बिहार में कोरोना संक्रमण के साथ ही डोर-टू-डोर कैंपन में एईएस व जेई पीड़ितों की भी होगी लिस्टिंगः सीएम नीतीश कुमार।
बिहार (अफजल इमाम ’’मुन्ना’’)। बिहार में महामारी का रूप ले चुका ’कोविड-19’ यानी कोरोना वायरस को लेकर स्क्रीनिंग के साथ-साथ जिलों में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) व जापानी इंसेफ्लाइटिस (जई) प्रभावितों की भी लिस्टिंग कराई जाएगी। ताकि, ऐसे सभी लोगों को तत्काल चिकित्सा सुविधा व अन्य आवश्यक सामग्रियां मुहैया कराई जा सके। इस संदर्भ में बीते 28 अप्रैल को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राजधानी पटना स्थित 1, अणे मार्ग में अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक संवाद में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व एईएस प्रभावित 19 जिलों के जिलाधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कही है। इस बैठक में मुजफ्फरपुर व गया सहित एईएस व जेई प्रभावित जिलों में भी डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का आदेश तक दिया। उन्होंने सभी विभागों को आपस में समन्वय करके एईएस व जेई की रोकथाम के लिए कार्य करने का आदेश दिया। सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि आशा व आंगनबाड़ी सेविका घर-घर जाकर लोगों को एईएस की जानकारी देकर इसके लक्ष्ण दिखने पर बच्चों को शीघ्र अस्पताल ले जाने के लिए प्रेरित करें। क्योंकि, बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है। साथ ही, वे बच्चों के माता-पिता को यह भी बताऐं कि बच्चों को रात में सोने से पहले खाना अवश्य खिलाना है।
उन्होंने कहा, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, जीविका दीदीयां, स्थानीय जनप्रतिनिधि व आंगनबाड़ी सेविका आपस में टीम बनाकर घर-घर जाकर अभिभावकों को इस बीमारी के संबंध में जानकारी दें व उन्हें सचेत करें। सभी विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर एईएस व जेई की रोकथाम के लिए पूरी ईमानदारी से कार्य करें। साथ ही, मुजफ्फरपुर में पीआईसीयू शीघ्र प्रारंभ हो। संबंधित जिलों में पैडियाट्रिक वार्ड में पूरी तैयारी रखी जाए। वायरस रिसर्च डायग्नोस्टिस लैब की सुविधा श्रीकृष्ण मेडिकल काॅलेज अस्पताल यानी एसकेएमसीएच (मुजफ्फरपुर) के अलावा अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी स्थापित की जाए। अस्पतालों में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी 24 घंटे मौजूद रहें। अस्पतालों में पूरी साफ-सफाई, दवाओं की उपलब्धता व अन्य सुविधाओं पर विशेष निगरानी रखी जाए। एसओपी के मुताबिक सारी व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। इस दौरान राज्य स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि बूढ़ी गंडक नदी से सटे जिलों में विशेषकर एईएस के मामले अधिक पाए जाते हैं। मुजफ्फरपुर में 60 प्रतिशत एईएस व शेष 40 प्रतिशत एईएस के केस अन्य 16 जिलों में मिलते हैं। गया के आसपास के जिलों में जेई के मामले आते हैं। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल तक मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच में 65 बेड का एईएस वार्ड तैयार हो जाऐगा। 100 बेड का अलग से बनने वाला पीकू में करीब 70 बेड इस महीने के अंत तक पूर्ण होने की स्थिति में है। जबकि, जीविका के कार्यपालक निदेशक बाला मुरूगन डी ने बताया कि 7082 परिवारों को जीविका से जोड़ दिया गया है। 2587 परिवारों को सतत जीविकोपाजर्न योजना का लाभ दिया जा रहा है।
खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने बताया कि एईएस प्रभावित मुजफ्फरपुर जिले के 5 प्रखंडों में 29 हजार 360 परिवार चिन्हित किए गए हैं। 15 हजार 85 परिवारों के राशन कार्ड के संबंध में सर्वे कराया गया है। इसमें से 8700 को नया राशन कार्ड उपलब्ध करा दिया गया है। बाकी का राशन कार्ड पहले से ही मौजूद है। जबकि, 14 हजार 275 राशन कार्ड के लिए आवेदन आए हैं। उनमें से 11 हजार 468 परिवारों को नया राशन कार्ड जारी किया गया है। जबकि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर.के.महाजन ने बताया कि 14 मार्च से 3 मई तक मध्याहन भोजन के समतुल्य राशि एक करोड़ 15 लाख बच्चों के खाते में 218 करोड़ 51 लाख रूपये ट्रांसफर कर दिए गए हैं। जबकि इसी अवधि में 160 करोड़ 19 लाख रूपये की राशि ट्रांसफर की प्रक्रिया में है। मुजफ्फरपुर जिले के 5 प्रखंडों में भी लाॅकडाउन के दौरान मध्याहन भोजन योजना के तहत स्कूली बच्चों या अभिभावकों के खाते में राशि ट्रांसफर किए जा चुके हैं। इस बैठक में राजधानी पटना सहित मुजफ्फरपुर, वैशाली, सारण, सीवान, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, जहानाबाद, नवादा, अरवल, नालंदा, औरंगाबाद, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के जिलाधिकारी ने एईएस व जेई की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारियां दी है। इस समीक्षा बैठक में सीएम नीतीश कुमार के अलावा उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व राज्य के कई आला अधिकारी भी विराजमान थे।
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