सोमवार, 13 अप्रैल 2020

उद्योग का जोर नकदी बचाने पर

भारत की ऊंची रेटिंग वाली कंपनियां ऋण अदायगी के मोर्च पर आरबीआई द्वारा दी गई मोहलत का फायदा उठा रही हैं जिससे पता चलता है कि वे लंबी अवधि के लिए तैयारी कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियां इस समय नकदी बचाकर रखने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं क्योंकि कोरोनावायरस (कोविड-19) वैश्विक महामारी के प्रसार को रोकने के लिए किए गए 21 दिवसीय देशव्यापी लॉकडाउन के प्रभाव एवं अवधि को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।


मोहलत का लाभ उठाने वाली कंपनियों की सूची में प्रतिष्ठित समूह की कंपनियां और अपेक्षाकृत बेहतर वित्तीय स्थायित्व वाली कंपनियां भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, टाटा पावर ने इस मोहलत को स्वीकार करने की योजना बनाई है। टाटा पावर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हम ब्याज एवं ऋण के पुनर्भुगतान के लिए बैंकों द्वारा दी गई तीन महीने की मोहलत का फायदा उठाएंगे।'


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋण देने वाले संस्थानों को 1 मार्च से 31 मई के बीच ऋण के किस्तों के भुगतान पर उधारकर्ताओं को तीन महीने की मोहलत देने की अनुमति दी है। ऐसा कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण हुए वित्तीय व्यवधान से निपटने के लिए उधारकर्ताओं की मदद के लिए किया गया है।


केयर रेटिंग्स के सहायक निदेशक, समूह प्रमुख (इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड प्रोजेक्ट फाइनैंस) रत्नम राजू ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि ऊंची रेटिंग वाली कंपनियां भी नकदी बचाकर रखने के लिए मोहलत का फायदा उठाने के लिए सामने आ रही हैं। इनमें से कुछ कंपनियां तो बड़े कारोबारी समूह की इकाइयां हैं।'


विभिन्न कंपनियों से सूचनाएं हासिल करने वाले रेटिंग उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कुछ ऐसी कंपनियां भी इस विकल्प को स्वीकार कर रही हैं जिनकी रेटिंग 'एएए' है। इन कंपनियों को समयबद्ध तरीके से ऋण अदायगी संबंधी क्षमता के लिए ऊंची रेटिंग मिली हुई है।


जहां तक जेएसडब्ल्यू समूह का सवाल है तो उद्योग सूत्रों के अनुसार इस समूह की कुछ कंपनियों ने मोहलत को स्वीकार किया है लेकिन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह सच नहीं है क्योंकि पूरे समूह ने सभी बैंक ऋण पर इसका फायदा नहीं उठाया है।


हालांकि कुछ अपवाद भी हैं। लार्सन ऐंड टुब्रो के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार, कंपनी इस मोहलत का फायदा नहीं उठाएगी। आदित्य बिड़ला समूह के प्रवक्ता ने तत्काल इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की कि उनके समूह की कंपनियां ऋण पुनर्भुगतान में दी गई मोहलत का फायदा उठएंगी अथवा नहीं।


अदाणी समूह को इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। लेकिन उसकी परिवहन इकाई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कंपनी ने अपनी सड़क एवं जल परियोजनाओं के लिए बैंकों से फिलहाल कोई ऋण नहीं लिया है।'


रेटिंग अधिकारियों का कहना है कि अनिश्चितता के कारण कंपनियां उधारी की ऊंची लागत को स्वीकार कर रही हैं। एक अधिकारी ने कहा कि एक ऐसी कंपनी भी इस मोहलत का फायदा उठाने का निर्णय लिया है जिसके बहीखाते पर 2,100 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध है।


लेबल: