मंगलवार, 31 मार्च 2020

देश का भविष्य हाँथ फैला कर पेट भरने को मांग रहा रोटी, नर्सिंग होम ऑनर्स एसोसिएशन बोली हम उठाएंगे जिम्मेदारी। यूटीआई की ग्राउंड रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश में लॉक डाउन  के चलते जहां पूरे प्रदेश में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है भूख के मारे लोग कई सौ किलोमीटर दूर अपने घर के लिए  पैदल पलायन करने को मजबूर हैं। आज हम आपको इस लॉक डाउन के चलते एक ऐसी मलीन बस्ती के बारे में पढ़ाएंगे जहां रह रहे मजदूर परिवारों में नन्हे नन्हे बच्चे भूखे रहने को मजबूर हैं। हालांकि ऐसी स्तिथि सिर्फ कानपुर में ही नही बल्कि पूरे प्रदेश में देखी जा सकती है ।
 मामला कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र स्तिथ मलीन बस्ती का है जहां ऐसे कई भूखे परिवार अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। हालांकि  सरकार के आदेश के बाद शासन प्रशासन के साथ बहुत सारे समाजसेवी इनकी मदद को आगे आए हैं । यही नहीं कानपुर के अलग-अलग जगहों पर चयनित हुए ऐसे भूखे परिवारों को अलग-अलग संस्थानों द्वारा खाना पहुंचाने का काम किया जा रहा है और कोशिश की जा रही है कि शहर में कोई भी मजबूर भूखा ना रहने पाए। भूख से तड़प रहे  मजदूरों की मदद को सामने आए कानपुर के बर्रा स्थित मां कमलांशु नर्सिंग होम के मालिक डॉक्टर एसबी गौर। इन्होंने ना सिर्फ खुद का कम्युनिटी किचन शुरू किया बल्कि चिह्नित कर ऐसे भूखे परिवारों के लिए दोनों वक्त की रोटी की पूर्ण व्यवस्था भी की । आपको बताते चले कि जहां पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉक डाउन के चलते सरकार द्वारा निश्चित समय की छूट दी गई है वही कोशिश की जा रही है कि रोजमर्रा का काम करने वालों के लिए अलग-अलग माध्यम से उनकी पूर्णता मदद की जा सके। आइए आज आपको बताते हैं दरियादिली की वो मिसाल  जिसको सुनने के बाद हर एक मन में मदद के हाथ उठाने के लिए तमन्ना जाग उठती है । कानपुर के बर्रा स्थित मां कमलांशु नर्सिंग होम के मालिक एवं नर्सिंग  होम ऑनर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एस बी कौर ने बताया कि लॉक डाउन होने के बाद उनको ऐसे कई मामले पता चल रहे थे की जहां रोजमर्रा का काम करने वाले मजदूरों को भूखे रहना पड़ रहा था जिसके बाद वह और उनकी टीम एवंम एसोसिएशन के मेंबरान के सहयोग से एक कम्युनिटी किचन का संचालन शुरू किया गया और चयनित हुए ऐसे भूखे मजदूरों को दोनों वक्त की रोटी की व्यवस्था कराई जाने लगी।  ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग में यूटीआई की टीम ने पाया कि उन गरीब परिवारों में बड़े तो बड़े छोटे-छोटे बच्चे भी भूखे रहने को मजबूर हैं ऊपर दी गई फोटो में आप साफ़ देख सकते हैं कि खाना बांटते वक्त किस तरह हमारे देश का भविष्य हाथ फैला कर अपने भूखे पेट के लिए रोटी मांग रहा है।  इलाके में रहने वाले लोगों से बात की गई तो पता चला कि लॉक डाउन के बाद से ही करीब पिछले 2 दिनों से इन परिवारों ने कुछ नहीं खाया था और बेबसी इस हद तक थी कि लोग अपने बच्चों को पानी पिला कर सुला रहे थे ।ऐसे में नर्सिंग होम ओनर्स एसोसिएशन के सामने आने पर लोगों के मन में एक आस की उम्मीद बंधती  नजर आ रही है और इस के साथ  क्षेत्रीय प्रशासन भी इस एसोसिएशन की पहल  की सराहना कर रहा है।



 


लेबल: