मंगलवार, 31 मार्च 2020

सनातन पञ्चाङ्ग


 


📜 दैनिक हिन्दू पञ्चाङ्ग 📜


🕉️ 31 - मार्च -2020 दिन मंगलवार
🕉️ कानपुर, उत्तर प्रदेश


🕉️  पंचांग    
🔅 तिथि ➖ सप्तमी अगले दिन 27:51 तक
🔅 नक्षत्र ➖ मृगशिरा 18:44 तक ततपश्चात आर्द्रा
🔅 करण ➖ गर 15:39 तक
                     वणिज अगले दिन 27:51 तक
🔅 पक्ष ➖ शुक्ल  
🔅 योग ➖ सौभाग्य 17:53 तक ततपश्चात शोभन
🔅 वार ➖ मंगलवार  


🕉️ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ    
🔅 सूर्योदय ➖ 06:00 पर
🔅 चन्द्रोदय ➖ 10:29 पर
🔅 चन्द्र राशि ➖ वृषभ 06:06: तक ततपश्चात मिथुन
🔅 सूर्यास्त ➖ 18:25 पर
🔅 चन्द्रास्त ➖ अगले दिन 00:37 पर
🔅 ऋतु ➖ वसंत  


🕉️ हिन्दू मास एवं वर्ष    
🔅 शक सम्वत ➖ 1942 (शार्वरी)
🔅 कलि सम्वत ➖ 5121
🔅 दिन काल ➖ 12घंटे 25मिनट
🔅 विक्रम सम्वत ➖ 2077  
🔅 मास अमांत ➖ चैत्र  
🔅 मास पूर्णिमांत ➖ चैत्र  


🕉️ व्रत एवं त्यौहार    
🔅 नवपद ओली प्रारम्भ


🕉️ शुभ समय    
🔅 अभिजित ➖ 11:48 से 12:38 तक


🕉️ अशुभ समय    
🔅 दुष्टमुहूर्त ➖ 08:29 से 09:19 तक
🔅 कंटक ➖ 06:50 से 07:40 तक
🔅 यमघण्ट ➖ 10:09 से 10:58 तक
🔅 राहु काल ➖ 15:19 से 16:52 तक
🔅 कुलिक ➖ 13:27 से 14:17 तक
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम ➖ 08:29 से 09:19 तक
🔅 यमगण्ड ➖ 09:07 से 10:40 तक
🔅 गुलिक काल ➖ 12:13 से 13:46 तक


☀ दिशा शूल    
🔅 उत्तर  


🚨 अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतें 🙏


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कानपुर - थाना नजीराबाद,इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल की ऑफीशियल गाड़ी का किया चालान,गाड़ी में पत्रकार,कैमरा मैन एवम चालक थे मौजूद।

कानपुर,थाना नजीराबाद  एस .ओ साहब  के बड़बोले पन के चलते पत्रकारों में रोष व्याप्त है वजह हर बार एक ही होती है पत्रकारो को वेवजह परेशान करना ,जी है हम बात कर रहे है कानपुर जनपद के नजीराबाद थाना इंचार्ज की इनकी सबसे बड़ी समस्या , लगातार खबरों से रूबरू कराने वाले पत्रकार है जिनसे पता नही ऐसी क्या उलझन  है जिससे एस ओ साहब को बड़ी दिक्कत है पूर्व में भी यह ज़नाब कई मीडिया कर्मियों से  बदतमीजी कर चुके है शासन के आदेशों की खुलेआम अवहेलना करने की तो जैसे इन साहब ने कसम  खा रखी हो । इसी क्रम में आज एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार के साथ अभद्रता करते हुए जनाब ने उसकी गाड़ी का वाकायदा चालान काट दिया ।जबकि उत्तरप्रदेश शासन ने स्पस्ट निर्देश जारी कर रखे है कि किसी भी पत्रकार को वेवजह परेशान न किया जाए । 


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विदेश से आए लोगो को जानकारी न देने व जाँच में कॅरोना संक्रमण पाए जाने पर होगी कारवाही।

जिला अधिकारी ने सूचना के लिए जारी किया कंट्रोल रूम का नम्बर।


उन्नाव । जिलाधिकारी श्री रवीन्द्र कुमार ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को देखते हुये बाहर से आये हुये व्यक्तियों से अपील की है कि दिनांक 12 मार्च 2020 के बाद जो भी व्यक्ति विदेश से आये हैं, वे इसकी सूचना जिलसधिकारी कार्यालय में स्थ्ति कन्ट्रोल रूम नं0 0515-2820707, मो0नं0 9454417161, 9454417164 पर तत्काल उपलब्ध करा दें। यदि विदेश से आये व्यक्ति द्वारा अपनी सूचना समय से नहीं दी जाता है और इसके बाद उनमें कोरोना रोग के लक्षण पाये जाते हैं या अन्य व्यक्ति संक्रमण के शिकार होते हैं तो उनके खिलाफ विधिक कार्यवाई की जायेगी।



 


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3 महीनों के लिए निशुल्क एलपीजी सिलेंडर की गाइड लाइन जारी ,सिलेंडर प्राप्त करने के लिए जाने क्या करना होगा आपको ।

दिनांक 30 मार्च 2020


*UJJWALA REFILL SCHEME*
 *3 महीनों के लिए निशुल्क एलपीजी सिलेंडर ( अप्रैल -जून 2020)*


1. योजना की वैधता: अप्रैल से 30 जून 2020 तक। यह योजना केवल 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर के लिए लागू है।
2. यह प्रस्तावित किया जाता है कि सभी PMUY ग्राहकों के लिंक्ड बैंक खातों में पहली रिफिल के लिए RSP के बराबर राशि हस्तांतरित करने की प्रक्रिया 3 या 4 अप्रैल, 2020 से पहले पूरी कर ली जाएगी।
3. ग्राहक के बैंक खाते में सफल क्रेडिट पर बैंक से पुष्टि प्राप्त करने पर, ग्राहक को ओएमसी द्वारा एक एसएमएस भेजा जाएगा कि वह सिलेंडर बुक करने के लिए आगे बढ़ सकती हैं।
4. वितरक द्वारा सिलेंडर के वितरण पर, लाभार्थी  उपभोक्ता रिफिल कैश मेमो पर मुद्रित मूल्य  के अनुसार  खुदरा मूल्य का भुगतान करेगा।
5. दूसरी रिफिल के लिए, पहली निशुल्क रिफिल की डिलीवरी और उसके बाद की बुकिंग के बीच 15 दिनों के अंतराल पर मौजूदा  प्रतिबंध इस प्रावधान के अधीन होगा कि एक कैलेंडर माह में केवल एक ही सिलेंडर दिया जाएगा।
6. अगले महीने की 2 तारीख तक, ओएमसी उस महीने  खुदरा  विक्रय मूल्य के बराबर अग्रिम राशि के लिए ग्राहक को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करेगा, केवल तभी जब उसने पिछले महीने में रिफिल का लाभ उठाया हो। (यानी यदि ग्राहक ने अप्रैल के लिए अग्रिम प्राप्त किया था, लेकिन कोई रिफिल नहीं लिया था, तो उसे मई के महीने के लिए कोई अग्रिम नहीं मिलेगा)।
7. यदि ग्राहक इस 3 महीने की अवधि में रिफिल नहीं लेता है, तो वह 31 मार्च 2121 तक रिफिल लेने के लिए अग्रिम का उपयोग कर सकता है।
8. ऋण शोधन योजना के तहत मुफ्त रिफिलों की गणना नहीं की जाएगी।
9. ग्राहकों को मौजूदा कैपिंग मानदंडों के अनुरूप सब्सिडी वाले सिलेंडर मिलेंगे।


10. *बुकिंग पद्धति*
10.1 ग्राहक को ओएमसी के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबरों से आईवीआरएस / ग्राहक मोबाइल ऐप / व्हाट्सएप / मिस्ड कॉल पर रिफिल बुकिंग करनी होगी। यदि पीएमयूवाई उपभोक्ता के पास ओएमसी के साथ वैध / पंजीकृत मोबाइल नंबर नहीं हैं, तो उनके लिए इस योजना के लिए  मैनुअल बुकिंग की अनुमति होगी जिसके लिए वितरक को शपथ पत्र देना होगा की ओटीपी का विकल्प संभव नहीं है|
10.2  वर्तमान में सभी पीएम युवा उपभोक्ताओं के रजिस्टर्ड अथवा वैध मोबाइल नंबर ऑयल कंपनी के पास में रजिस्टर्ड नहीं है| ऐसे सभी पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को वितरक के पास अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड करवाना अनिवार्य होगा|


10.3 योजना अवधि में मोबाइल नंबर के केवल एक बार अपडेशन की अनुमति होगी।
10.4 वितरक सिस्टम में ग्राहक के मोबाइल नंबर के सत्यापन / अपडेशन के लिए जिम्मेदार होगा।


11. *वितरण की जाँच*:
अंतिम ग्राहक को दी गई रिफिल डिलीवरी की वास्तविकता की जांच / सत्यापन करना आवश्यक है। इसलिए, निम्न विधियों को वास्तविकता के प्रमाण के रूप में माना जाएगा:
a)  ग्राहक के पंजीकृत मोबाइल नंबर का उपयोग करके डिलीवरी के लिएओटीपी-आधारित पुष्टि या b)  डिलीवरीमैन के पास मोबाइल ऐप से डिलीवरी की पुष्टि जो कि डिलीवरी लोकेशन को कैप्चर करता है या
c)   उपभोक्ता द्वारा शपथ पत्र (जिसके फॉर्मेट को अलग से सूचित किया जाएगा)
d) सभी रिफील वितरण मामलों में,  वितरण के पश्चात ब्लू बुक में  दर्ज किया जाएगा| इसे मुद्रित रूप में, विधिवत हस्ताक्षरित या ग्राहक के अंगूठे के निशान के साथ रिकॉर्ड किया जाएगा। ग्राहक के  हस्ताक्षरित पावती एवं शपथ पत्र को भविष्य के सत्यापन के लिए वितरक द्वारा रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए।


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उन्नाव के औषधि निरीक्षक अजय कुमार संतोषी ने किया दवा मार्केट का निरीक्षण ।

 


उन्नाव।औषधि निरीक्षक अजय कुमार संतोषी ने शहर की दवा मार्केट का निरीक्षण किया और होलसेल दुकानदारों से दवा लाने ले जाने के विषय में जानकारी प्राप्त की और निर्देश दिये कि फुटकर दुकानदार को दवा मिलने में कोई परेशानी न हो और जो लोग दवा लेने आ रहे हैं उनको सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहें। औषधि निरीक्षक ने दवा मार्केट स्थित एवन मेडिकल स्टोर का निरीक्षण किया और संचालक को सख्त निर्देश दिये कि दुकान के बाहर भीड़ न लगने पाये सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने की अपील की जाये। मेडिकल स्टोर के बाहर बने सर्किल को दोबारा ठीक से बनाये और लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने की बात बतायें। उन्होंने निर्देश दिये की कोरोना लाकडाउन के चलते किसी भी व्यक्ति को दवा मिलने में समस्या न हो इसके लिए लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। और नजर रखी जा रही है। सभी होम डिलीवरी के लिए चिन्हित मेडिकल स्टोरों को निर्देश दिये गये है कि जरूरत मंदो को समय पर पर दवा पहुंचे और उनसे लगातार अपील की जाये की घरो पर रहे और कोरोना को हराने में प्रशासन का सहयोग करते रहे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।



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कानपुर में नगर निगम के सैनिटाइजेशन की खुली पोल , राष्ट्रपति निवास के आसपास अभी तक नहीं हुआ सैनिटाइजेशन ।

कानपुर । शहर में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद पूरे शहर में हडकंम्प मच गया था हिसके बाद नगर निगम द्वारा  सैनिटाइजेशन कराने की बात निगम अधिकारियों द्वारा कही गई थी। इसके बाद  मंगलवार को शहर के मोस्ट वीआईपी इलाके दयानंद विहार में हमने हकीकत को जानना चाहा, तो हकीकत कुछ और ही निकली। आपको बता दें कि दयानंद विहार शहर का वह इलाका है जहां पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का निवास है और पूरे इलाके में शहर के सम्मानित लीग रहते हैं। मौके पर यूटीआई टीम ने जाकर क्षेत्रीय लोगों से पूछतांछ की  तो सभी का कहना था नगर निगम के अधिकारी फोन नहीं उठाते और स्वयं से कोई भी अभी तक क्षेत्र में सैनिटाइजेशन करने नहीं आया है । क्षेत्रीय लोगों के चेहरे पर प्रशासन के प्रति गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था । उनका कहना था की नाम का वीआईपी इलाका है , कभी कोई अधिकारी हमारी समस्या पूछने तक  नहीं आता है । अब सवाल है नगर निगम पर जब शहर के वीआईपी इलाके का यह हाल है, तो अन्य इलाको के हालात कैसे होंगे ।


इलाकाई लोगो ने लगाए आरोप ।


क्षेत्र में कोई सैनिटाइजेशन का काम नहीं हुआ है । खुद को सुरक्षित रखना है, इसलिए घर में कैद हैं ।
मानसी


जब राष्ट्रपति निवास के आसपास का यह हाल है तो शहर के अन्य इलाकोंं  की स्थिति क्या होगी यह आप स्वयं समझ सकते हैं ‌।
सचिन


अधिकारियों को फोन किया था उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया । अभी भी समय है सैनिटाइजेशन करके शहर को बचाया जा सकता है । हमारे क्षेत्र में अभी तक कोई भी सैनिटाइजेशन का काम नहीं हुआ है ।
प्रदीप राठौर, केयरटेकर राष्ट्रपति निवास


 


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कानपुर में हिन्दू हित एवं कल्याण फाउंडेशन के वॉलिंटियर्स ने गरीबो में वितरित किया भोजन , बड़ो,बुजुर्गों के साथ बच्चे भी लाइन में दिखे खड़े।

प्रदेश भर में चल रहे लॉक डाउन के चलते गरीब और असहाय लोगों के लिए प्रशासन के साथ-साथ अब अलग-अलग समाज सेवा से  जुड़े संगठन भी सामने आ रहे हैं । जहां जगह-जगह इन समाजसेवियों द्वारा गरीब असहाय लोगों को राशन व खाना बांटा जा रहा है वहीं ध्यान रखा जा रहा है कि शहर में रह रहे गरीब तबके का कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहने पाए।  इसी के चलते आज  कानपुर के हिन्दू हित एवंम कल्याण फाउंडेशन के कर्मठ सदस्यों द्वारा कानपुर के दक्षिण में खाना बांटते हुए आश्वासन दिया गया कि जब तक शहर में लॉक डाउन  चल रहा है तब तक हमारी फाउंडेशन आप सभी लोगों का पूरी तरह से ध्यान रखेगी। फाउंडेशन के राष्ट्रीय महासचिव हिमांशु दीक्षित ने बताया कि हमारे संगठन से जुड़े सभी लोग इस नेक कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और विशेष तौर पर ध्यान रख रहे हैं कि शहर का कोई भी गरीब असहाय परिवार भूखा न रहने पाए । बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि खाना  लेने की होड़ में बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी बड़ी मात्रा में आ रहे हैं। सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में लोक डाउन के आदेश के बाद सिर्फ प्रशासन ही नहीं बल्कि हमारी फाउंडेशन भी सरकार द्वारा गरीबो को मुहैया करा रही संसाधनों में पूरा हाथ बंटा रही हैं । आपको बता दें कि आज लॉक डाउन के धीरे धीरे 10 दिन बीत चुके हैं । और इसकी गम्भीरता को समझते हुए लोगों ने घर से निकलना लगभग बंद कर दिया है वही ऐसे पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए कानपुर नगर में हमारी फाउंडेशन के साथ-साथ कई समाजसेवी संस्थाओं ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। फाउंडेशन के जिला पर्यवेक्षक  राम सिंह चौहान व सहियोगी विष्णु शर्मा , शंकर सोनी इत्यादि लोगो ने इस पहल की पूरी जिम्मेदारी संभालने का बीड़ा उठाया है ।आज के इस भोजन वितरण में मुख्य रूप से फाउंडेशन से जुड़े शंकर सोनी , विष्णु शर्मा ,राम सिंह चौहान ,मुकेश कुमार ,गुलाब सोनी आदि लोग मौजूद रहे।




 


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देश का भविष्य हाँथ फैला कर पेट भरने को मांग रहा रोटी, नर्सिंग होम ऑनर्स एसोसिएशन बोली हम उठाएंगे जिम्मेदारी। यूटीआई की ग्राउंड रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश में लॉक डाउन  के चलते जहां पूरे प्रदेश में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है भूख के मारे लोग कई सौ किलोमीटर दूर अपने घर के लिए  पैदल पलायन करने को मजबूर हैं। आज हम आपको इस लॉक डाउन के चलते एक ऐसी मलीन बस्ती के बारे में पढ़ाएंगे जहां रह रहे मजदूर परिवारों में नन्हे नन्हे बच्चे भूखे रहने को मजबूर हैं। हालांकि ऐसी स्तिथि सिर्फ कानपुर में ही नही बल्कि पूरे प्रदेश में देखी जा सकती है ।
 मामला कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र स्तिथ मलीन बस्ती का है जहां ऐसे कई भूखे परिवार अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। हालांकि  सरकार के आदेश के बाद शासन प्रशासन के साथ बहुत सारे समाजसेवी इनकी मदद को आगे आए हैं । यही नहीं कानपुर के अलग-अलग जगहों पर चयनित हुए ऐसे भूखे परिवारों को अलग-अलग संस्थानों द्वारा खाना पहुंचाने का काम किया जा रहा है और कोशिश की जा रही है कि शहर में कोई भी मजबूर भूखा ना रहने पाए। भूख से तड़प रहे  मजदूरों की मदद को सामने आए कानपुर के बर्रा स्थित मां कमलांशु नर्सिंग होम के मालिक डॉक्टर एसबी गौर। इन्होंने ना सिर्फ खुद का कम्युनिटी किचन शुरू किया बल्कि चिह्नित कर ऐसे भूखे परिवारों के लिए दोनों वक्त की रोटी की पूर्ण व्यवस्था भी की । आपको बताते चले कि जहां पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉक डाउन के चलते सरकार द्वारा निश्चित समय की छूट दी गई है वही कोशिश की जा रही है कि रोजमर्रा का काम करने वालों के लिए अलग-अलग माध्यम से उनकी पूर्णता मदद की जा सके। आइए आज आपको बताते हैं दरियादिली की वो मिसाल  जिसको सुनने के बाद हर एक मन में मदद के हाथ उठाने के लिए तमन्ना जाग उठती है । कानपुर के बर्रा स्थित मां कमलांशु नर्सिंग होम के मालिक एवं नर्सिंग  होम ऑनर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एस बी कौर ने बताया कि लॉक डाउन होने के बाद उनको ऐसे कई मामले पता चल रहे थे की जहां रोजमर्रा का काम करने वाले मजदूरों को भूखे रहना पड़ रहा था जिसके बाद वह और उनकी टीम एवंम एसोसिएशन के मेंबरान के सहयोग से एक कम्युनिटी किचन का संचालन शुरू किया गया और चयनित हुए ऐसे भूखे मजदूरों को दोनों वक्त की रोटी की व्यवस्था कराई जाने लगी।  ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग में यूटीआई की टीम ने पाया कि उन गरीब परिवारों में बड़े तो बड़े छोटे-छोटे बच्चे भी भूखे रहने को मजबूर हैं ऊपर दी गई फोटो में आप साफ़ देख सकते हैं कि खाना बांटते वक्त किस तरह हमारे देश का भविष्य हाथ फैला कर अपने भूखे पेट के लिए रोटी मांग रहा है।  इलाके में रहने वाले लोगों से बात की गई तो पता चला कि लॉक डाउन के बाद से ही करीब पिछले 2 दिनों से इन परिवारों ने कुछ नहीं खाया था और बेबसी इस हद तक थी कि लोग अपने बच्चों को पानी पिला कर सुला रहे थे ।ऐसे में नर्सिंग होम ओनर्स एसोसिएशन के सामने आने पर लोगों के मन में एक आस की उम्मीद बंधती  नजर आ रही है और इस के साथ  क्षेत्रीय प्रशासन भी इस एसोसिएशन की पहल  की सराहना कर रहा है।



