गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

मजदूरों की भूख और घर की चिंता उन्हें पदयात्रा के लिए कर रही मजबूर


कानपुर- यह यादव परिवार है जो 3 दिन पहले महाराष्ट्र के मालेगाँव से पैदल चला था। एक दिन और पूरी रात ये पैदल चलकर ये इंदौर पहुँचे वहां मध्य प्रदेश की पुलिस ने इनके भोजन की व्यवस्था की और फिर झांसी तक एक ट्रक में बिठा दिया फिर ये वहां से पैदल चलते हुए उरई तक पहुँचे फिर वहां से लोडर पर आज कानपुर पहुच कर बाई पास पर बस्ती जाने के लिए ट्रक को रोक रहे थे। पूछने पर बताया कि इनके एक सप्ताह से खाने के लिए कुछ नही था। लॉक डाउन होने से पहले जो पैसा था वो घर भेज चुके थे। वहां न काम था न ही कोई कुछ देने को तैयार था। ये तीनों आपस मे रिश्तेदार हैं कहने लगे अगर कोई साधन नही मिला तो रात में पैदल चलेंगें। क्या करें भूख और परिवार कोरोना से बडा दिखाई दे रहा है। जिन्दगी ऐसे भी रंग दिखाती है जिस बीमारी से बचने के लिए इन्हें जहाँ थे वही रहना था लेकिन इनका कहना है कि वहां रहते तो निश्चित भूख से मर जाते इनके जैसे कई परिवार अभी भी वहाँ फंसे हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं।


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