लॉक डाउन का सच , छुटपुट व्यापारी सब्ज़ी बेचकर अपने परिवार का पेट पालने को मजबूर।
कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के फैलने के चलते पूरे प्रदेश में 21 दिनों के लॉक डाउन के बाद अब लॉक डाउन 2.0 की घोषणा कर दी गयी है। लॉक डाउन में जहां आम जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है वहीं रोजमर्रा के काम करके अपना पेट पालने वाले मजदूरों का हाल दिन प्रतिदिन बुरा होता चला जा रहा है । रोजमर्रा के समान की फेरी लगा कर बिक्री करने वालो का कामकाज तो ठप हुआ ही साथ ही उनके परिवार के सामने रोटी खाने का बहुत बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है । ऐसे में संवाददाता द्वारा जब ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट चेक की गई तो सामने आया कि ऐसे रोजमर्रा कामकाजी मजदूर सब्ज़ी बेचकर अपना परिवार पालने को मजबूर हैं । कल्याणपुर पनकी रोड पर ठेला लगा सब्ज़ी बेचने पर मजबूर 20 वर्षीय सनोज ने बताया कि उसके परिवार में माता पिता सहित 6 लोग हैं जो उसपर ही आश्रित हैं। पहले वह सीज़नल काम कर के अपने परिवार का पेट पाल लेता था परन्तु जब से लॉक डाउन हुआ है तब से सारे कामकाज ठप हो गए है इसलिए वह अब सब्ज़ी बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने को मजबूर है।
सनोज ने यह भी बताया कि साहब सब्ज़ी नही बेचेंगे तो खाएंगे क्या , हमारी कौन सुनने वाला है , जब मैं कम कर के घर वापिस पहुचता हूँ तभी घर पर रोटी बन पाती है। और ऐसे हालात में जब चारो तरफ बीमारी होने का खतरा है ,और कोई कामकाज मिल नही रहा तो फेरी लगा कर सब्ज़ी बेच रहा हूँ। हालांकि मंडी में रोजाना की भीड़ को देखते हुए डर तो बहुत लगता है पर क्या करें सब्ज़ी नही लाएंगे तो बेचेंगे क्या ।
आपको बता दें कि सरकार व प्रशासन हर भरसक प्रयास कर रहे है कि किसी भी गरीब व्यक्ति को ऐसी विघम परिष्तिथियों में कोई दिक्कत न हो मगर हमारे देश मे एक बहुत बड़ा तबका ऐसा भी है जो ऐसे हालात में भी अपने परिवार का पेट पालने के लिए रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर रोटी कमाने को मजबूर है।
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