेश शासन द्वारा पारित किया गया था किन्तु खेद है कि शासन ने जाँच के उपरान्त भी श्री अनिल कुमार त्रिपाठी की अवैध नियुक्ति को अभी तक बर्खास्त नहीं किया है।
तत्कालीन वित्त एवं लेखाधिकारी(बेसिक) इटावा ने श्रीमान जिलाधिकारी इटावा को उचित दिशानिर्देश माँगते हुए श्री अनिल कुमार त्रिपाठी की सेवा सम्बंधी विस्तृत आख्या प्रेषित की थी तथा तत्काल प्रभाव से श्री अनिल कुमार त्रिपाठी की सेवाए निलम्बित कर दी गई थीं।
उत्तर प्रदेश में वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने एवं अवैध नियुक्तियों में अनेकों फर्जी कर्मचारियों की सेवाएं बर्खास्त करने एवं नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में प्रयासरत है। किन्तु दूसरी ओर भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा अवैध नियुक्ति के ऊपर पर्दा डालते हुए श्री अनिल कुमार त्रिपाठी का निलम्बन रद्द कर उनको सवेतन बहाल करके सरकार की पारदर्शी नीति को पलीता लगाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। जाँच अधिकारियों द्वारा प्रेषित जाँच आख्याएँ शून्य मान ली गई एवं शासन एवं विभाग द्वारा कोई कार्य़वाही नहीं की गई । इससे भ्रष्टाचार को बढावा मिल रहा है।
_*अब शीघ्र ही इस अवैध नियुक्ति घोटाले की पुनः जाँच कर जो भी भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारी इसमें सम्मिलित हों उन पर कार्यवाही कर जेल भेजा जाये, जिससे कि भविष्य में इतना बड़ा घोटाला करने का दुस्साहस कोई भी अधिकारी/कर्मचारी न कर सके।
तरुण तिवारी पत्रकार
लेबल: उत्तरप्रदेश
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