नई तकनीक द्वारा की जाएगी कोरोना की जाँच , ये टेस्ट सिर्फ 30 मिनट में बता देगा आप कोरोना वायरस से संक्रमित हैं या नहीं |
कोरोना वायरस की जांच के इस तरीके से आए नतीजे नंगी आंखों से भी देखे जा सकते हैं, यानी ये टेस्ट घर पर भी किया जा सकेगा |
कोरोना वायरस के खतरे की चपेट में अभी तक पौने 3 लाख से ज्यादा लोग आ चुके हैं | दुनियाभर के देश अपनी सीमाएं बंद कर रहे हैं, लोग घरों में कैद हो चुके हैं | ऐसे में इस लाइलाज (अब तक) वायरस पर शोध में जुटे वैज्ञानिक एक नई खोज के साथ सामने आए है | ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने वायरस की जांच के लिए रैपिड टेस्टिंग तकनीक (rapid testing technology ) की खोज की है | ऑक्सफोर्ड के Engineering Science Department और (OSCAR) ने मिलकर यह तकनीक निकाली है | ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर ज़न्गफेंग और प्रोफेसर वाई हुंग ने दिन-रात काम करके ये जांच विधि तैयार की है | बता दें कि कोरोना वायरस की जांच का ये नया तरीका पहले से काफी तेज है और इसके लिए बहुत ज्यादा तकनीक की भी जरूरत नहीं | वहीं इससे पहले कोरोना पॉजिटिव कन्फर्म करने का जो तरीका था, उसमें एक रिजल्ट के लिए लगभग 2 घंटे का समय लगता था. पुराने और अब तक चले आ रहे टेस्ट को viral RNA टेस्ट कहते हैं. ये टेस्ट Ribonucleic acid में पाए जाने वाले वायरल कोडिंग को बताता है | वैज्ञानिकों ने अब जो तरीका तैयार किया है, वो पुरानी प्रचलित तकनीक से लगभग तीन गुना कम समय लेता है और काफी प्रामाणिक भी है. जल्दी नतीजे आने का मतलब है कि संदिग्ध अगर कोरोना पॉजिटिव है तो उसका जल्दी से जल्दी इलाज शुरू हो सकता है. इसका सीधा अर्थ ये है कि वायरस दूसरों में फैलने से रोका जा सकता है |
नई तकनीक के लिए सिर्फ एक हीट-ब्लॉक की जरूरत है, जो कि RNA के रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन और DNA के विस्तारण के एक निश्चित तापमान बनाए रखता है | इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि ये रिजल्ट नंगी आंखों से देखा जा सकता है | इसका सीधा सा मतलब ये है कि यह टेस्ट ग्रामीण इलाकों या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया जा सकेगा | संदिग्ध में वायरस है या नहीं, इसकी जांच का पता सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि सैंपल यानी नमूने का रंग बदल रहा है या नहीं | पॉजिटिव होने पर सैंपल गुलाबी से पीले रंग में बदल जाता है. हर जांच में 3 बोतलों की जरूरत होती है, और सबमें अलग-अलग प्राइमर चाहिए होते हैं. अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है तो दो बोतलों में सैंपल का रंग गुलाबी हो जाएगा और एक में पीला रहेगा | एक बोतल का पीला छूटा रहना ये बताएगा कि टेस्ट वाकई में काम कर रहा है या फिर इनवैलिड हो गया है |
आपको यह भी बता दें की ऑक्सफोर्ड टीम अब एक ऐसा डिवाइस बनाने में जुटी हुई है, जिसकी मदद से टेस्ट का इस्तेमाल क्लिनिक, हवाई अड्डों और यहां तक कि घरों में भी किया जा सके. वैज्ञानिक फिलहाल जांच की इस तकनीक को यूके में क्लिनिकल मान्यता दिलाने के अलावा ये भी देख रहे हैं कि कहां पर और किस तरह से इन टेस्ट किट का उत्पादन किया जा सकता है | अगर टेस्ट को मान्यता मिल सके और इसकी प्रामाणिकता साबित हो जाए तो कोरोना के नियंत्रण में ये अहम भूमिका निभा सकेंगे |
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