मंगलवार, 14 जुलाई 2020

विधायकों के नंबर गेम में फंसी राजस्थान की गहलोत सरकार, जानिए दावों से कैसे बदल सकता है समीकरण


राजस्थान राजनीतिक संकट : अशोक गहलोत ने दावा किया है कि कांग्रेस के 88 विधायकों के अलावा दूसरे दलों के विधायकों को मिलाकर उनके पास 102 की संख्या है | यही कारण है कि अब सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती दे डाली है |



नई दिल्ली. राजस्थान  की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को जिस तरह से अपने विधायकों की परेड कराई उससे भले ही कांग्रेस ने राहत की सांस ली हो लेकिन राजथान में सियासी संकट अभी टला नहीं है. अशोक गहलोत ने दावा किया है कि कांग्रेस के 88 विधायकों के अलावा दूसरे दलों के विधायकों को मिलाकर उनके पास 102 की संख्या है. यही कारण है कि अब सचिन पायलट  ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधानसभा  में बहुत साबित करने की चुनौती दे डाली है. सचिन पायलट के तेवर को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि राजस्थान की सरकार अब नंबर गेम में पूरी तरह से फंस चुकी है | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत  ने भले ही कैमरे के सामने विधायकों की पेशी कराई हो लेकिन उन्हें भी अभी पूरी तरह से विधायकों पर भरोसा नहीं है. यही कारण है कि गहलोत खेमे के विधायकों को अब घर भी जानें की इजाजत नहीं दी जा रही है. सचिन पायलट ने दावा किया है कि उनके पास 30 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है और वे सरकार गिराने की स्थिति में हैं. दोनों ही नेताओं के दावों के बाद राजस्थान सरकार पर संकट मंडराता दिखाई दे रहा है |

 



सचिन पायलट बिगाड़ सकते हैं गहलोत का समीकरण
>> सचिन पायलट ने दावा किया है कि उनके पास 30 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है और वह कभी भी उनका साथ देकर सरकार को मुश्किल में डाल सकते हैं.
>> यह बात अशोक गहलोत को भी पता है कि जो विधायक उनके पास आए हैं उनमें से कई सचिन पायलट के बेहद करीबी दोस्तों हैं. इसमें रामनारायण मीणा, चेतन डूडी, दानिश अबरार, प्रशांत बैरवा और रोहित बोहरा का नाम शामिल है.  ये सभी विधायक कभी भी अशोक गहलोत का साथ छोड़ सकते हैं.
>>  ​सचिन पायलट के साथ दिल्ली के मानेसर पहुंचे विधायक कभी भी कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश में राज्यपाल की भूमिका काफी अहम हो जाएगी. राज्यपाल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधानसभा में बहुत साबित करने के लिए बुला सकते हैं.
>>  मध्यप्रदेश में जिस तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी को समर्थन दिया था, उसके बाद ऐसा ही राजस्थान में भी होने की बात कही जा रही है. ऐसे में अगर 30 विधायकों के साथ सचिन पायलट बीजेपी में जाते हैं तो कुछ निर्दलीय विधायकों को तोड़ना बीजेपी के लिए मुश्किल नहीं होगा.

अशोक गहलोत इस तरह से बचा सकते हैं सरकार
>> अशोक गहलोत का दावा है कि उनके पास कांग्रेस के 88 विधायकों और दूसरे दलों के विधायकों के साथ 102 विधायको का समर्थन है. ऐसे में अगर सचिन पायलट अपने कुछ विधायकों के साथ कांग्रेस से बाहर भी चले जाते हैं तो सरकार पर कोई संकट नहीं होगा.
>>  सचिन पायलट भले ही बीजेपी में न जाने की बात कह रहे हों लेकिन अगर वह ऐसा करते हैं तो बीजेपी की भी मुश्किलें बढ़ेंगी. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ​सचिन पायलट को सीएम बनने नहीं देंगी. ऐसे में सचिन पायलट के लिए बीजेपी में जाना आसान नहीं होगा.
>>  सचिन पायलट ने भले ही अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बागी तेवर दिखा दिए हों लेकिन कांग्रेस के कई बड़े नेता उनके संपर्क में हैं और उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर सचिन आलाकमान के कहने पर समझौता कर लेते हैं तो राजस्थान में कांग्रेस एक बार फिर एकजुट हो जाएगी.
>> बता दें कि अशोक गहलोत पहले ही तीन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ खरीद फरोख्त का मामला दर्ज करा चुके हैं. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष इन तीनों विधायकों की सदस्यता रद्द कर सकते हैं. ऐसे में राजस्थान में ​200 की जगह 197 सीट पर ही जीत हार तय होगी. इसका मतलब कि अशोक गहलोत को केवल 99 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा.



 




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