गुरुवार, 26 मार्च 2020

आशंका यह भी है कि कोरोना से चीन में मरने वाले लोगों की तादाद एक करोड़ से ज्यादा हो सकती है , आखिर कैसे ।

कोरोना वायरस पूरी दुनिया के इंसानी समाज पर कहर बन कर टूट पड़ा है। सेकेंड वल्र्ड वार के बाद ऐसा पहली बार हुआ है किअमेरिका से लेकर कनाडा तक, जापान से लेकर मलेशिया तक, इटली से लेकर जर्मनी तक, भारत से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक, दुनिया की महाशक्तियां घुटने पर आ गई हैं। देश और दुनिया के तमाम बड़े शहरों में अब एक ही नजारा दिख रहा है। जी हां ये नजारा है बंद पड़े बाजारों का। ये नजारा है बंद पड़े स्कूलों का। ये नजारा है सुनसान सड़कों का। ये नजारा है बंद पड़े पार्कों का। ये नजारा है बंद पड़े मेट्रो ट्रेनों का। यूयॉर्क सिटी से लेकर न्यूरमबर्ग तक, मिलान से लेकर मैड्रिड तक, बीजिंग से लेकर बर्लिन तक, कैनबरा से लेकर कैनेक्टिकट तक, तेहरान से लेकर टोक्यो तक, दिल्ली से लेकर दुशांबे तक कोरोना का जानलेवा साम्राज्य कायम हो गया है। भले ही आप दुनिया के अलग-अलग शहरों में रह रहे हों लेकिन आपकी जिंदगी पर कोरोना वायरस का खतरा मौत बन कर मंडरा रहा है।


3 हजार 281 नागरिकों की मौत का दावा कर रही चीन सरकार 
ऐसे में पूरी दुनिया की बड़ी बड़ी रिसर्च इंस्टीट्यूट इस बात पर स्टडी कर रही हैं कि आखिर कोरोना वायरस की इस बला पर चीन की कम्युनिष्ट सरकार क्या कुछ छुपाने में लगी है। चीनी सरकार की मानें तो कोरोना वायरस की वजह से अब तक उसके 3 हजार 281 नागरिकों की मौत हुई है। चीनी सरकार का दावा है कि उसके यहां कोरोना वायरस के 81 हजार 218 मरीज का अभी इलाज चल रहा है। चीनी सरकार के इस दावे पर दुनिया के बड़े देशों को शक है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो चीन में कोरोना वायरस के एटैक से एक करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जी हां आप ये सुनकर हैरान रह गए होंगे कि कोरोना वायरस चीन के एक करोड़ से ज्यादा लोगों को काल के गाल में भेज चुका है। इन दावों के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। 


एक करोड़ से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत: आंकड़े 
आइए बताते हैं कि क्यों इस बात की चर्चा है कि कोरोना वायरस से एक करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत चीन में हो चुकी है। दरअसल इस आंकड़े की चर्चा इसलिए हो रही है कि चीन में पिछले तीन महीने में 21 मिलियन यानी दो करोड़ 10 लाख फोन यूजर एकाएक गायब हो गए हैं। चीन की मोबाइल कंपनियों को लेकर ये जानकारी सामने आई है कि जनवरी 2020 से पहले हर महीने ग्राहकों की संख्या बढ़ रही थी लेकिन जनवरी से मार्च 2020 के बीच 1 करोड़ 50 लाख से ज्यादा एक्टिव मोबाइल यूजर चीन में एकाएक गुम हो गए। ताज्जुब की बात है कि 80 लाख से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो रोज मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे। वे अब कहां हैं किसी को नहीं पता। पहले वे एक्टिव यूजर थे लेकिन अब उनके मोबाइल बंद मिल रहे हैं।


