पड़ताल: क्या नोबेल जीत चुके जापानी वैज्ञानिक ने कहा, 'कोरोना चीन की लैब से शुरू हुआ है'
जापान के नोबेल प्राइज विनर साइंटिस्ट टासुकु होंजो का एक कथित बयान सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर वायरल हो रहा है। इसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन की लैब में बनाया गया और, अगर उनकी बात झूठी साबित हुई तो वो अपना नोबेल प्राइज़ लौटा देंगे। 22 अप्रैल 2020 को फेसबुक यूजर रमेश कुमार सलवान https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2606084702976354&id=100007245497605 ने पोस्ट किया।
सर्च करने पर 01 अक्टूबर 2018 की द गार्डियन की रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक टेक्सास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स एलिसन और जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टासुकु होंजो को मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई। उन्हें ‘कैंसर’ के इलाज की दवाओं पर काम करने के लिए नोबेल मिला था। क्योटो यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी की वेबसाइट पर टासुकु होंजो की जीवन-यात्रा देखने पर पता चला कि होंजो ने अपने पूरे जीवन में कभी चीन की वुहान लेबोरेट्री में काम नहीं किया है। वायरल मेसेज में दावा किया जा रहा है कि टासुकु होंजो ने चार साल तक वुहान की लैब में काम किया, ये सरासर गलत है।
टासुकु होंजो का सबसे हालिया बयान क्योडो न्यूज ने 18 अप्रैल को पब्लिश किया। होंजो ने एक टीवी प्रोग्राम में कहा था कि जापान को अपने यहां PCR टेस्टिंग की संख्या बढ़ानी होगी, साथ ही उन्होंने टोक्यो, ओसाका और नगोया में रहने वाले लोगों को एक महीने तक बाहर न निकलने की सलाह भी दी थी। इंटरनेट पर सर्च करने पर हमें टासुकु होंजो के कथित वायरल बयान से संबंधित कोई भी प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली। ये स्पष्ट है कि टासुकु होंजो को 2018 में मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। लेकिन उन्होंने कभी वुहान की लैब में काम नहीं किया। उन्होंने न तो कोरोना वायरस के लैब में बनने का दावा किया और न ही वुहान लैब के टेक्नीशियंस की मौत का जिक्र किया है। उन्होंने अपनी बात गलत साबित होने पर नोबेल प्राइज वापस लेने का चैलेंज भी नहीं दिया है। आगे और सर्च करने पर पता चला 19 अप्रैल की ‘द वीक’ की रिपोर्ट के अनुसार नोबेल विजेता फ्रांसीसी वैज्ञानिक ल्यूक मोंटेनियर ने आरोप लगाया था कि नोबेल कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है और इसे वुहान के एक लैब में बनाया गया। मोंटेनियर को HIV की खोज के लिए, 2008 का नोबेल पुरस्कार मिला था।
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