 


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क्या यही रिश्ते कहलाते है , या तिरस्कार__मजबूरी जैसे शब्द ज्यादा सटीक है ।

 


तिरस्कार_या_मजबूरी
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गोपाल किशन जी एक सेवानिवृत अध्यापक हैं । सुबह दस बजे तक ये एकदम स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे । शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं ।


परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते *मार्शल* का बसेरा है । गोपाल किशन जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने बच्चे की तरह पालकर इसको नाम दिया *मार्शल* 
इस कमरे में अब गोपाल किशन जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं ।दोनों बेटों -बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये ।


सरकार द्वारा जारी किये गये नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मुहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया । साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए, हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की कोई एक बूढी अम्मा आई और गोपाल किशन जी की पत्नी से बोली -"अरे कोई इसके पास दूर से खाना भी सरका दो , वे अस्पताल वाले तो इसे भूखे को ही ले जाएँगे उठा के" ।


अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देनें के लिये कौन जाए । बहुओं ने खाना अपनी सास को पकड़ा दिया अब गोपाल किशन जी की पत्नी के हाथ , थाली पकड़ते ही काँपने लगे , पैर मानो खूँटे से बाँध दिये गए हों ।


इतना देखकर वह पड़ोसन बूढ़ी अम्मा बोली "अरी तेरा तो पति है तू भी ........। मुँह बाँध के चली जा और दूर से थाली सरका दे वो अपने आप उठाकर खा लेगा" । सारा वार्तालाप गोपाल किशन जी चुपचाप सुन रहे थे , उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से उन्होंने कहा कि "कोई मेरे पास ना आये तो बेहतर है , मुझे भूख भी नहीं है" ।


इसी बीच एम्बुलेंस आ जाती है और गोपाल किशन जी को एम्बुलेंस में बैठने के लिये बोला जाता है । गोपाल किशन जी घर के दरवाजे पर आकर एक बार पलटकर अपने घर की तरफ देखते हैं । पोती -पोते First floor की खिड़की से मास्क लगाए दादा को निहारते हुए और उन बच्चों के पीछे सर पर पल्लू रखे उनकी दोनों बहुएँ दिखाई पड़ती हैं । Ground floor पर, दोनों बेटे काफी दूर, अपनी माँ के साथ खड़े थे ।


विचारों का तूफान गोपाल किशन जी के अंदर उमड़ रहा था । उनकी पोती ने उनकी तरफ हाथ हिलाते हुए Bye कहा । एक क्षण को उन्हें लगा कि 'जिंदगी ने अलविदा कह दिया'


गोपाल किशन जी की आँखें लबलबा उठी । उन्होंने बैठकर अपने घर की देहरी को चूमा और एम्बुलेंस में जाकर बैठ गये ।


उनकी पत्नी ने तुरंत पानी से भरी बाल्टी घर की उस देहरी पर उलेड दी जिसको गोपाल किशन चूमकर एम्बुलेंस में बैठे थे ।


इसे तिरस्कार कहो या मजबूरी , लेकिन ये दृश्य देखकर कुत्ता भी रो पड़ा और उसी एम्बुलेंस के पीछे - पीछे हो लिया जो गोपाल किशन जी को अस्पताल लेकर जा रही थी ।


गोपाल किशन जी अस्पताल में 14 दिनों के अब्ज़र्वेशन पीरियड में रहे । उनकी सभी जाँच सामान्य थी । उन्हें पूर्णतः स्वस्थ घोषित करके छुट्टी दे दी गयी । जब वह अस्पताल से बाहर निकले तो उनको अस्पताल के गेट पर उनका कुत्ता मार्शल बैठा दिखाई दिया । दोनों एक दूसरे से लिपट गये । एक की आँखों से गंगा तो एक की आँखों से यमुना बहे जा रही थी ।


जब तक उनके बेटों की लम्बी गाड़ी उन्हें लेने पहुँचती तब तक वो अपने कुत्ते को लेकर किसी दूसरी दिशा की ओर निकल चुके थे ।


उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिये । आज उनके फोटो के साथ उनकी गुमशुदगी की खबर छपी है अखबार में लिखा है कि सूचना देने वाले को 40 हजार का ईनाम दिया जायेगा ।


*40 हजार - हाँ पढ़कर ध्यान आया कि इतनी ही तो मासिक पेंशन आती थी उनकी जिसको वो परिवार के ऊपर हँसते गाते उड़ा दिया करते थे।*


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सोमवार, 30 मार्च 2020

सनातन पञ्चाङ्ग


📜 दैनिक हिन्दू पञ्चाङ्ग 📜


🕉️ 30 - मार्च -2020 दिन सोमवार
🕉️ कानपुर, उत्तर प्रदेश


🕉️  पंचांग    
🔅 तिथि ➖ षष्ठी अगले दिन 03:16 तक
🔅 नक्षत्र ➖ रोहिणी अगले दिन 05:18तक
🔅 करण ➖ कौलव 14:44 तक
                    तैतिल अगले दिन 03:16 तक
🔅 पक्ष ➖ शुक्ल  
🔅 योग ➖ आयुष्मान 18:18 तक ततपश्चात सौभाग्य
🔅 वार ➖ सोमवार  


🕉️ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ    
🔅 सूर्योदय ➖ 06:01 पर
🔅 चन्द्रोदय ➖ 09:42 पर
🔅 चन्द्र राशि ➖ वृषभ  
🔅 सूर्यास्त ➖ 18:25 पर
🔅 चन्द्रास्त ➖ 23:40 पर
🔅 ऋतु ➖ वसंत  


🕉️ हिन्दू मास एवं वर्ष    
🔅 शक सम्वत ➖ 1942 (शार्वरी)
🔅 कलि सम्वत ➖ 5121
🔅 दिन काल ➖ 12घंटे 23मिनट
🔅 विक्रम सम्वत ➖ 2077
🔅 मास अमांत ➖ चैत्र  
🔅 मास पूर्णिमांत ➖ चैत्र  


🕉️ व्रत एवं त्योहार
🔅 यमुना छठ, स्कन्द षष्ठी, रोहिणी व्रत


🕉️ शुभ समय    
🔅 अभिजित ➖ 11:48 से 12:38 तक


🕉️ अशुभ समय    
🔅 दुष्टमुहूर्त ➖ 12:38 से 13:27 तक
                         15:07 से 15:56 तक
🔅 कंटक ➖ 08:30 से 09:30 तक
🔅 यमघण्ट ➖ 11:48 से 12:38 तक
🔅 राहु काल ➖ 07:34:21 - 09:07 तक
🔅 कुलिक ➖ 15:07 से 15:5 तक
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम ➖ 10:09 से 10:59 तक
🔅 यमगण्ड ➖ 10:40 से 12:13 तक
🔅 गुलिक काल ➖ 13:46 से 15:19 तक


🕉️ दिशा शूल    
🔅 पूर्व   


🚨 अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतें 🙏


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कानपुर में बोला मासूम : कोरोना से नही भूख से चली जायेगी जान कल्याणपुर के मसवानपुर का मामला।

उत्तर प्रदेश में लॉक डाउन के चलते प्रदेश का सबसे निचला वर्ग मजदूरों पर इसका सबसे भारी असर देखने को मिल रहा है बंदी के दौरान जहां लोगों को रोजमर्रा के सामान की किल्लत होती जा रही है वही कई परिवार ऐसे भी हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। ऐसे परिवारों के पास न तो पैसा है और ना ही खाने का राशन । ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर सरकार की तमाम तैयारियां व वायदे खोखले दिखते नजर आ रहे हैं।  कानपुर के कल्याणपुर स्थित केशव पुरम में एक मजदूर परिवार से 5 वर्षीय भूखा बच्चा अपने खाली हाथ लेकर बट रहे खाने के पैकेट को लेता  हुआ नजर आया।
मामला कानपुर के कल्याणपुर स्थित केशवपुरम का है जहां बंदी के चलते कई परिवार रोटी को तरस रहे हैं ऐसे में पुलिस प्रशासन के साथ कुछ समाजसेवी  कम्युनिटी किचन बनाकर भूखे लोगों के बीच खाना बांट कर उनकी भूूूख मिटा रहे है । कल्याणपुर के रहने वाले एक समाजसेवी सुनीत द्विवेदी ने बताया कि प्रशासन के साथ मिलकर हमारी संस्था रोजाना करीब 1000 भूखे परिवारों का पेट भर रही है जिसके चलते आज केशव पुरम के मस्वानपुर इलाके में मजदूरों के बीच खाना वितरण किया गया जिसमें एक 5 वर्षीय मासूम बच्चा खाना लेने के लिए आगे आया और जब उससे पूछा गया कि तुम कितने दिनों से खाने का इंतजार कर रहे हो तो आपको बताते चलें कि उसके जवाब ने वहां मौजूद लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया । उसका कहना था मम्मी पापा काम पर नहीं जा पा रहे , घर में खाने को कुछ है नहीं , तो क्या करूं आप जैसे अंकल लोगों का ही सहारा है जो मुझे और मेरे परिवार का पेट पालने के लिए आगे आ रहे हैं । बच्चे द्वारा दिए गए जवाब ने वहां मौजूद सभी लोगों को हिला कर रख दिया।  फिलहाल इलाके की पुलिस और समाजसेवी द्वारा यह वादा किया गया है कि जब तक प्रदेश में लोक डाउन की स्थिति बनी हुई है तब तक हमारे द्वारा सुबह शाम इसी तरह खाना बांटा जाता रहेगा और यही नहीं वहां मौजूद सभी लोगों से अपील की गई है कि अगर ऐसा कोई परिवार है जिनके पास खाने को रोटी नहीं है तो वह हमसे संपर्क कर अपने और अपने परिवार का पेट भरने के लिए खाना ले सकते हैं।  इलाके के समाजसेवी पुनीत द्विवेदी ने बताया कि लॉक डाउन जैसी भयानक स्थिति के चलते हमारी कोशिश है कि कोई भी परिवार भूखा ना रहने पाए और इसमें प्रशासन भी हमारी पूरी मदद कर रहा है। यूटीआई टीम  से खास बातचीत करते हुए सुनीत ने बताया कि सिर्फ कल्याणपुर ही नहीं बल्कि पूरे शहर में अगर इस तरीके का कोई मामला सामने आता है तो हम सब उनकी सेवा में हर वक्त मौजूद है फिलहाल हमारे द्वारा खाना बांटा जा रहा है और अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे परिवारों को कच्चा राशन भी मुहैया कराने की तैयारी चल रही है।



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लॉक डाउन के बाद भी कानपुर के जाजमऊ पुल पर लगा भीषण जाम

     एक तरफ देश में लॉक डाउन को लेकर सरकार द्वारा शासन प्रशासन को दिए गए निर्देशों को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। वहीं अन्य जनपदों से आए लोगों की भीड़ ने इस लॉक डाउन की पोल खोल कर रख दी है। जाजमऊ गंगा पुल पर भीषण जाम इसी बात का सबूत है, कि किसी को भी इस लॉक डाउन की परवाह नहीं है। यही इस जाम का मुख्य कारण है।


     हालांकि बात की जाए तो यह भीषण जाम जिसमें जरूरत की सामग्रियों के लिए ट्रक और बसें व आपातकालीन स्थितियों में वाहनों को जाने की परमिशन है। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में वाहनों का रेला जिस तरीके से पुल पर एक के पीछे एक है। उसे देखकर तो यही लगता है कि इन सभी को कोरोनावायरस का डर नहीं है। और खुलेआम लॉक डाउन का उल्लंघन करने में जुट गए हैं।


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कानपुर के कल्याणपुर में बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग धड़ाम , एक दूसरे से लाइन में चिपक कर खड़े लोग।

उत्तर प्रदेश में जहां जगह जगह सोशल डिस्टेंसिंग का लोग मज़ाक उड़ाते नज़र आ रहे हैं वहीं कानपुर के कल्याणपुर में अब बैंको में भी इसका पालन नही होता नजर आ रहा है । जबकि सरकार द्वारा साफ कर दिया गया था की कोरोना जैसी महामारी फैलने की सबसे बड़ी वजह लोगो के एक दूसरे के संपर्क में आने से होती है । बाबजूद इसके इस महामारी के लक्षण को लोग समझने के लिए तैयार नही है इसकी जीती जागती तस्वीर है कानपुर के कल्याणपुर स्तिथ इलाहाबाद बैंक के बाहर लगी खाताधारकों की भीड़ । सोमवार को कल्याणपुर क्षेत्र के बैंकों के बाहर लगी लाइन में सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था धड़ाम होते दिखाई दे रही हैै ‌। लाक डाउन के दौरान सरकार ने एक मीटर दूरी बनाकर सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था रखने को कहा है मगर कल्याणपुर पनकी रोड स्थित इलाहाबाद बैंक की एक तस्वीर हमारी कैमरे में कैद हुई । जिसमें बैंक के बाहर लगी लाइन में एक-दूसरे से बिल्कुल सट कर लोग खड़े थे। कुछ ऐसा ही नजारा क्षेत्र के अन्य बैंकों में भी देखने को मिला । ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए जहां पुुरा देेेश इस भयावक स्तिथि से निपटने के लिए तरह तरह के कष्ट झेल रहा है वही ऐसी लापरवाह पब्लिक का क्या कहना जो महामारी को सह कर आमंत्रित कर रहे हैं ।



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कानपुर के कल्याणपुर में बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग धड़ाम , एक दूसरे से लाइन में चिपक कर खड़े लोग।

उत्तर प्रदेश में जहां जगह जगह सोशल डिस्टेंसिंग का लोग मज़ाक उड़ाते नज़र आ रहे हैं वहीं कानपुर के कल्याणपुर में अब बैंको में भी इसका पालन नही होता नजर आ रहा है । जबकि सरकार द्वारा साफ कर दिया गया था की कोरोना जैसी महामारी फैलने की सबसे बड़ी वजह लोगो के एक दूसरे के संपर्क में आने से होती है । बाबजूद इसके इस महामारी के लक्षण को लोग समझने के लिए तैयार नही है इसकी जीती जागती तस्वीर है कानपुर के कल्याणपुर स्तिथ इलाहाबाद बैंक के बाहर लगी खाताधारकों की भीड़ । सोमवार को कल्याणपुर क्षेत्र के बैंकों के बाहर लगी लाइन में सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था धड़ाम होते दिखाई दे रही हैै ‌। लाक डाउन के दौरान सरकार ने एक मीटर दूरी बनाकर सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था रखने को कहा है मगर कल्याणपुर पनकी रोड स्थित इलाहाबाद बैंक की एक तस्वीर हमारी कैमरे में कैद हुई । जिसमें बैंक के बाहर लगी लाइन में एक-दूसरे से बिल्कुल सट कर लोग खड़े थे। कुछ ऐसा ही नजारा क्षेत्र के अन्य बैंकों में भी देखने को मिला । ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए जहां पुुरा देेेश इस भयावक स्तिथि से निपटने के लिए तरह तरह के कष्ट झेल रहा है वही ऐसी लापरवाह पब्लिक का क्या कहना जो महामारी को सह कर आमंत्रित कर रहे हैं ।



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लॉक डाउन की ढील का समय खत्म होते ही प्रशासन हुआ सख्त , पुलिस ने मेंन रोड पर लगाई बैरिगेटिंग।

उत्तर प्रदेश में लोक डाउन के चलते सरकार द्वारा आम जनता को पर्याप्त ढील दी जा रही है । सुबह 6:00 से 11:00 बजे तक  रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिए दी जा रही छूट के बावजूद आम जनता लॉक डाउन  मानने को तैयार नहीं है जबकि ढील के दौरान प्रशासन भी लोगों का पूरा सहयोग करता नजर आ रहा है। मगर कानपुर की आम जनता लॉक डाउन का समय समाप्त होने के बावजूद रोड पर घूमती नजर आ रही है जिसके लिए ना चाहते हुए भी पुलिस को सख्त रवैया अपनाना पड़ रहा है।


मामला कल्याणपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत जीटी रोड स्थित गुरुदेव चौराहे का है  जहां ढील का समय समाप्त होने के बाद पुलिस प्रशासन ने तत्काल तत्परता दिखाते हुए रोड पर आवाजाही कर रहे लोगों को रोकना शुरू कर दीया और मेन रोड पर बैरिगेटिंग लगा कर आने जाने वाली गाड़ियों को  चेक किया जाने लगा । इस दौरान पुलिस को कही कही सख्त रवैया भी अपनाना पड़ा। मौके पर पुलिस के साथ सिविल डिफेंस कर्मी भी उनकी इस कार्यवाही में हाँथ बटाते हुए नज़र आये । वही सीविल डिफेंस कर्मियों द्वारा सायरन बजा कर लोगो को ढील की समय सीमा समापत होने का इशारा भी किया गया ।



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फतेहपुर मे जनपद की ग्राम प्रधान महिलाओं ने थानाध्यक्ष के सहयोग से भोजन वितरण किया

     उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के विकास खडं की हस्वा  ग्राम प्रधान कमलेश कुमारी सिंह एवं रमवा पंथुवा ग्राम प्रधान सीमा सिंह और आंबापुर ग्राम प्रधान मो वहीद अहमद आदि लोगों ने गैर प्रातों से अपने घर लौट रहे परदेसियों को नेशनल हाईवे के आंबापुर में खाना खिलाया।‌ स्टाल देखते ही ट्रकों व बसों में लदे भूखे प्यासे लोग स्टालों में भोजन लेने के लिए टूट पड़े।


     सोमवार को थरियांव पुलिस व क्षेत्र के ग्राम प्रधान ने आंबापुर में एक होटल के सामने स्टाल लगाया। जिसमें गाडियों से भरकर वापस आ रहे करीब सात हजार राहगीरों ने खाना। सुबह से ही ट्रकों व डीसीएम में भरकर लोग निकल रहे थे। स्टाल देखकर ड्राइवर ने गाडियां रोंकी तो लोग खाने में टूट पड़े। पुलिस फोर्स व लोगों के मना करने के बावजूद भी लोग आपस में दूरी नहीं बना रहे थे।


     बिलंदा व्यापार मंडल के अध्यक्ष अंकित गुप्ता की अगुवाई में दो दिन भोजन की व्यवस्था की गई। मंसू पाल, राजू पाल राहुल गुप्ता ने सहयोग दिया। एसओ विनोद कुमार, हस्वा पुलिस चौकी प्रभारी, प्रशांत कटियार एवं सिपाही मनोज कुमार, नीलम, अनिमिका भी मौके पर खाना खिलाने के लिये राहगीरों को रोका। आंबापुर ग्राम प्रधान वहीद अहमद, ग्राम प्रधान आन्दपाल सिंह ग्राम हस्वा वाहिद ने भी सहयोग किया।


