कोरोना वायरस: प्रवासी मज़दूरों को क्यों नहीं रोक पा रहे केजरीवाल?
देश भर में लागू 21 दिवसीय लॉकडाउन की न सिर्फ़ धज्जियां उड़ गईं बल्कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज़रूरी उपाय सोशल डिस्टैंसिंग यानी एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने की सलाह भी मज़ाक बनकर रह गई.
आनंद विहार बस अड्डे से लेकर ग़ाज़ियाबाद के कौशांबी, लाल कुंआ, हापुड़ बस अड्डों तक शनिवार देर रात तक लोगों की भारी रही. यह भीड़ अब भी बनी हुई है और लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा, बड़ी संख्या में अपने इलाक़ों में पहुंच रहे लोग कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर एक और बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया का कहना है कि दिल्ली और अन्य राज्यों की सीमाओं पर जो भी लोग फँसे हैं, यूपी रोडवेज़ की बसें उन्हें उनके ज़िलों तक पहुंचाएंगी लेकिन उन्होंने यह अपील भी की है लोग अब अपने घरों से न निकलें.
दिल्ली की सीमा पर मची अफ़रा-तफ़री और भारी भीड़ के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया है.
बीबीसी से बातचीत में अशोक कटारिया कहते हैं, "किसी राज्य में काम करने वाले लोग उस राज्य की संपत्ति की तरह से होते हैं, भले ही वो रहने वाले कहीं के हों. दिल्ली की सरकार ने वहां काम कर रहे दूसरे राज्यों के लोगों को घर जाने के लिए कहा और डीटीसी की बसों से उन्हें सीमा पार करा दिया. जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. हमने इन परेशान लोगों और पैदल चल पड़े लोगों की समस्याओं को देखते हुए बसें भेजकर उनके गंतव्य तक पहुंचाने का फ़ैसला किया. लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ़ एक-दो दिन के लिए है. इसलिए हम लोगों से प्रार्थना कर रहे हैं कि वो जहां हैं, वहीं रुके रहें. क्योंकि इधर-उधर जाने से संक्रमण बढ़ेगा जो सबके लिए नुकसानदेह है."
हालांकि दिल्ली सरकार में श्रम मंत्री गोपाल राय अशोक कटारिया को आरोप को सिरे से ख़ारिज करते हैं. गोपाल राय ने बीबीसी से कहा, ''अगर उत्तर प्रदेश सरकार बसें नहीं भेजती तो लोगों का हुजूम आनंद विहार बस स्टॉप पर जमा नहीं होता. जहां तक पैदल जाने की बात है तो यह केवल दिल्ली से नहीं हो रहा था. लोग हरियाणा और राजस्थान से भी जा रहे थे. पैदल जाने वाले बहुत कम थे. बस भेजने के बाद लोग बड़ी संख्या में सड़क पर आ गए.''
लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी बसों से लोगों हापुड़ क्यों भेजा? इस पर गोपाल राय कहते हैं, ''हमने केंद्र सरकार के कहने पर ऐसा किया था. डीटीसी की बसें इंटरस्टेट नहीं होती हैं. सुरक्षा को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कहा तब हमने बस से लोगों को हापुड़ भेजा. हमने लोगों को खानेप-पीने की व्यवस्था की है. चार लाख लोगों खो मुप़्त में खाना देंगे. मैं अपील करता हूं कि प्रवासी मज़दूर यहां से न जाएं.''
परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की सीमाओं पर क़रीब 1200 बसें तब भेजनी पड़ीं जब दिल्ली की सीमा पर स्थिति बिल्कुल ख़राब होने लगी और यह क़ानून-व्यवस्था के लिए ख़तरा बनने लगा.
उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में क़रीब एक लाख लोग अपने घरों के नज़दीक तक पहुंचाए गए हैं. उनका कहना था कि बसों से लोगों को उनके ज़िला मुख्यालयों तक पहुंचाया गया है. अशोक कटारिया ने ये भी स्पष्ट किया कि बसों से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यस्था मुफ़्त नहीं है बल्कि इसका क़िराया लिया जा रहा है.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पिछले तीन दिनों में प्रदेश में एक लाख से ज़्यादा लोग जो अन्य राज्यों से आए हैं उनकी सूची तैयार करके संबंधित ज़िला प्रशासन को दी गई है और इन लोगों को अलग जगह पर समुचित निगरानी में रखा जा रहा है.
बाहर से आए लोगों के नाम, पता, फ़ोन नंबर जैसी जानकारियां ज़िला प्रशासन को मुहैया कराई गई हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ग्राम प्रधानों से भी संवाद करके बाहर से आने वाले लोगों को अलग रखने की अपील की है.
दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर यात्रियों की भीड़ अब भी लगी हुई है और तमाम अपील के बावजूद लोगों का यहां आना जारी है. शुरू में लोग पैदल ही घरों से निकले थे, लेकिन बसें चलाए जाने की घोषणा के बाद भीड़ अचानक बढ़नी शुरू हो गई. हालांकि रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वो चाहे जिस राज्य के हों, दिल्ली छोड़कर न जाएं.
आनंद विहार, कौशांबी बस अड्डों पर शनिवार से ही लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. लोगों से लगातार एक-दूसरे से दूर रहने की अपील की गई लेकिन भीड़ के दबाव के आगे यह अपील काम नहीं आई. इस दौरान ज़िला प्रशासन के आदेश से लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की गई लेकिन भीड़ को देखते हुए ऐसी व्यवस्थाएं ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुईं.
जिस तादाद में लोग बस अड्डों पर जमा हो गए, उस अनुपात में बसें भी नहीं थीं. लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ा. कौशांबी बस अड्डे पर क़रीब छह घंटे बस का इंतज़ार करने वाले बस्ती निवासी दिनेश प्रजापति आख़िरकार पैदल ही चल पड़े. उनके एक साथी ने बताया कि बाद में हापुड़ से उन्हें एक बस मिली, लेकिन ये नहीं पता कि वो कहां तक ले जाएगी.
लेबल: देश
<< मुख्यपृष्ठ