कानपुर देहात में कोरोना वायरस संक्रमण का केंद्र बनता नजर आया जिले का जिला अस्पताल ।
जहाँ एक ओर देश और दुनिया मे कोरोना वायरस महामारी ने तबाही ला दी है, वही देश के प्रधानमंत्री व राज्य सरकारे इस महामारी की तबाही से बचने के लिए तमाम तरह की एडवाइजरी जारी कर लोगो को जागरूक करने में लगी हुई है, और देश के प्रधानमंत्री मंत्री के आवाहन पर देश मे पहले जनता कर्फ्यू और बाद में देश के कई राज्य समेत प्रदेश के कई जिलों को लॉक डाउन कर दिया गया है, और केंद्र सरकार निरन्तर जनता को इस महामारी से जनता को बचाने का प्रयास करने में लगी हुई हैं। वही कानपुर देहात जिले का स्वास्थ्य महकमा खुद खुद अपनी लापरवाही के चलते कोरोना संदिग्ध हो गया है और जनता को इलाज व एडवाजरी देने की बजाय खुद कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण का केंद्र बनता नजर आ रहा है।
तीन कोरोना संदिग्ध व्यक्तियों के जिला अस्पताल आने के बाद मामले का खुलासा हुआ, देखा गया कि स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार डॉक्टर समेत एम्बुलेंस के कर्मचारी सुविधाओं के आभाव में कार्य कर रहे है, न ही किसी कर्मचारी और डॉक्टर्स के पास सेफ्टी ड्रेस थी और न ही N95 का मास्क । ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि जिम्मेदार विभाग ही लापरवाही करेगा तो संक्रमण को जिले में कैसे रोका जाएगा । क्यों कि संक्रमण को रोकने वाली टीम ही खुद कोरोना संदिग्ध हो चुकी हैं । और आज तक जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को संज्ञान नही ले रहे है। बल्कि कोरोना संदिग्ध व्यक्ति को मामूली बीमारी बता कर टालते नजर आरहे है । ऐसे बड़ा सवाल है कि अब जरूरत है जिला अस्पताल से लेकर एम्बुलेंस कर्मचारियों के कोरोना सेम्पल कराने की ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके ।
इसका एक उदाहरण आपके सामने है जहाँ KJMU के स्वास्थ्य कर्मचारी के इतने एतियाद और सेफ्टी ड्रेस अच्छी क्वालिटी का मास्क पहनने के बाद भी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव निकली थी, तो कानपुर देहात के स्वास्थ्य कर्मचारियों और डाक्टरो के क्या हालात हो सकते है ।
पहला मामला थाना रुरा क्षेत्र से बीती 22 मार्च को एक कोरोना संदिग्ध मरीज एंबुलेंस के माध्यम से जिला अस्पताल लाया गया, जिसमे कोरोना वायरस होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन मरीज जिला अस्पताल आने के बाद मरीज को आईसोलेशन वार्ड में रखा गया और कुछ घंटों इलाज के बाद मरीज की उल्टी के साथ मौत हो गई , लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टरों समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता न लेते हुए, मरीज के शव को परिजनों के हवाले कर दिया, न ही किसी अधिकारी ने शव के सेम्पल करवाये और न ही एतियाद बरती, बल्कि एक माइनर बीमारी से मौत बता कर मामला रफा दफा कर दिया ।दूसरा मामला आज सुबह सामने आया जब भोगनीपुर कोतवाली क्षेत्र के कस्बा पुखरायां का है, जहाँ आज कस्बे के पास हाइवे से एक बस कानपुर नगर की ओर जा रही थी तभी बस में अचानक एक युवक में कोरोना वायरस से बीमारी से ग्रसित होने के लक्षण दिखे, बस में सवार यात्रियों में अफरा तफरी मच गई और यात्रियों ने कोरोना संदिग्ध मानते हुए बस से उतार कर बस अपने गंतव्य की ओर चली गई, तभी कोतवाली क्षेत्र के एक युवक ने अपनी बाइक से कोरोना संदिग्ध युवक को कस्बे के ममता नर्सिंग होम पर ले गया जहाँ नर्सिंग होम के डॉक्टर ने कोरोना वायरस के लक्षण बताते हुए एसडीएम भोगनीपुर को सूचना दी, जिस पर मौके पर पहुचीं स्वास्थ विभाग की एम्बुलेंस ने कोरोना संदिग्ध युवक समेत मददगीर युवक को लेकर जिला अस्पताल ले आये जहा मददगीर युवक को जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने बिना जांच के छोड़ दिया और कोरोना संदिग्ध युवक का सेम्पल लेकर लखनऊ के लिए रिफर कर दिया , कोरोना संदिग्ध युवक सऊदी से लौट कर अपने घर श्रावस्ती जा रहा था ।
वही कस्बा पुखरायां के नर्सिंग होम के डॉक्टर ने आपने नर्सिंग होम को सेनेटाइज तो कर लिया ,लेकिन अभी तक नर्सिंग होम के डाक्टरो व स्टाफ का कोरोना परीक्षण सेम्पल नही लिया गया।
वही चौकाने वाली लापरवाही भी सामने आई मरीज को लाने वाली एम्बुलेंस कर्मचारियों समेत जिला अस्पताल व नर्सिंग होम के किसी डॉक्टर ने न तो सेफ्टी ड्रेस पहनी थी और न ही अच्छे क्वलिटी के मास्क,एसे मे लोगो को जिले का स्वास्थ महकमा कोरोना संक्रामण से बचाएगा या फिर संक्रामण को फैलाएगा | ये विचार एव कार्यवाही योग्य है |
हम आपको बता दे की जब मैंने एंबुलेंस कर्मचारी गोपाल शर्मा से वार्ता की तो कर्मचारी ने बताया की सेफ़्टी ड्रेस से लेकर मास्क को लेकर अधिकारियों से बात की तो सिर्फ एक ही जबाब मिलाता है की सरकार की तरफ से इन सब सुरक्षा उपकरणो का कोई प्रबंध नहीं किया गया |
वही अगर एतियाद बरने की बात की जाए तो न तो प्रसासन उस बस को ट्रेस कर पाया और न ही उस अस्पताल को लाक डाउन कर पाया है | जबकि सूचना पर एसडीएम समेत पुलिस भी मौके पर मौजूद थी | माना जाए देश के इस बड़े संकट मे भी सरकार के निर्देशों आदेशो की खुल कर धज्जिया उड़ाई जा रही है और देश की जनता को खतरे डाला जा रहा है |
ऐसे में प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन से कई सवाल है ,
1- स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर ,कर्मचारी कोरोना वायरस महामारी को गंभीरता से क्यों नही ले रहे,
2- क्या स्वास्थ विभाग पूर्व की तरह आज भी देश के संकट को मजाक समझ रहा है,
3- क्या जिले के स्वास्थ विभाग के अधिकारियों पर किसी भी सरकार अधिकारियों का डर नही,
4 - क्या स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को जनहित में कार्य करने की मंशा नही रही,
5- क्या स्वास्थ विभाग के अधिकारी कर्मचारी डॉक्टर इस बीमारी का इलाज करने से बच रहे है।
6- क्या वास्तव मे सरकार कोरोना वायरस को लेकर सजग नहीं है क्या सरकार सिर्फ हवा मे बाते कर रही है की मास्क सेनेटाइजर समेत तमाम सुरक्षा उपकरण पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध है |
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