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कानपुर देहात में बाहर से गांव लौटे लोगों का स्कूल में रहने का किया गया प्रबंध

कानपुर देहात में कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए जिले में वापस आए सभी लोगों को पंचायत भवनों व स्कूलों में रोका जा रहा है। ऐसे में वापस आए लोगों के परिजनों से मदद भी ली जा रही है। ताकि उनके बिस्तर आदि की व्यवस्था हो जाए और वह आराम से 14 दिन तक रुक सके। अकबरपुर तहसील क्षेत्र के भोगनियापुर में भी स्कूल में लोगों के रुकने की व्यवस्था करने के साथ ही उनको भोजन भी कराया जा रहा है।


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दिल्ली में मिले 175 कोरोना के संदिग्ध एक की मौत


     दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन दरगाह करीब 175 लोगों को जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया इन्हीं लोगों में शामिल तमिलनाडु के रहने वाले एक शख्स की मौत भी हो गई है। मौत का कारण अभी साफ नहीं हो पाया है।
 इन 175 लोगों में करीब 15 देशों के 100 से ज्यादा नागरिक भी शामिल है। विदेशियों में बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब, इंग्लैंड और चीन आदि के नागरिक शामिल है। इस घटना के बाद हड़कंप


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समीक्षा बैठक में सीएम योगी ने लगाई अधिकारियों की फटकार

कोरोना वायरस के संक्रमण से उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर टॉप पर है और यहां संक्रमण से पीड़ितों की संख्या 37 हो गई है। हालात बदतर हुए तो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लॉकडाउन के बीच सोमवार को नोएडा पहुंचे। यहां पर उन्होंने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री की नाराजगी का आलम यह है कि उन्होंने भरी मीटिंग में न केवल प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की क्लास लगाई बल्कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई तक के संकेत दे दिए। फिलहाल मीटिंग जारी है


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बरेली में मजदूरों को पुलिस ने बीच सड़क पर नहला कर किया सैनिटाइज, हुआ विवाद

     उत्तर प्रदेश के बरेली में पलायन कर आए मजदूरों को पुलिस ने बीच सड़क पर बिठाकर सैनिटाइजर से नहला दिया। अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती के साथ-साथ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसे अमानवीय कृत्य करार दिया, और कड़ी निंदा भी की है। तीनों नेताओं ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है।


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चीन में 3300 नहीं 42,000 लोगों की हुई कोरोना से मौत, स्थानीय लोगों का दावा

     चीन सरकार का कहना है, कि कोरोनावायरस से सिर्फ 33 सौ लोगों की मृत्यु हुई है। जबकि बुहान के स्थानीय लोगों का मृतकों को लेकर किया गया दावा है कि चीनी अधिकारियों की ओर से दिए गए आंकड़ों के 10 गुने से भी ज्यादा लोग मरे हैं। लोगों का कहना है, कि अलग-अलग शवदाह गृह से परिजनों को रोज 500 अस्थि कलश दिए जा रहे थे। ऐसे सात शवदाह गृह हैं, यानी कि रोज करीब 35 सौ लोगों को अस्थि कलश दिए जा रहे थे।


     डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोगों ने खुद बताया कि कोरोनावायरस की वजह सिर्फ वुहान में ही लगभग 42 हजार लोगों की मौत हुई है। हुबोई प्रोविंस के अधिकारियों से जुड़े एक सूत्र का कहना है, कि कई लोग ऐसे हैं जो बिना किसी जांच के अपने घरों में ही मर गए। सूत्रों के मुताबिक यहां एक महीने में ही 28 हजार शवों का दाह संस्कार किया गया था।


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अगर भारत नहीं संभला तो हर गांव होगा कोरोना का गढ़

    भारत में कोरोना के चलते 32 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1190 लोग इससे संक्रमित हैं। WHO की प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है, कि अगर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखेंगे तो यह भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। जो लोग प्रवासी और मजदूर हैं वह लॉक डाउन में अपने घरों के लिए पैदल निकल चुके हैं, इससे इसका खतरा और भी बढ़ जाता है। देश के ग्रामीण इलाकों में इसकी जांच सघन होनी चाहिए जिससे कोरोनावायरस वहां पर भी महामारी का रूप ना ले ले।


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कोरोना से जूझती जनता को छोड़ 20 महिलाओं के साथ थाईलैंड के राजा फरार


     थाईलैंड के राजा वजीरालोंगकॉर्न उर्फ राम दशम करोना से जूझ रही अपनी जनता को संकट में छोड़कर जर्मनी चले गए हैं। यहां उन्होंने एक आलीशान होटल को अपना किला बनाया है। वह अपने साथ 20 महिलाओं को लेकर गए हैं, जो होटल के हरम में रहेंगी। जबकि कोरोना वायरस की आशंका के चलते उन्होंने अपने परिवार के 119 लोगों को वापस थाईलैंड भेज दिया है। राजा ऐसे समय देश छोड़कर भागा है, जब जनता महामारी के प्रकोप से जूझ रही है। इसी बीच राजा के संकट के समय जर्मनी भागने को लेकर देश में हजारों लोग गुस्से में हैं। सोशल मीडिया पर लोग राजा की आलोचना कर रहे हैं। जबकि देश में राजा की आलोचना या अपमान करने पर 15 साल जेल की सजा का प्रावधान है। देश में हमें राजा की क्या जरुरत हैशटैग ट्रेंड कर रहा है।  


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भारत में कोरोना वायरस: मोदी सरकार का इनकार, देश में आगे नहीं बढ़ेगा लॉकडाउन

केंद्र सरकार ने साफ किया है कि कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में जारी 21 दिनों का लॉकडाउन आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। बता दें कि ऐसी चर्चा थी कि लॉकडाउन को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने साफ किया कि उसकी ऐसी कोई योजना नहीं है


कैबिनेट सेक्रटरी राजीव गाबा ने आज साफ किया कि सरकार की लॉकडाउन बढ़ाने की योजना नहीं है। उन्होंने कहा, 'मैं लॉकडाउन बढ़ाने की रिपोर्ट देखकर चौंक रहा हूं। सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है।'


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यूपी : युवक ने रात में फोन कर पुलिस से मंगवाए समोसे, डीएम ने पकड़कर नाली साफ करवाई

लॉकडाउन के कारण लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो और उन्हें जरूरत के सामान घर में ही उपलब्ध हों इसके लिए पुलिस प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है। लोगों से अपील की जा रही है कि वो घरों में ही रहें और प्रशासन द्वारा जारी किए गए नंबरों पर कॉल कर आवश्यक सामान मंगवाएं



ऐसे में इस व्यवस्था का दुरुपयोग करने वालों की भी कमी नहीं है। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में डोरस्टेप डिलीवरी की इस व्यवस्था की आड़ में पुलिस के साथ मजाक करना एक युवक को भारी पड़ गया। रामपुर के रहने वाले एक युवक ने रविवार रात हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर पुलिस को उसके घर चार समोसे पहुंचाने को कहा। 


पुलिस ने युवक की बदमाशी समझते हुए उसे एक बार मना किया, लेकिन चेतावनी देने के बाद भी वह नहीं माना तो पुलिस को मजबूरन उसके घर तक समोसे पहुंचाने पड़े। पुलिस ने उसे समोसा तो दिया, लेकिन साथ ही सरकारी सुविधा का दुरुपयोग करने के कारण उसे सजा भी दी गई।


रामपुर से डीएम ने रविवार रात ट्वीट कर के बताया कि युवक चार समोसे भिजवाने की जिद पर अड़ा हुआ था। उसे चेतावनी दी गई, लेकिन इसके बावजूद नहीं मानने पर पुलिस को समोसा भिजवाना पड़ा। ऐसा करके उसने कंट्रोल रूम को परेशान करने का काम किया।

इसकी सजा में उससे सामाजिक कार्य के तहत नाली सफाई करवाई गई। डीएम ने नाली साफ करवाने के दौरान समोसा मंगवाने वाले युवक की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा 'नाली साफ कर सामाजिक कार्य में योगदान देकर प्रशासन को सहयोग देते व्यवस्था का दुरुपयोग करने वाले व्यक्ति।'

डीएम ने आगे लिखा कि राष्ट्रीय आपदा के समय आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे जिम्मेदार नागरिक बनें। स्वस्थ रहें। सुरक्षित रहें।


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पाकिस्तान के कराची शहर में हिंदुओं को प्रशासन ने किया राशन देने से मना



     पाकिस्तान के कराची शहर में हिंदुओं से कहा गया है कि यह राशन केवल मुस्लिमों के लिए है। जिसकी वजह से हिंदुओं में काफी गुस्सा है। सिंध सरकार ने आदेश दिया है, कि लॉकडाउन के मद्देनजर दिहाड़ी कामगारों और मजदूरों को स्थानीय एनजीओ और प्रशासन की तरफ से राशन दिया जाए। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए प्रशासन हिंदुओं से बोल रहा है कि वे राशन के हकदार नहीं हैं।


     प्रशासन का कहना है कि राशन केवल मुस्लिमों के लिए आया है। केवल यही नहीं तीन हजार लोग राशन लेने के लिए इकट्ठा हुए लेकिन उनकी स्क्रिनिंग के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। जानकारी के अनुसार हिंदुओं को ल्यारी, सचल घोठ, कराची के अन्य हिस्सों के साथ पूरे सिंध में राशन देने से मना किया जा रहा है। राजनीतिक कार्यकर्ता डॉक्टर अमजद अयूब मिर्जा ने चेतावनी दी है कि अल्पसंख्यक समुदाय गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है।



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लॉक डाउन के बाद भी उन्नाव में लेदर फैक्ट्री चालू, चमड़ा उबालकर खेतों में फैलाये जाने से ग्रामीण परेशान,

 


लॉक डाउन के बाद भी उन्नाव में लेदर फैक्ट्री चालू,
चमड़ा उबालकर खेतों में फैलाये जाने से ग्रामीण परेशान,


नाराज ग्रामीणों ने फैक्ट्री पहुंच कर बंद करवाया काम,


सैकड़ो की संख्या में पहुंचे ग्रामीण कर रहे हंगामा,


कोतवाली उन्नाव के दही चौकी गजौली गांव के पास का मामला।।


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लॉक डाउन के बीच पेट पालने की जुगत में गरीब कूड़ा बीनने को मजबूर ,सरकारी राहत को मुंह चिढ़ाती कुछ तस्वीरें ।

सुबह जब आप आखों को मीचते हुए एक गहरी नींद से उठकर अपने गेट तक अखबार उठाने जाते हैं, या जब फिर जब आप नहा धोकर अपने काम के लिए अपने ऑफिस निकलते हैं, कुछ लोग आपके कॉलोनी, अपार्टमेंट या मोहल्ले को साफ करने में जुटे होंते हैं। ये वो कूड़ा भी उठाते हैं जिसे आप छूना तक पसंद नहीं करते। लोगों के घरों और कॉलोनियों का ये समूह है कूड़ा बीनने वाले, कचरा उठाने वाले रैगपिकर्स (कूड़ा उठाने वाला) का। ये वो लोग हैं जिनके दिन का, या यूं कहिए जिंदगी का बड़ा हिस्सा कूड़े के बीच ही बीत जाता है। ये वो समूह है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में एक अहम भूमिका निभा रहा है। जिस कचरे वाले को आप दूर से अपने घर की डस्टबिन या कचरे से भरी पॉलीथीन पकड़ाते हैं, कभी उसके चेहरे के भाव पढ़ें हैं...शायद नहीं।  लॉक डाउन के बीच पेट पालने की जुगत में गरीब कूड़ा बीनने को मजबूर ,सरकारी राहत को मुंह चिढ़ाती कुछ तस्वीरें अपना दर्द कहने के लिए काफी है शायद सरकार और सरकारी तंत्र इनके दर्द को समझे ।


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रविवार, 29 मार्च 2020

सनातन पञ्चाङ्ग


📜 दैनिक हिन्दू पञ्चाङ्ग 📜


🕉️ 29 - मार्च -2020 दिन रविवार
🕉️ कानपुर, उत्तर प्रदेश


🕉️  पंचांग    
🔅 तिथि ➖ पंचमी अगले दिन 02:03 तक
🔅 नक्षत्र ➖ कृत्तिका 15:18 तक ततपश्चात रोहणी
🔅 करण ➖ बव 13:14:26
                     बालव अगले दिन 02:03 तक
🔅 पक्ष ➖ शुक्ल  
🔅 योग ➖ प्रीति 18:16 तक ततपश्चात आयुष्मान
🔅 वार ➖ रविवार  


🕉️ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ    
🔅 सूर्योदय ➖ 06:02 पर
🔅 चन्द्रोदय ➖ 09:01 पर
🔅 चन्द्र राशि ➖ वृषभ  
🔅 सूर्यास्त ➖ 18:24 पर
🔅 चन्द्रास्त ➖ 22:44 पर
🔅 ऋतु ➖ वसंत  


🕉️ हिन्दू मास एवं वर्ष    
🔅 शक सम्वत ➖ 1942 (शार्वरी)
🔅 कलि सम्वत ➖ 5121
🔅 दिन काल ➖ 12:22 तक
🔅 विक्रम सम्वत ➖ 2077
🔅 मास अमांत ➖ चैत्र
🔅 मास पूर्णिमांत ➖ चैत्र


🕉️ व्रत एवं त्योहार
🔅 लक्ष्मी पञ्चमी


🕉️ शुभ समय    
🔅 अभिजित ➖ 11:49 से 12:38 तक


🕉️ अशुभ समय    
🔅 दुष्टमुहूर्त ➖ 16:46 से 17:35 तक
🔅 कंटक ➖ 10:10 से 10:59 तक
🔅 यमघण्ट ➖ 13:28 से 14:17 तक
🔅 राहु काल ➖ 16:52 से 18:24 तक
🔅 कुलिक ➖ 16:46 से 17:35 तक
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम ➖ 11:49 से 12:38 तक
🔅 यमगण्ड ➖ 12:13 से 13:46 तक
🔅 गुलिक काल ➖ 15:19 से 16:52 तक


🕉️ दिशा शूल    
🔅 पश्चिम


🚨 अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतें 🙏


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कानपुर मेडिकल कॉलेज में कोरोना वाइरस को लेकर तैयारियां हुईं पूर्ण

     कोरोना वाइरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कानपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की टीम पूरी ताकत से लगी हुई है। कोरोना वाइरस को लेकर मेडिकल कॉलेज में 200 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। इसके अलावा 50 बेड़ का क्वारेन्टाइन वार्ड, 30 बेड़ का ICU वार्ड, 20 बेड का वेंटिलेटर युक्त ICU वार्ड तैयार किया गया है।


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कानपुर में कोरोना से बड़ा संकट भूख , प्रशासन संग समाजसेवी भी भूखे लोगो मे बांट रहे खाना।

उत्तर प्रदेश । प्रदेश भर में कोरोना वायरस के चलते 21 दिनों का लॉक डाउन चल रहा है । जहां हर चीज बन्द अधवा जरूरी सेवाओ को छोड़ कर है काम पर रोक लगी हुई है । ऐसे में सबसे बड़ी मुसीबत रोजमर्रा के काम करने वाले मजदूरों की है जिनके पास न तो पैसे है और न ही खाने को राशन है । कानपुर में  पिछले दो दिनों से भूखे रहने को मजबूर ऐसे गरीब लोगो  के लिए सरकार के अलावा अब सोशल सिविल सर्विस करने वाले लोग भी आगे आते दिख रहे है । कल्याणपुर स्तिथ केशवपुरम में आज सोशल सर्विस करने वाले व्यापारी सुनीत द्विवेदी , विजय कुमार सहित उनके तमाम साथी इलाके में रह रहे गरीब असहाय लोगो के बीच खाना बांटते नज़र आएं। इलाके के व्यापारी सुनीत द्विवेदी ने बताया की कल्याणपुर स्तिथ केशवपुरम और मसवानपुर में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू होने के बाद से ही  रह रहे रोजमर्रा के कामकाज करने वाले लोगो के चेहरों पर अपने और अपने परिवार के  पालन पोषण को लेकर चिंता देखी जा रही थी । मगर सरकार द्वारा अपने संबोधन में लगातार राशन और रोजमर्रा की चीजों को मोहिया कराने की बात पर अब एक यह सभी परिवार इंतज़ार करते रहे । परन्तु  हालात यहां तक आ पहुचे की पिछले दो दिनों से इनके घरो में चूल्हा तक नही जला । उन्होंने यह भी बताया कि आज फ़ोन द्वारा सूचना मिलने पर ऐसे गरीब भूखे परिवारों के लिए उन्होंने और उनकी टीम ने करीब 500 पैकेट खाने का वितरण करते हुए सभी को अपना और सहियोगियों का मोबाइल नम्बर भी मोहिया कराया । और आगे भी परेशानी होने पर इसी तरह खाना पहुचाने का अस्वासन दिया। कानपुर में लाखो लोग ऐसे है जो रोज कमाते खाते है और कोरोना का सबसे भारी संकट इसी तबके के बीच देखा जा रहा है हालांकि सोशल सर्विस के साथ साथ अब प्रशासन भी लोगो का पेट भरने की मुहिम में जुट गया है।



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अपनों की गैरमौजूदगी में मुस्लिमों ने दिया अर्थी को कंधा, हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार

कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के बीच बुलंदशहर से साम्प्रदायिक सौहार्द मिसाल कायम करने वाली एक खबर आई है. बुलंदशहर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुछ ऐसा किया कि पूरे क्षेत्र में उनकी चर्चा हो रही है. और मीडिया के माध्यम से जब यह खबर आप तक पहुंच रही है तो आप भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनके इस नेक कार्य के लिए सलाम करेंगे.


बुलंदशहर में एक गरीब परिवार के एक सदस्य की रविवार को मौत हो गई. लॉकडाउन के चलते उसकी अर्थी को कंधा देने के उसके बेटे प्रमोद के अलावा अन्य कोई हिंदू मौजूद नहीं था. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मृतक की अर्थी को उसके बेटे के साथ मिलकर कंधा दिया. इस दौरान मुसलमान अर्थी के पीछे-पीछे 'राम नाम सत्य है' बोलते हुए चल रहे थे. 


मुस्लिम समुदाय के लोग अर्थी को स्थानीय श्मशान घाट पर ले गए और मृतक के बेटे की उपस्थिति में हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कराया. मृतक का नाम रविशंकर था. वह बुलंदशहर के मोहल्ला आनंद विहार साठा के रहने वाले थे. वह काफी दिनों से बीमार थे और शनिवार को उनका निधन हो गया. मृतक बेटे ने अपने रिश्तेदारों को इसकी सूचना दी, ताकि सभी लोग मृतक के अंतिम संस्कार में आ सकें. 


लॉकडाउन के चलते कोई भी आने में समर्थ नहीं हो सका. मुस्लिम समाज के बाबू खां, जाहिद अली प्रधान, मोहम्मद इकराम आदि लोगों ने न सिर्फ मृतक की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शव को कालीनदी श्मशान घाट ले जाकर उसका अंतिम संस्कार भी कराया. यह पूरा मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया. मुस्लिम समाज के लोगों की जमकर सराहना की जा रही है और इसे हिंदू-मुस्लिम एकता की शानदार मिसाल बताई जा रही है जो वास्तव में है भी.


