बिहार चुनाव 2020: नीतीश, तेजस्वी या चिराग कौन बनाएगा सरकार?
हाइलाइट:
- बिहार चुनाव का सियासी घमासान
- विकास के नाम पर एनडीए मांगेगी वोट
- जाति से ऊपर क्यों नहीं उठ रही बिहार की राजनीति
- क्या कोरोना को मुद्दा बनाने से विपक्ष को होगा फायदा?
- बिहार के युवाओं पर कितना असर डालेंगे चुनावी मुद्दे
बिहार में इस समय लोकतंत्र का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन इस पर्व का उत्साह राजनीतिक दलों के लोगों में तो है लेकिन जनता में लोकतंत्र के इस त्योहार को लेकर कुछ खास दिलचस्पी नहीं है। क्योंकि सत्ता पक्ष के पास वो चेहरा है जिसे पिछले 15 साल से भुनाया जा रहा है और इस बार भी वही चेहरा जनता के बीच ले जाया जा रहा है। इधर इस मामले में विपक्ष इसलिए कमजोर दिखाई देने लगा है क्योंकि उसके पास जो चेहरा है, उस चेहरे में जनता को वह दिखाई नही देता जो पहले दिखता था। शायद इसकी वजह यह है कि जनता मान चुकी है कि वर्तमान में राजनीति का मकसद केवल सत्ता हथियाना ही रह गया है।
पोस्टर्स में BJP ने मोदी, NDA ने नीतीश की उपलब्धियां गिनाई
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राम मंदिर, धारा 370, सीएए, एनआरसी, सुशांत सिंह राजपूत, हिन्दू - मुस्लिम जैसे मुद्दे गौण हो चुके हैं। एनडीए जहां पीएम मोदी और केंद्र सरकार की उपलब्धियों और नीतीश कुमार के सुशासन और विकास कार्य के रिपोर्ट कार्ड को लेकर चुनाव में उतरेगी तो, महागठबंधन बिहार चुनाव में कोरोना महामारी और बेरोजगारी के मुद्दे उछाल रही है। बिहार में लगाए गए बड़े-बड़े पोस्टर्स में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी तो जेडीयू ने नीतीश की उपलब्धियों का जिक्र किया है।
वहीं आरजेडी के पोस्टर्स में लालू राबड़ी की तस्वीर हटाकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की बड़ी फोटो लगाई गई है। लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव का कहना है कि
उनके पिता ने गरीबों को सामाजिक विकास किया अब हम गरीबों का आर्थिक विकास करेंगे। तेजस्वी यादव ने बीपीएल मुक्त बिहार और अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल कह चुकें है कि पिछले 15 वर्षों में बिजली, सड़क, पानी और कानून-व्यवस्था के लिए हमने जो काम किए हैं, वे तो मुद्दा रहेंगे ही। इसके अलावा केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार का 20 लाख करोड़ का पैकेज कैसे छोटे दुकानदार, रेहड़ी वालों, किसानों और गरीब के लिए फायदेमंद है, यह भी लोगों को बताने का काम करेंगे। वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव रामचंद्र प्रसाद सिंह भी कह चुके हैं कि जेडीयू को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किए गए काम पर ही पूरा भरोसा है, उसी के दम पर मतदाताओं के बीच जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि युवा, महिलाओं, अल्पसंख्यक, महादलित के हित में राज्य सरकार ने जो कार्य किया है उसे जेडीयू के कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताने का काम करेंगे। इसके अलावा नीतीश सरकार द्वारा पूर्ण शराबबंदी की वजह महिलाएं काफी खुश है, जिसका फायदा इस चुनाव में मिलेगा।
कास्ट फैक्टर का अहम रोल
हर बार की तरह बिहार में इस बार भी कास्ट फैक्टर का अहम रोल होगा। बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियों ने जात के आधार पर सियासी बिसात बिछा चुकी है। बिहार चुनाव में भले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष विकास और बेरोजगारी के मुद्दे पर दो-दो हाथ करने को तैयार है। लेकिन तमाम राजनीतिक पार्टियां जात का राजनीति से ऊपर नहीं उठ पा रही।
कोरोना महामारी का भी मुद्दा रहा घूम
बिहार की राजनीति में कोरोना महामारी का मुद्दा भी घूम रहा है। एनडीए जहां कोरोना के दौरान बेहतर व्यवस्था, क्वारंटीन सेंटर्स, गरीबों को अनाज देने की बात प्रमुखता से रख रही है। वहीं, आरजेडी समेत अन्य सभी विपक्षी पार्टियां समय पर सही कदम न उठाने और कोरोना बढ़ने के लिए सरकार की लापरवाही को मुद्दा बना रही हैं। विपक्ष का कहना है कि नीतीश सरकार की लापरवाही की वजह से लाकडाउन में घर वापसी करने वाले प्रवासी मजदूरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सरकार ने कोरोना के दौरान उनके लिए खाने की मदद तो दी लेकिन अभी तक उन्हे रोजगार नहीं मिल पाया है और रोजगार के बिना जीवन कैसे पटरी पर लौटेगा। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार में कोरोना की धीमी जांच को लेकर भी कई बार सवाल उठा चुके हैं।
साढे 12 करोड़ में 58 फीसदी आबादी युवाओं
बिहार में युवाओं की संख्याआंकड़ों के मुताबिक़ बिहार की आबादी लगभग साढे 12 करोड़ की है जिसमें 58 फीसदी आबादी युवाओं की है, जो राष्ट्रीय औसत 50 फीसदी से अधिक है। बिहार चुनाव 2020 में करीब 30 लाख ऐसे युवा होंगे जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके अलावा बिहार में 18 से 40 साल तक के उम्र वाले मतदाताओं की संख्या करीब ढाई करोड़ के आसपास है। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 79 लाख की है। यही वजह है कि तमाम राजनीतिक दल ढाई करोड़ के युवा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का कोई मौका नही छोड़ रहे।
चिराग पासवान का चेहरा विकल्प तौर पर मौजूद
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जनता के सामने जो विकल्प के तौर जो चेहरा है उनमें बिहार पर 15 साल राज करने वाले मंझे हुए राजनीतिक रणनीतिकार नीतीश कुमार का दिखा - दिखाया चेहरा है। इसके अलावा युवा और कम अनुभवी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान का चेहरा भी विकल्प के तौर पर मौजूद है। वैसे बिहार चुनाव 2020 में तीन राजनीतिक दल ऐसे हैं जिनके नेतृत्व में युवा हाथों में हैं। लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल की कमान अब 30 वर्षीय तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं तो, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी का नेतृत्व, अभिनेता से नेता बने चिराग पासवान कर रहे हैं। वहीं मुंबई में अपने व्यवसाय को छोड़ बिहार की राजनीति में दो-दो हाथ करने वाले मुकेश साहनी ने विकासशील इंसान पार्टी बनाकर एक पहचान जरूर बना ली है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इस बार बिहार के मतदाता इन राजनीतिक युवाओं पर कितना विश्वास करते हैं।
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