चिंताजनक: भारत में महज 1.68 फीसदी कोरोना रोगियों की ही पहचान, शोध में दावा
दुनियाभर में कोरोना रोगियों की संख्या 15 लाख पार हो चुकी है। लेकिन नए अध्ययन इशारा कर रहे हैं कि अब तक केवल छह फीसदी रोगियों की ही पहचान हुई है और 94 फीसदी मरीज चिकित्सा तंत्र से दूर हैं। भारत के संदर्भ में शोध के नतीजे और भी चिंताजनक हैं। क्योंकि देश में अब तक महज 1.68 फीसदी मरीजों की ही पहचान होने की बात इसमें कही गई है।
यह अध्ययन जर्मनी के गोइत्तेजेन विवि डवलपमेंट इकोनोमिक्स विभाग ने किया। इसे लांसेट इंफेक्सियस डिजीज ने प्रकाशित किया है। इसमें कोरोना से प्रभावित 40 देशों में मरीजों के आंकड़ों के आधार पर 31 मार्च तक की स्थिति के अनुसार दुनिया के संभावित मरीजों का आकलन किया है। अध्ययन बताता है कि एकमात्र देश दक्षिण कोरिया है जो 49.47 फीसदी मरीजों की पहचान करने में सफल रहा है। इसी कारण वह बीमारी को काबू करने में कामयाब रहा।
शोध के अुनसार, 31 मार्च तक भारत में कुल रोगियों की संख्या 1397 थी। जबकि इस अवधि तक देश में अनुमानित रोगियों की संख्या 83250 पहुंच चुकी थी, लेकिन जांच सीमित होने से महज 1.68 फीसदी मरीजों की ही पहचान हो सकी। जबकि इस अवधि में दक्षिण कोरिया सर्वाधिक 49.47 फीसदी मरीजों की पहचान करने में सफल रहा है।
अध्ययन दावा करता है कि 31 मार्च तक दुनिया में संक्रमितों की संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी थी। जबकि जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, वास्तविक मरीज दस लाख थे। दक्षिण कोरिया के बाद मरीजों की बेहतर पहचान नार्वे में 37.76 फीसदी तथा जर्मनी में 15.58 फीसदी हुई। इसके चलते इन देशों में मृत्यु दर कम रही है।
इसके विपरीत इटली में मृत्यु दर बेहद ऊंची है लेकिन वहां 3.5 फीसदी मरीजों का ही सरकार पता लगा पाई। जबकि स्पेन में 1.7, अमेरिका में 1.6, फ्रांस में 2.62, ईरान में 2.40 तथा ब्रिटेन में 1.2 फीसदी मरीजों की ही जांच हो पाई। अध्ययन में दावा किया गया है कि यदि इन देशों में समय रहते मरीजों की पहचान हो पाती तो मृत्यु दर कम रहती।
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