शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

रामायण से जुड़ी वो बातें, जो वाल्मीकि ने कभी लिखी ही नहीं

कुल मिलाकर हिंदुस्तान में राम के कई रूप हैं. कई भाव हैं. किसी के लिए राम वृत्ति हैं, किसी के लिए प्रवृत्ति और किसी के लिए निवृत्ति. इसीलिए रामायण के दुनिया भर में में 3000 से ज़्यादा वर्ज़न हैं. जिनमें सबसे मानक वाल्मीकि रामायण को माना जाता है.


90 के दशक के टीवी सीरियल रामायण और पिछले 100 सालों में रामलीला के कई रूपों ने इन अलग-अलग रामायणों को इस तरह मिला दिया कि आज के समय में राम कथा में ऐसी बहुत सी चीज़ें कही जाती हैं. जो वाल्मीकी रामायण में हैं ही नहीं.


लक्ष्मण रेखा


लक्ष्मण रेखा का ज़िक्र वाल्मीकि रामायण में नहीं है. तुलसी की मानस में भी इसका ज़िक्र नहीं आता है, मंदोदरी बाद में एक जगह इशारा ज़रूर करती है, मगर कुछ खास तवज्जो नहीं दी गई है. दक्षिण की सबसे चर्चित कम्ब रामायण में भी रावण पूरी झोपड़ी को ही उठा ले जाता है.


बंगाल के काले जादू वाले दौर में कृतिवास रामायण में तंत्रमंत्र के प्रभाव में लक्ष्मण रेखा की बात हुई. रामानंद सागर के सीरियल ने इसका ज़िक्र किया. आदर्श नारी की परिभाषा बताने वाले कथा वाचकों ने इसे खूब फैलाया और सीता हरण का एक कारण मिल गया.


शबरी के जूठे बेर


वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में राम शबरी के यहां जाकर बेर खाते हैं न कि जूठे बेर. जाति के छुआछूत से भरे समाज में जब ये लिखा जा रहा था तो अपने समय का क्रांतिकारी कदम था. जूठे बेर की चर्चा सबसे पहले 18वीं सदी के भक्त कवि प्रियदास के काव्य में मिलती है. गोरखपुर की गीता प्रेस से निकलने वाली कल्याण के 1952 में छपे अंक से ये धारणा लोकप्रिय हुई और रामलीलाओं का हिस्सा बन गई.


हनुमान का सागर पार करना


वाल्मीकि रामायण में ज़िक्र आता है कि हनुमान ने सागर संतरण किया. यानी तैरकर पार किया. मगर रामचरित मानस के सुंदर कांड में हनुमान समु्द्र लांघकर पार कर जाते हैं. दरअसल तुलसी जिस नायकत्व को जनता में बिठाना चाहते थे, उसके लिए इस तरह का वर्णन ज़रूरी था.


अहिल्या का किरदार


अहिल्या का प्रकरण भी हर रामायण के लिखे जाने के समय के साथ बदला है. वाल्मीकि रामायण के प्रथम सर्ग में अहिल्या के सामने इंद्र ऋषि का रूप बना कर आते हैं. अहिल्या समझ जाती हैं मगर रुकती नहीं हैं. वाल्मीकि रामायण में अहिल्या और इंद्र के संभोग में दोनों की इच्छा स्पष्ट दिखाई पड़ती है.


कम्ब रामायण के पालकांतम (प्रथम सर्ग) के छंद 533 में अहिल्या को संभोग के बीच में इंद्र के होने का पता चलता है. मगर रति के नशे में अहिल्या रुक नहीं पाती हैं. इन सबसे अलग तुलसी की मानस में अहिल्या सिर्फ इंद्र का वैभव देख कर एक पल को मोहित होती हैं. इंद्र उनके साथ पूरी तरह से छल करते हैं. मध्य युग में जब नायकत्व गढ़ा जा रहा था तो पति के रहते किसी और से संबंध बनाने वाली स्त्री का उत्थान करवाना शायद थोड़ा मुश्किल रहा होगा.


अलग-अलग रामायण में अलग कहानी


एक बार फिर तुलसी की ही बोली में बात करें तो, हरि अनंत, हरि कथा अनंता. तमाम रामायणें हैं और उनके अलग-अलग नैरेटिव. एक रामायण में तो जब राम सीता को वन में साथ ले जाने से इनकार कर देते हैं. तो सीता कहती हैं कि इतनी रामायण लिखी जा चुकी हैं. क्या कभी ऐसा हुआ कि सीता राम के साथ न गई हो. इन सारी राम कथाओं में अपने-अपने समय के हिसाब से बदलाव आए हैं. इनमें से कुछ बड़े रोचक हैं.


राम नहीं, लक्ष्मण मारते हैं रावण को


जैन परंपरा में देवात्मा कभी हिंसा नहीं कर सकता. इसलिए पउमंचरिय (जैन रामायण) में राम रावण का वध नहीं करते. लक्ष्मण से करवाते हैं. लक्ष्मण भी लक्ष्मण नहीं, वासुदेव हैं जो रावण का उद्धार करते हैं. इसके बाद राम निर्वाण को प्राप्त होते हैं और लक्ष्मण नर्क में जाते हैं. इस रामायण में सीता रावण की पुत्री हैं जिन्हें उसने छोड़ दिया था और वो ये बात नहीं जानता है. और, हां रावण भी शाकाहारी है.


राम और सीता का पुनर्मिलन


वाल्मीकि रामायण में सीता अंत में धरती में समा जाती हैं. रामकियन (थाइलैंड की रामायण) में सीता के भूमि में जाने के बाद हनुमान ज़मीन के अंदर जाते हैं और सीता को वापस लेकर आते हैं. इस रामायण में सीता को धोबी के कहने पर नहीं निकाला जाता है.


थाइलैंड की रामायण केे मुताबिक, शूर्पनखा की लड़की अपनी मां के अपमान का बदला लेने के लिए दासी बनकर सीता के महल में काम करती है. एक दिन सीता पर ज़ोर डालती है कि वो रावण की तस्वीर बनाकर दिखाए. सीता तस्वीर बनाती है. वो तस्वीर ज़िंदा हो जाती है. राम को इस पर इतना गुस्सा आता है कि वो लक्ष्मण को सीता की हत्या का आदेश देते हैं. लक्ष्मण सीता को न मारकर जंगल मे छोड़ देते हैं.


इतनी सारी रामायणों और इनमें आए बदलावों को आसानी से समझने के लिए कभी किसी रामलीला में चले जाइए. कहीं रावण के दरबार में ‘बेबी डॉल मैं सोने दी’ पर झूमती सुंदरियां दिख जाएंगी, कहीं लौंडा नाच होता दिख जाएगा. हो सकता है आपको वो फूहड़ता लगे मगर एक खास वर्ग के लिए ये सामान्य चीज़ है, जिसमें वो श्रद्धा भी तलाश लेते हैं. फैलाने पर आएंगे, तो ये महाकाव्य है, नहीं तो दो लाइन की कथा. हर किसी की अपनी रामायण है और उसके अलग मायने.


एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ,


दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ,


तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई,


चार बार राम कहा तो भजन हुआ.


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