ज़िंदगी मे कठोरता के साथ नम्रतापूर्वक आपका व्यवहार भी नितांत आवश्यक है ।
स्कूल में प्रिंसिपल साहब के सख्त रवैये और कठोर व्यवहार के कारण बहुत कम लोग उनके आसपास जाने की हिम्मत करते थे. एक दिन एक युवा शिक्षक ने उनके व्यवहार से दुखी होकर स्कूल छोड़ने का मन बनाया. उसका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया. अंतिम दिन वह एक गुलदस्ते और दिल के आकार के तीन छोटे-छोटे कार्ड के साथ पहुंचा. उसने वह कार्ड देते हुए प्रिंसिपल से कहा, 'मैंने आपके साथ काम करके बहुत कुछ सीखा. आप मेरे जीवन में बहुत खास हैं. यह तीन कार्ड आपके लिए हैं. पहला कार्ड आप रख लीजिएगा. बाकी दो उसे दे दीजिए, जो आपके जीवन में सबसे खास हो. जिससे आप गहरा प्रेम करते हैं. लेकिन जिससे आपने कभी अपना प्रेम प्रकट न किया हो. उससे कहिए कि एक कार्ड वह रख ले और एक कार्ड को उसी तरह आगे बढ़ाएं जैसे मैं कर रहा हूं.' यह कहकर वह युवक चला गया. प्रिंसिपल बहुत देर तक सोचते रहे. कार्ड किसे दिया जाए. कुछ सोच कर वहां उठे और घर के लिए रवाना हो गए.
घर पहुंच कर उन्होंने अपने बेटे को बुलाया. उसे वह कार्ड देते हुए कहा, मेरे बेटे मैं अक्सर ही तुमसे कठोरता से पेश आता हूं. लेकिन तुमने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा. तुम्हारे नंबर कम आते हैं, तुम पढ़ने में कमजोर हो. इसलिए मैं अक्सर ही तुम पर गुस्सा करता हूं, नाराज रहता हूं. लेकिन तुम्हारे व्यवहार में आज तक मेरे प्रति नाराजगी नहीं दिखी. इसलिए मुझे लगता है तुम ही वह हो जो मुझे सबसे अधिक प्रेम करता है. प्रिंसिपल साहब ने ऐसा कहते हुए नम आंखों से बेटे को गले लगा लिया.बेटा रोने लगा. बहुत देर तक सुबकने के बाद भी जब उसके आंसू नहीं थमे, तो प्रिंसिपल पिता ने उससे कहा क्या बात है बेटे ! तुम इतना क्यों रो रहे हो. बेटे ने कहा, मैं बहुत निराश हो चुका था. मुझे लगता था कि मैं आपकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पा रहा हूं. मेरे कारण आपको बहुत कष्ट होता है. इसलिए मैं सोच रहा था कि आज रात को मैं अपना जीवन समाप्त कर लूंगा. अगर आज आपने अपना प्रेम मुझ पर जाहिर ना किया होता. मुझे इस तरह प्यार ना किया होता तो संभव है मैं जीवन को खतरे में डाल देता. उसका जवाब सुनकर प्रिंसिपल को गहरा सदमा लगा. लेकिन कुछ ही पलों में वह स्वयं को संभालते हुए बेटे की तरफ बढ़ गया और उसे गले से लगा लिया. वह मन ही मन अपने युवा शिक्षक को आशीर्वाद दे रहे थे जो उन्हें जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा देकर चला गया था.
मैं बहुत विनम्रता से आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि अपने अव्यक्त प्रेम को रोकिए मत. आपका जिससे भी अनकहा प्रेम, अनुराग है. उसे कह दीजिए. जिससे भी अनकहा प्रेम, अनुराग है. उसे कह दीजिए. यह कोई भी हो सकता है. आपका बेटा/बेटी भाई/बहन/माता/ पिता/दोस्त/ सहकर्मी/ शिक्षक/पड़ोसी/ पति /पत्नी/प्रेमी/ प्रेमिका कोई भी.
अगर आप ऐसा कर पाएं तो अपने अनुभव साझा कीजिएगा. अगर कोई परेशानी आ रही हो तो लिखिएगा. हम मिलकर रास्ता निकालेंगे.
<< मुख्यपृष्ठ