कानपुर जेल में मास्क बना रहे कैदी
कोरोना वायरस के कहर बरपाने के बाद बाजार में मास्क नदारद हो गएहैं। मास्क की कमी ना हो इसलिए कानपुर जेल के तीन कैदियों का हुनर काम में लाया जा रहा है। ये तीनों कैदी सिलाई के काम में कुशल हैं। ये तीनों कैदी जेल में ही सूती कपड़े और टिश्यू पेपर की मदद से रोजाना करीब 200 मास्क तैयार कर रहे हैं। इन मास्क का प्रयोग कैदी-बंदी कर रहे हैं।
जेल अधीक्षक की इस अनूठी पहल के चलते कैदियों और बंदियों के स्वास्थ्य की देखभाल ढंग से हो पा रही है। कोरोना का डर जेल की दीवारों तक भी पहुंच गया है। कानपुर जेल में 1600 कैदी बंद हैं। इनके लिए बाजार से मास्क खरीदने की कोशिश की गई तो पता चला कि मास्क की शॉर्टेज चल रही है, और कीमत ज्यादा होने की जानकारी मिली। इसके बाद जेल प्रशासन चिंता में पड़ गया कि आखिर कैसे कैदियों को मास्क दिए जाए।
जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह ने जेल में ही बंद सिलाई कारीगर निजाम, अब्दुल वाहिद व एक महिला कैदी को उन्होंने बुलाया। तीनों से मास्क बनाने के बाबत पूछा तो उन्होंने हामी भर कर कहा कि बस एक बार मास्क बनाने का तरीका बता दिया जाए। इसके बाद जेलर कुश कुमार, डिप्टी जेलर राजेश राय ने बाजार से सूती कपड़ा, टिश्यू पेपर व सिलाई मशीन का इंतजाम किया। इन लोगों की पहल के बाद जेल में मास्क बनाने का काम शुरू हो गया। अभी तक करीब 900 कैदियों-बंदियों को मास्क दिया जा चुका है। एक मास्क बनाने पर 10-15 रुपये का खर्च आता है। एक मास्क में तीन टिश्यू पेपर की परत लगाई जाती है, इसके बाद इसे सिलकर बांधने के लिए डोरी लगाई जाती है।
लेबल: उत्तरप्रदेश
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