राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) क्या है और इसे क्यों बनाया गया था?
कोरोना वायरस का संकट पूरे देश में लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं डाक्टर, पुलिस, स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें प्रधानमंत्री कोरोना वारियर्स की संज्ञा दे रहे हैं और देश के लोग उनके सम्मान में ताली और थाली बजाकर उनका उत्साह बढ़ा रहे हैं। वहीं बीते कुछ दिनों से कुछ सिरफिरे और अराजक लोगों द्वारा पुलिस पर हमले, डॉक्टरों के साथ बदसलूकी, नर्सों के साथ अश्लील हरकत और मेडिकल स्टाफ पर हमले की खबर लगातार देश के कई हिस्सों से आई। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान पुलिसकर्मियों पर हमले की घटनाओं के देख अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सख्त फैसला लिया है।
राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया है अब जो लोग भी पुलिसकर्मियों पर हमला करेंगे उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका (NSA) लगा दिया जाएगा। वहीं गाजियाबाद में नर्सों के साथ अश्लील हरकत को गंभीरता से लेते हुए योगी सरकार कहा, ''ये ना क़ानून को मानेंगे, ना व्यवस्था को मानेंगे, ये मानवता के दुश्मन हैं, जो इन्होंने महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ किया है, वह जघन्य अपराध है, इन पर रासुका (एनएसए) लगाया जा रहा है, हम इन्हें छोड़ेंगे नहीं। ऐसे में आज हम बात करेंगे कि आखिर क्या है ये नेशनल सिक्योरिटी एक्ट और किन परिस्थितियों में इसे लगाया जाता है
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) कह लें या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून या फिर रासुका एनएसए के तहत ऐसे व्यक्ति को महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से जुड़ा एक कानून है। ये कानून सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी की शक्ति देता है। सरकार को यदि लगता है कि कोई शख्स देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कामों को करने से उसे रोक रहा है, तो उस शख्स को गिरफ्तार कर सकती है। इस कानून का इस्तेमाल जिला अधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है। अगर सरकार को लगे कि कोई व्यक्ति बिना किसी मतलब के देश में रह रहा है और उसे गिरफ्तार किए जाने की जरूरत है तो सरकार उसे भी गिरफ्तार करवा सकती है।
इस कानून की पृष्ठभूमि की अगर बात करे तो साल 1980 में दोबारा सत्ता में आई इंदिरा गांधी सरकार ने इसे सितंबर 23 को पास करवाया था। बाद में 27 दिसबंर 1980 को ये तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी की मंजूरी के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के रूप में जाना जाने लगा। 3 महीने की गिरफ्तारी कानून के तहत पहले व्यक्ति को तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जाता है। आवश्यकतानुसार 3-3 महीने के लिए गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है। गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को राज्य सरकार को बताना पड़ता है कि किस आधार पर गिरफ्तारी की गई है। रासुका या एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाई कोर्ड के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है। मुकदमे के दौरान रासुका लगे व्यक्ति को वकील की अनुमति नहीं मिलती।
लेबल: संपादकीय
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