अपनों की गैरमौजूदगी में मुस्लिमों ने दिया अर्थी को कंधा, हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार
कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के बीच बुलंदशहर से साम्प्रदायिक सौहार्द मिसाल कायम करने वाली एक खबर आई है. बुलंदशहर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुछ ऐसा किया कि पूरे क्षेत्र में उनकी चर्चा हो रही है. और मीडिया के माध्यम से जब यह खबर आप तक पहुंच रही है तो आप भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनके इस नेक कार्य के लिए सलाम करेंगे.
बुलंदशहर में एक गरीब परिवार के एक सदस्य की रविवार को मौत हो गई. लॉकडाउन के चलते उसकी अर्थी को कंधा देने के उसके बेटे प्रमोद के अलावा अन्य कोई हिंदू मौजूद नहीं था. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मृतक की अर्थी को उसके बेटे के साथ मिलकर कंधा दिया. इस दौरान मुसलमान अर्थी के पीछे-पीछे 'राम नाम सत्य है' बोलते हुए चल रहे थे.
मुस्लिम समुदाय के लोग अर्थी को स्थानीय श्मशान घाट पर ले गए और मृतक के बेटे की उपस्थिति में हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कराया. मृतक का नाम रविशंकर था. वह बुलंदशहर के मोहल्ला आनंद विहार साठा के रहने वाले थे. वह काफी दिनों से बीमार थे और शनिवार को उनका निधन हो गया. मृतक बेटे ने अपने रिश्तेदारों को इसकी सूचना दी, ताकि सभी लोग मृतक के अंतिम संस्कार में आ सकें.
लॉकडाउन के चलते कोई भी आने में समर्थ नहीं हो सका. मुस्लिम समाज के बाबू खां, जाहिद अली प्रधान, मोहम्मद इकराम आदि लोगों ने न सिर्फ मृतक की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शव को कालीनदी श्मशान घाट ले जाकर उसका अंतिम संस्कार भी कराया. यह पूरा मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया. मुस्लिम समाज के लोगों की जमकर सराहना की जा रही है और इसे हिंदू-मुस्लिम एकता की शानदार मिसाल बताई जा रही है जो वास्तव में है भी.
लेबल: उत्तरप्रदेश
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