एक करोड़ 50 लाख एक्टिव मोबाइल नंबर गायब 
पिछले कुछ महीनों में चीन से एक करोड़ 50 लाख एक्टिव मोबाइल नंबर गायब हो गए लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो एक से ज्यादा मोबाइल नंबर यूज करते होंगे। अगर 1 करोड़ 50 लाख एक्टिव मोबाइल नंबर अब तक बंद हो चुके हैं तो भी मरने वालों की संख्या लाखों में ही है क्योंकि अगर हर गुम हुआ यूजर चीन में दो मोबाइल नंबर भी इस्तेमाल कर रहा था तो कम हुए लोगों की संख्या 75 लाख तो बनती ही है। वहीं अगर हर शख्स 4 नंबर भी इस्तेमाल कर रहा था जिसकी संभावना काफी कम है तब भी गायब हुए मोबाइल नंबर यूजर की तादाद 37 लाख 50 हज़ार के आंकड़े तक पहुंच जाती है। यानी हर लिहाज से चीनी सरकार कोरोना से मरने वाले लोगों की सही तादाद पर पर्दा डालने में लगी है। यानी कितने ही संभावनाओं का एनालिसिस करें, कितने ही गुणा-गणित लगाएं तो भी हम इस नतीजे पर ही पहुंचेंगे कि चीन में लाखों लोगों की मौत कोरोना वायरस से हुई है। यही वजह है कि चीनी सरकार दुनिया से इस सच्चाई को छुपाने में लगी है।


कोरोना वायरस के फैलने की जांच कर रही WHO
वल्र्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन भी चीन के वुहान प्रोविंस में कोरोना वायरस के फैलने की जांच कर रही है लेकिन चाइनीज गर्वनमेंट ने अपनी जांच में वल्र्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन को शामिल करने से साफ इनकार कर दिया है। वल्र्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन कोरोना वायरस के फैलाव की जांच में हर तरह की मदद चाइनीज गर्वनमेंट को मुहैया कराना चाहती थी लेकिन चीनी सरकार ने वल्र्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। अब डब्ल्यूएचओ की मदद को खारिज करने पर दुनिया के कई देश चीनी सरकार को शक की निगाह से देख रहे हैं।


जानवर के जरिए इंसान में फैला कोरोना: चीनी मीडिया 
चीनी मीडिया का तर्क है कि कोरोना वायरस जानवर के जरिए इंसान में फैला है। चीन के वैज्ञानिक वुहान में इस वायरस के फैलाव के पीछे चमगादड़ या पैंगोलिन जैसे जानवर को जिम्‍मेदार मानते हैं लेकिन वल्र्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन इस तर्क को पूरी तरह से मानने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल इंसान तक किसी वायरस का फैलाव होने में लंबा अरसा लगता है। सार्स जैसी खतरनाक बीमारी के वायरस को फैलने में भी दस साल से ज्यादा का समय लगा था। 


कोविड-19 एक जैविक हथियार है: लैरी क्लेमैन 
जूडिशियल वाच एंड फ्रीडम वाच के को-फाउंडर लैरी क्लेमैन ने आरोप लगाया है कि कोविड-19 चीन के वुहान में बना एक जैविक हथियार है। क्लेमैन का दावा है कि इस वायरस को चीन के लैब में बनाया गया है और चीन स्वतंत्र तरीके से जांच न कराकर कुछ न कुछ जरुर छुपा रहा है। लैरी क्लमैन ने वुहान में स्थित वुहान इंस्टीट्यूट आफ वाइरोलोजी के खिलाफ 20 ट्रिलियन डॉलर का मुकदमा भी दायर किया है। लैरी क्लेमैन ने इस वायरस के लिए चीन की कम्युनिष्ट सरकार और वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलोजी को जिम्मेदार ठहराया है। 


चीन में बड़े पैमाने दिखाई जा रही झूठी खबरें
चीन की कम्युनिष्ट सरकार ने मीडिया को कब्जे में कर रखा है इसलिए चीन में लोगों की बड़े पैमाने पर हुई मौत के बारे में झूठी खबरें दिखाई जा रही हैं। अगर चीन में स्वतंत्र मीडिया होती तो दुनिया को इस वायरस के कहर की सही सही हकीकत पता चल जाती। इस वायरस के कहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रिंस चाल्र्स तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। इसलिए भारत की जनता को कोरोना के कहर से बचने के लिए घरों में ही रहना चाहिए। नहीं तो भारत में भी कोरोना के तांडव से बड़े पैमाने पर लोगों की जान जा सकती है।


 


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