जन्मदिन विशेष - किसी भी संस्थान को कोई अकेला व्यक्ति न चलाकर पूरा कर्मचारियों एवम सहयोगियों का संगठित समूह बुलन्दियों पर अल्प अवधि में पहुँचा सकता है - डॉ ब्रजेन्द्र सिंह चौहान
जन्मदिन विशेष
समय समय पर डॉ ब्रजेन्द्र सिंह चौहान जी के साथ यात्राओं में साथ रहकर हमारे वरिष्ठ संपादक हिमांशु दीक्षित से हुई बातचीत के आधार पर ।।
किसी संस्थान को कोई अकेला व्यक्ति न चलाकर पूरा कर्मचारियों एवम सहयोगियों का समूह बुलन्दियों पर अल्प अवधि में पहुँचा सकता है - डॉ ब्रजेन्द्र सिंह चौहान
जी हाँ आपने ऊपर यह स्लोगन देखा , इसमें कोई दो राय नही कि यह स्लोगन किसी भी संस्थान के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है अगर वहाँ का प्रबन्धन इसे अपना कर अपने संस्थान को संचालित करे ।
लगभग एक दशक पहले ही कुछ ऐसा , कमाल कर चुके डॉ ब्रजेन्द्र सिंह चौहान जी ने इसे अपना और अपनी कम्पनी का मूल मंत्र बताया है । एक साधारण से ग्रामीण परिवार में जन्मे डॉक्टर ब्रजेन्द्र सिंह चौहान जी की आरंभिक शिक्षा भी ग्रामीण अंचल में ही हुई । पर कुछ करने और बनने की ललक में उन्होंने अपनी शिक्षा के आगे कभी भी किसी भी सुख सुविधा के माद्यम को आड़े नही आने दिया । सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई की लगन के कारण माता पिता ने इन्हें पढ़ने के लिए पास के ही एक छोटे से कस्बे ( छिबरामऊ) में अलग रहने दिया ,जहाँ रहकर इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा बीएससी (केमेस्ट्री) को पूरा किया । इसी बीच अचानक इनका विवाह प्रस्ताव आया जिसे माता पिता ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । जिसको सूचना भी इन्हें बाद में दी गयी । कही न कही अभी ज़िंदगी से रोज द्वंद होने के बावजूद भी इन्होंने माता पिता की इच्छा का पूरा सम्मान करते हुए विवाह के लिए हामी भर दी और कानपुर आकर छोटे मोटे काम करने लगे । विवाह हुआ ,सुयोग्य साथी मिला जिसने हर कदम पर साथ दिया ,जिससे कही न कही आगे बढ़ने को लेकर मन मे पहले से चल रही योजना और सकारात्मक महत्वाकांक्षा को और अधिक बल मिला । इसी बीच आपको एक बड़ी कम्पनी की लैब में ,लेब टेक्नीशियन की नौकरी करते हुए ,कुछ ऐसे व्यक्ति मिले जिनके भी लक्ष्य आपके जैसे ही दूरगामी थे । किंतु किसी न किसी कारण वश उनकी योजनाएं सम्भव नही हो पा रही थी । उनसे भी आपको सामाजिक स्तर पर काफी कुछ सीखने को मिला ,यहाँ एक बात और बताते चले कि डॉक्टर साहब को कभी भी किसी से भी कुछ भी सीखने को मिलता था तो यह उसे तुरंत आत्मसात कर लिया करते थे क्योंकि आपका आज भी ऐसा मानना है कि सीखने की कोई उम्र नही होती । और सिखाने वाला भी किसी भी उम्र का हो सकता है । इसी दौरान डाक्टर ब्रजेन्द्र सिंह चौहान जी ने कुछ लोगो के साथ मिलकर अपना काम आरंभ किया । शुरू में इन्होंने इंशोरेंस सेक्टर में अपना काम आरम्भ किया जिसमें इन्हें आपार सफलता मिली , यह सफलता सिर्फ इनकी दूरगामी सोच और इनके मृदुभासी होने का एक परिणाम मात्र थी । क्योंकि कही न कही लोग इनकी सोच ,तर्क करने की छमता ,और दूरगामी सोच के कारण इनसे जुड़ते चले जाते थे । और आज के समय मे भी आपका इसी कारण से समाज मे एक अलग स्थान है । इंशोरेंस सेक्टर में सफलता पूर्वक काम करने के उपरांत आपने vacl रियल स्टेट लिमिटेड कंपनी का शुभारंभ किया । कुछ पंक्तियों के माद्यम से मेरा यह प्रयास है कि जिनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाल पाऊं 💐
कोशिश कर, हल निकलेगा।
आज नही तो, कल निकलेगा।
अर्जुन के तीर सा सध,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा।।
मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।
ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा।
जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा।
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा है, चल निकलेगा।।
धैर्य रखें ।। आवश्य हल निकलेगा।।
उपरोक्त शब्दो का चरित्रार्थ करते हुए रियल स्टेट कम्पनी में अनेकों अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए ,कई उतार चढ़ाव के बीच आखिर डॉक्टर ब्रजेन्द्र सिंह चौहान जी ने अपनी कंपनी को बुलन्दियों तक पहुँचा कर ही दम लिया ,एक समय लोगो के बीच मीटिंग में जाते समय बिना किसी आर्थिक मजबूती के सिर्फ अपने हौसलों के बल पर फतह हासिल करने की कला से विद्दमान डाक्टर ब्रजेन्द्र सिंह चौहान अपनी कम्पनी में हज़ारों कर्मचारियों के साथ साथ लाखो की संख्या में जुड़े हुए फील्ड कार्यकताओं को आज लाभान्वित कर रहे है यह सब कही न कही इनके अथक परिश्रम का ही परिणाम है । यू टी आई न्यूज़ चैनल इनके इन प्रयासों को तहेदिल से सलाम करता है । और इनके दीर्घायु होने की कामना करता है ।
जन्मदिन की की असीम शुभकामनाएं ।।
टीम यू टी आई नई दिल्ली ।।
लेबल: जीवन संवाद
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