महाकाल की नगरी उज्जैन पर कोरोना का काला साया, मृत्युदर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा
भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और अन्य धार्मिक स्थलों के चलते मशहूर उज्जैन में 25 मार्च को कोविड-19 के शुरूआती मामले की पुष्टि से पहले जन-जीवन कुल मिलाकर सामान्य रवानी से आगे बढ़ रहा था। लेकिन गुजरे डेढ़ महीने के दौरान मरीजों की ऊंची मृत्यु दर ने करीब सात लाख की आबादी वाली मंदिरों की इस नगरी को महामारी के चिंताजनक केंद्र में बदल दिया है। जानकारों का मानना है कि इंदौर से करीब 60 किलोमीटर दूर शहर पर कोविड-19 के अचानक हमले से चरमराये चिकित्सा तंत्र की कथित खामियों के साथ ही इस महामारी के मरीजों के देरी से अस्पताल पहुंचने के चलते वहां हालात बिगड़ते चले गये।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, उज्जैन जिले में रविवार सुबह तक कोविड-19 के कुल 237 मरीज मिले हैं। इनमें शामिल एक पुलिस निरीक्षक और एक भाजपा पार्षद समेत 45 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 94 लोगों को संक्रमणमुक्त होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है। उज्जैन में रविवार सुबह की स्थिति में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर करीब 19 प्रतिशत दर्ज की गई। यह मृत्यु दर 3.35 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत के साढ़े पांच गुने से भी ज्यादा है।
उज्जैन के नये जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया, 'हम चिकित्सा तंत्र में सुधार करते हुए कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर घटाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे लिये हरेक मरीज की जान कीमती है।' उन्होंने बताया कि उज्जैन में कोविड-19 के रोगियों के संपर्क में आये लोगों की खोज के साथ ही पूरे शहर का सघन सर्वेक्षण भी किया जा रहा है ताकि स्क्रीनिंग के जरिये ज्यादा से ज्यादा संदिग्ध मरीजों की पहचान कर उन्हें अलग किया जा सके।
कोविड-19 के मरीजों और उनके परिजनों के साथ ही दोनों प्रमुख दलों-भाजपा तथा कांग्रेस के स्थानीय राजनेताओं ने आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के खिलाफ बदइंतजामी के आरोप लगाये हैं और इन्हें लेकर सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हो चुके हैं।
उज्जैन के इस निजी अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के लिये प्रशासन ने अतिरिक्त जिलाधिकारी सुजान सिंह रावत को नोडल अफसर नियुक्त किया है। रावत ने बताया, 'हम चिकित्सा सुविधाओं में इजाफा करते हुए आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल को लेकर जनता में विश्वास बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं। इस संस्थान के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों से चर्चा कर उनकी समस्याएं भी सुलझायी गई हैं।'
रावत ने दावा किया कि उज्जैन में कोविड-19 से दम तोड़ने वाले करीब 70 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिनकी अस्पताल लाये जाने के 72 घंटे के भीतर ही मौत हो गयी। अतिरिक्त जिलाधिकारी के मुताबिक ये मरीज गंभीर हालत में अस्पताल लाये गये थे और इनमें से ज्यादातर मरीज खासकर मधुमेह तथा श्वास संबंधी रोगों से पहले ही जूझ रहे थे। प्रदेश सरकार के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शुरूआत में प्रयोगशाला से नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में देरी से भी उज्जैन में कोविड-19 के हालात से निपटने के प्रयासों पर बुरा असर पड़ा।
लेबल: देश
<< मुख्यपृष्ठ