सोमवार, 13 अप्रैल 2020

आजमगढ़ - दलितों पिछड़ों के साथ मुसलमान भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाए अंबेडकर जयंती एहसान खान

दलितों पिछड़ों के साथ मुसलमान भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाए अंबेडकर जयंती एहसान खान


 आजमगढ़। 14  अप्रैल को उस महापुरुष का जन्म हुआ जिन्होंने भारत का संविधान लिखा, जिसकी वजह से तमाम धर्मों के साथ मुसलमानों को भी अपने मजहब के हिसाब से इबादत करने का संवैधानिक हक मिला है।
देश को सांप्रदायिक शक्तियां कहां ले जा रही हैं । यह किसी से ढका छुपा नहीं है। अंबेडकर ने धार्मिक स्वतंत्रता ही नहीं वोट का भी हक तमाम धर्मों के साथ हम मुसलमानों को भी संवैधानिक तरीके से दीया।  मगर अफसोस हमने बाबा साहब के द्वारा दिए गए वोट के अधिकार की कीमत आज तक नहीं समझी ,कभी इनको कभी उनको वोट देते रहे। हमारी लीडरशिप भी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बन पाई। हम अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों को वोट तो देते रहे परंतु किसी ने भी मुसलमानों को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक तौर पर सुदृढ़ करने का प्रयास नहीं किया। हम पिछड़ते गए - पिछड़ते गए उपरोक्त बातें प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के वरिष्ठ नेता एहसान खान ने कही। उन्होंने कहा हमारे अलग-अलग भागों में बांटने की वजह से आज देश में सांप्रदायिक शक्तियां काबिज हो गई हैं। मुसलमानों के खिलाफ ,तीन तलाक, CAA NRC NPR लाए तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार के ऊपर जू तक नहीं रेंगी। इससे भी पेट नहीं भरा तो दिल्ली में दंगा करा कर मुसलमानों का कत्लेआम कराया। केजरीवाल भी उन्हीं से जा मिले।
श्री खान ने कहा एक समय था जब बाबासाहेब अंबेडकर ने संघर्ष कर दलितों को उनका हक दिलाने के साथ मुसलमानों को भी उनका हक संविधान के द्वारा दिलाया । एक आज का समय जब मुसलमानों के वजूद पर ही खतरा मंडराने लगा ,मुसलमान अलग-थलग पड़ गया, तो दूसरा दलित का बेटा भीम आर्मी चीफ "आजाद समाज पार्टी" के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण खुलकर का CAA, NRC ,NPR को लेकर मुसलमानों के साथ खड़े हो गए ।तमाम विरोध प्रदर्शनों, धरने सभाओं  रैलियां कर, केंद्र सरकार की ईंट से ईंट बजा दी। हम और देश का मुसलमान चंद्रशेखर आजाद का हमेशा आभारी रहेंगे ।ऐसे नाजुक समय पर जब मुसलमान अपने वजूद के लिए लड़ रहा था, और पूरी तरह उन्हें अलग-थलग करने में सांप्रदायिक शक्तियां कामयाब दिखाई दे रहे थे। मुसलमानों का वोट लेकर सियासत चमकाने वाली कांग्रेस, सपा, बसपा का कहीं अता पता नहीं था। इस नाजुक मौके पर चंद्रशेखर आजाद ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का संविधान लेकर मैदान में कूदे और मुसलमानों को ताकत दी तथा दलितों और पिछड़ों को भी इस संघर्ष में खड़ा किया। इसलिए बाबा साहब के परी निर्माण दिवस पर दलितों पिछड़ों और मुसलमानों को संविधान में दिए गए हक को याद करते हुए दलित पिछड़े विशेष तौर पर मुसलमान आज  उन्हें याद करते हुये उनका परिनिर्वाण दिवस हर्ष और उल्लास के साथ लॉक डाउन का पालन करते हुए अपने घरों में मनाए और हर मुसलमान जो सक्षम हैं कम से कम 5 जरूरतमंद परिवारों को राशन उपलब्ध कराएं। तथा मरीजों को फल और दवा प्रशासन के माध्यम से भिजवाए। दानिश खान यूटीआई न्यूज़ आजमगढ़


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