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कानपुर नगर के सभी सामुदायिक शौचालय हुए निशुल्क

     कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से नगर में उपस्थित गरीब व बेसहारा लोगों की सबसे बड़ी यही समस्या थी, कि वह शौच के लिए कहां जाएं। इसके चलते कानपुर के नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी के द्वारा सभी सामुदायिक शौचालयों को निशुल्क करने का आदेश दिया गया है। इसके अतिरिक्त नगर आयुक्त ने समस्त संचालन कर्ता को भी निर्देश दिए हैं। कि शौचालयों के रखरखाव एवं संचालन का कार्य पूर्व की भांति करते रहें। निशुल्क शौचालय के लिए नगर में जगह-जगह पोस्टर भी लगा दिए गए हैं। समस्त शौचालय के दीवारों पर पोस्टर चिपकाकर कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। 


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कानपुर के झकरकटी कटी बस अड्डे को किया गया सैनिटाइज


     कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉक डाउन के कारण रोज कमाने खाने वालों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। क्योंकि फैक्ट्रियां और कारोबार लगभग बंद हो गए हैं। जिसके चलते देश भर में काम करने वाला मजदूर जहां के तहां फस गया है। अब वही मजदूर अपने अपने घरों की ओर पैदल व अन्य साधनों से रवाना हो रहे हैं। जिसके चलते आज रविवार को झकरकटी बस अड्डे में हजारों यात्रियों का मेला लग गया। जिला प्रशासन नें सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग कराई व पूरे बस अड्डे को सैनिटाइज किया। इस दौरान नगर निगम की कई टीमें बस अड्डे को सैनिटाइज करने में जुटी रहीं।


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कानपुर में लॉक डाउन के दौरान चल रहा निर्माण कार्य , सोशल डिस्टेंनसिंग को धता बता रहे ठेकेदार।

उत्तर प्रदेश । देश में कोरोना वायरस जैसी महामारी तेज़ी से अपने पैर पसारती नज़र आ रही हैं। जहां पूरा देश हाई अलर्ट पर है वही हर राज्य की सरकार अपने अपने राज्य में सुरक्षा को लेकर तरह तरह की एतियात बरत रही है वही हमारे प्रदेश में कुछ ठेकेदार ऐसे भी है जो अपनी ही नही बल्कि मजदूरों की बड़ी संख्या से उनकी जिंदगी का खिलवाड़ कर रहे है । 


मामला कानपुर नगर के फजलगंज थाना क्षेत्र का है जहां पुलिस की नाक के नीचे प्रदेश में लॉक डाउन के चलते कमला क्ल्ब के पास भारत पेट्रोलियम के समीप रोड पर ही धड़ल्ले से बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है । जिसमे करीब बिहार और बंगाल के 80से अधिक मजदूर बिना किसी सुरक्षा के खुलेआम काम कर रहे है । प्रदेश सरकार  के इतने सख्त आदेश होने के बाबजूद केसीपीएल नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी अपने मजदूरों से सोशल डिस्टेंनसिंग को धता बता हुए अवैध रूप से चोरी से काम करवाती नज़र आ रही है । मीडिया को देखते ही लेबर के सुरवाईज़र द्वारा काम को बंद करवा दिया गया । कंपनी के सुरवाईज़र ने बताया कि  ठेकेदार द्वार बंदी का हवाला देते हुए मजदूरों को कोई भुकतान भी नही किया गया हैै और करीब 80 मजदूरों को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि  गरीब मजदूरों ने अखबार के माध्यम से उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष मुकुंद मिश्रा को फ़ोन पर जनकारी देते हुए बताया कि पिछले दो दिनो से उन्होंने कुछ नही खाया है और उनकी सुध लेने वाला भी कोई नही है । यह सुनते ही मुकुंद अपने साथी सुनीत द्विवेदी , विजय सिंह सहित तमाम साथियों के साथ वहां पहुचें और सभी मजदूरों को लंच पैकेट देते हुए आगे भी मदद करने का वायदा किया ।



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आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा के खिलाफ FIR दर्ज, CM योगी पर करी थी थी आपत्तिजनक टिप्पणी

दिल्ली के आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए FIR दर्ज की गई है। राघव चड्ढा पर यह FIR नोएडा में एक प्रशांत पटेल नामक वकील ने करवाई है। राघव चड्ढा ने ट्वीट करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाया था, कि वे दिल्ली से अपने घरों की ओर जा रहे लोगों को पिटवा रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के बाद दिल्ली से प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर लौट रहे हैं।


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पलायन पर केंद्र सरकार सख्त राज्यों से कहा की सभी जिलों की सीमाएं करें सील


    कोरोनावायरस के चलते हुए लॉकडाउन के कारण हजारों की संख्या में कामगार शहर और राज्यों से अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को जिलों की सीमाएं सील करने के निर्देश दिए हैं, और बाहरी लोगों के रहने खाने का उचित प्रबंध करने को कहा है। यदि कोई स्टूडेंट और कामगारों से शहर छोड़ने के लिए कहता है, तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।


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फतेहपुर जनपद में जिलाधिकारी संजीव सिंह एवं पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा द्वारा कोरोना वायरस महामारी से बचाव की तैयारी हेतु स्टेज-वन कोविड हॉस्पिटल के रूप में स्थापित किया गया। जिले के आला अधिकारियों ने सीएचसी थरियांव का निरीक्षण किया


     उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद में सदर तहसील क्षेत्र के सीएचसी थरियाव स्टेज-वन हॉस्पिटल की सभी सुविधाएं स्थापित कर दी गई हैं। जिसका निरीक्षण जिलाधिकारी सजीव सिंह एवं पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा एवं सीएमओ डॉक्टर उमाकांत पाडेय ने हॉस्पिटल में बने आवासीय परिसर को डॉक्टर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ के आवास हेतु तैयार कर लिया गया है।


     कोविड हॉस्पिटज स्टेज-वन में 15 दिवस की एक शिफ्ट में 6 डॉक्टर, 8 पैरामेडिकल स्टाफ, 02 फार्मेसिस्ट, 06 सफाई कर्मी तथा 6 वार्ड ब्वॉय तैनात रहेंगे । अगले 15 दिवस के लिए द्वितीय शिफ्ट में इतना ही स्टाफ कूलिंग ऑफ के लिए यशराज रिसोर्ट- खागा में स्थापित रहेगा।कोविड हॉस्पिटल के लिए चिन्हित स्टाफ की ट्रेनिंग करा दी गई है। जिलाधिकारी संजीव सिंह द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर उमाकांत पाडेय को एक अन्य सीएचसी सराय खालिस (टीकंर) को भी अतिरिक्त कोविड हॉस्पिटल stage-1 के रूप में तैयार करने हेतु निर्देशित किया गया है। इस दौरान ग्राम प्रधान विष्णु लोधी मौजूद रहै।


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कोरोना वायरस: प्रवासी मज़दूरों को क्यों नहीं रोक पा रहे केजरीवाल?

देश भर में लागू 21 दिवसीय लॉकडाउन की न सिर्फ़ धज्जियां उड़ गईं बल्कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज़रूरी उपाय सोशल डिस्टैंसिंग यानी एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने की सलाह भी मज़ाक बनकर रह गई.


आनंद विहार बस अड्डे से लेकर ग़ाज़ियाबाद के कौशांबी, लाल कुंआ, हापुड़ बस अड्डों तक शनिवार देर रात तक लोगों की भारी रही. यह भीड़ अब भी बनी हुई है और लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा, बड़ी संख्या में अपने इलाक़ों में पहुंच रहे लोग कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर एक और बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं.


उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया का कहना है कि दिल्ली और अन्य राज्यों की सीमाओं पर जो भी लोग फँसे हैं, यूपी रोडवेज़ की बसें उन्हें उनके ज़िलों तक पहुंचाएंगी लेकिन उन्होंने यह अपील भी की है लोग अब अपने घरों से न निकलें.


दिल्ली की सीमा पर मची अफ़रा-तफ़री और भारी भीड़ के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया है.


बीबीसी से बातचीत में अशोक कटारिया कहते हैं, "किसी राज्य में काम करने वाले लोग उस राज्य की संपत्ति की तरह से होते हैं, भले ही वो रहने वाले कहीं के हों. दिल्ली की सरकार ने वहां काम कर रहे दूसरे राज्यों के लोगों को घर जाने के लिए कहा और डीटीसी की बसों से उन्हें सीमा पार करा दिया. जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. हमने इन परेशान लोगों और पैदल चल पड़े लोगों की समस्याओं को देखते हुए बसें भेजकर उनके गंतव्य तक पहुंचाने का फ़ैसला किया. लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ़ एक-दो दिन के लिए है. इसलिए हम लोगों से प्रार्थना कर रहे हैं कि वो जहां हैं, वहीं रुके रहें. क्योंकि इधर-उधर जाने से संक्रमण बढ़ेगा जो सबके लिए नुकसानदेह है."


हालांकि दिल्ली सरकार में श्रम मंत्री गोपाल राय अशोक कटारिया को आरोप को सिरे से ख़ारिज करते हैं. गोपाल राय ने बीबीसी से कहा, ''अगर उत्तर प्रदेश सरकार बसें नहीं भेजती तो लोगों का हुजूम आनंद विहार बस स्टॉप पर जमा नहीं होता. जहां तक पैदल जाने की बात है तो यह केवल दिल्ली से नहीं हो रहा था. लोग हरियाणा और राजस्थान से भी जा रहे थे. पैदल जाने वाले बहुत कम थे. बस भेजने के बाद लोग बड़ी संख्या में सड़क पर आ गए.''


लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी बसों से लोगों हापुड़ क्यों भेजा? इस पर गोपाल राय कहते हैं, ''हमने केंद्र सरकार के कहने पर ऐसा किया था. डीटीसी की बसें इंटरस्टेट नहीं होती हैं. सुरक्षा को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कहा तब हमने बस से लोगों को हापुड़ भेजा. हमने लोगों को खानेप-पीने की व्यवस्था की है. चार लाख लोगों खो मुप़्त में खाना देंगे. मैं अपील करता हूं कि प्रवासी मज़दूर यहां से न जाएं.''


परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की सीमाओं पर क़रीब 1200 बसें तब भेजनी पड़ीं जब दिल्ली की सीमा पर स्थिति बिल्कुल ख़राब होने लगी और यह क़ानून-व्यवस्था के लिए ख़तरा बनने लगा.


उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में क़रीब एक लाख लोग अपने घरों के नज़दीक तक पहुंचाए गए हैं. उनका कहना था कि बसों से लोगों को उनके ज़िला मुख्यालयों तक पहुंचाया गया है. अशोक कटारिया ने ये भी स्पष्ट किया कि बसों से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यस्था मुफ़्त नहीं है बल्कि इसका क़िराया लिया जा रहा है.


इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पिछले तीन दिनों में प्रदेश में एक लाख से ज़्यादा लोग जो अन्य राज्यों से आए हैं उनकी सूची तैयार करके संबंधित ज़िला प्रशासन को दी गई है और इन लोगों को अलग जगह पर समुचित निगरानी में रखा जा रहा है.


बाहर से आए लोगों के नाम, पता, फ़ोन नंबर जैसी जानकारियां ज़िला प्रशासन को मुहैया कराई गई हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ग्राम प्रधानों से भी संवाद करके बाहर से आने वाले लोगों को अलग रखने की अपील की है.


दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर यात्रियों की भीड़ अब भी लगी हुई है और तमाम अपील के बावजूद लोगों का यहां आना जारी है. शुरू में लोग पैदल ही घरों से निकले थे, लेकिन बसें चलाए जाने की घोषणा के बाद भीड़ अचानक बढ़नी शुरू हो गई. हालांकि रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वो चाहे जिस राज्य के हों, दिल्ली छोड़कर न जाएं.


आनंद विहार, कौशांबी बस अड्डों पर शनिवार से ही लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. लोगों से लगातार एक-दूसरे से दूर रहने की अपील की गई लेकिन भीड़ के दबाव के आगे यह अपील काम नहीं आई. इस दौरान ज़िला प्रशासन के आदेश से लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की गई लेकिन भीड़ को देखते हुए ऐसी व्यवस्थाएं ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुईं.


जिस तादाद में लोग बस अड्डों पर जमा हो गए, उस अनुपात में बसें भी नहीं थीं. लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ा. कौशांबी बस अड्डे पर क़रीब छह घंटे बस का इंतज़ार करने वाले बस्ती निवासी दिनेश प्रजापति आख़िरकार पैदल ही चल पड़े. उनके एक साथी ने बताया कि बाद में हापुड़ से उन्हें एक बस मिली, लेकिन ये नहीं पता कि वो कहां तक ले जाएगी.


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गैर राज्यो से अपने घर वापिस लौट रहे लोगो ने बढ़ाई सरकार की चिंता , शहर की सभो सीमाओं पर पुलिस ने लगाई बैरिगेटिंग।

उत्तर प्रदेश (नितिन त्रिपाठी)। देश भर में लॉक डाउन के चलते पूरे भारत मे मजदूर वर्ग के लोगो मे अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है जहां लोग अलग अलग राज्यो से अपने घर वापिस आने के लिए भूखे प्यासे पैदल पलायन करने को मजबूर हैं । वही कल दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर भारी मात्रा में घर वापिस आने के लिए जुटी भारी भीड़ ने राज्य की सरकार की चिंता बढा दी है । हालांकि सरकार ने लॉक डाउन में थोड़ी ढील देते हुए उत्तर प्रदेश परिवहन की कुछ बसे अलग अलग जिलो में राहगीरो को पहुचाने के लिए चलाई है । पर साथ ही राज्य सरकार ने सभी जनपदों के प्रशासन को भी सतर्क कर दिया है । जहां हर शहर के प्रवेश पर बैरिगेटिंग की व्यवस्था की गई है वही पुलिस को साफ निर्देश दिए गए है कि परिवहन की बसों के अलावा कोई और गाड़ी शहर में प्रवेश न कर पाए।
इन सब के बीच कानपुर प्रशासन ने भी सुरक्षा के मद्देनजर शहर से लगी सभी सीमाओं को ब्लॉक कर दिया है और परिवहन बसों के अलावा अनदर आने वाली सभी गाड़ियों और लोगो की गहनता से जांच की जा रही है।
कानपुर के पनकी थाना क्षेत्र अंतर्गत भाटिया होटल पर भी पुलिस ने बैरिगेटिंग लगा के रोड बंद करते हुए रोड के साथ लगते डाइबर्ज़न को शुरू किया है जिससे शहर में धाकिल होने वाली हर गाड़ी व व्यक्ति पर नज़र रखी जा सके। इसी के साथ दूसरे प्रदेशों से सवारियां लेकर आ रही परिवहन निगम की बसों में खासा भीड़ देखने को मिली । ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार बार बार सोशल डीस्टेनसिंग की बात कर रही है मगर ऐसे में बसो में भरी लोगो की भीड़ क्या कोरोना को आमंत्रित नही कर रही है।



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कोरोना से मुंबई में हुई एक और मौत, वायरस से स्पेन की राजकुमारी की भी गई जान

देश में अब तक कॅरोना के 979 केस सामने आए हैं. इस वायरस से 25 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 86 लोगों का सफल इलाज हुआ है. सबसे ज्यादा मामले केरल और महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं. दोनों राज्यों में कोरोना मरीजों की संख्या 150 के पार हो गई है. केरल में जहां 167 लोग अब तक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, वहीं महाराष्ट्र में यह संख्या 186 पर पहुंच गई है. 


यहां पढ़ें कोरोना वायरस पर ताजा अपडेट्स...


- मुंबई में 40 साल की महिला की कोरोना वायरस के कारण हुई मौत. महाराष्ट्र में अब तक कुल 7 लोगों की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र में कुल 167 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.


 

- कोरोना वायरस के कारण स्पेन की राजुकमारी मारिया टेरसा का निधन


- कश्मीर में कोरोना वायरस के 5 और मरीजों की पुष्टि हुई है. इनमें 2 मरीज श्रीनगर, 2 बडगाम और 1 बारामुला से हैं.


भारत में कोरोना पीड़ितों की संख्या 979 हुई, जबकि इस संक्रमण से 25 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले 24 घंटे में 6 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 


 

बिहार में अब तक 900 से भी ज्यादा कोरोना संदिग्ध मरीज पाए गए, अब तक कुल 11 पॉजिटिव मरीज मिले.


- पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 6,61,367 मामले सामने आ चुके हैं.


- इस वायरस के कारण पूरी दुनिया में अब तक 30,671 लोगों की मौत हो चुकी है, जबिक 1,41,464 लोग बचाए जा चुके हैं.


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कांटो के ताज के साथ शिवराज की वापसी क्या मध्य्प्रदेश को नई दिशा देने में कामयाब हो पाएगी ,जबकि पिछली सरकार खजाना खाली होने का विधवा विलाप 15 महीनों से करती रही ।

शिवराजसिंह चौहान को आप किस रूप में देखते हैं? यह सवाल आपसे पूछा जाए तो स्वाभाविक रूप से जवाब होगा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में लेकिन इससे आगे आपसे पूछा जाए कि एक आम आदमी के रूप में क्यों नहीं तो जवाब देने में थोड़ा वक्त लग सकता है। इस सवाल का जवाब देने में वक्त लगना स्वाभाविक है क्योंकि जिस कालखंड में हम जी रहे हैं अथवा पिछला समय हमने जो गुजारा है, उसमें व्यक्ति को उसके गुणों से नहीं बल्कि उसके पद और पद की हैसियत से पहचाना है। स्वाभाविक है कि शिवराजसिंह चौहान की पहचान एक मुख्यमंत्री के रूप में है और इतिहास के पन्नों में भी उन्हें इसी पहचान के साथ दर्ज किया जाएगा लेकिन सच तो यह है कि अपना सा लगने वाला यह मुख्यमंत्री हमारे बीच का, आज भी अपना सा ही है। शिवराजसिंह के चेहरे पर तेज है तो कामयाबी का लेकिन मुख्यमंत्री होने का गरूर पहले भी नहीं रहा और आज भी नहीं होगा। चेहरे पर राजनेता की छाप नहीं। सत्ता के शीर्ष पर बैठने की उनकी कभी शर्त नहीं रही बल्कि उनका संकल्प रहा है प्रदेश की बेहतरी का। वे राजनीति में आने से पहले भी आम आदमी की आवाज उठाने में कभी पीछे नहीं रहे। वे किसी विचारधारा के प्रवर्तक हो सकते हैं लेकिन वे संवेदनशील इंसान है। एक ऐसा इंसान जो अन्याय को लेकर तड़प उठता है और यह सोचे बिना कि परिणाम क्या होगा, अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने निकल पड़ता है। बहुतेरों को यह ज्ञात नहीं होगा कि शिवराजसिंह चौहान किसी समय मजदूरों को कम मजदूरी मिलने के मुद्दे पर अपने ही परिवार के खिलाफ खड़े हो गए थे। शिवराजसिंह चौहान का यह तेवर परिवार को अंचभा में डालने वाला था। मामूली सजा भी मिली लेकिन उन्होंने आगाज कर दिया था कि वे आम आदमी के हक के लिए आवाज उठाते रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शिवराजसिंह चौहान में कुछ कमियां ना हो लेकिन जो खूबियां उनके व्यक्तित्व में है, वह उन कमियों को बौना कर देती है। 

 

कुछ पुराने दिनों को याद कर लेना भी इस अवसर पर सामयिक हो जाता है। ज्ञात रहे कि बीते 13 सालों में शिवराजसिंह चौहान के कांधे पर हाथ रखकर सैकड़ों लोग यह कहते मिल जाते थे कि शिवराज हमारे साथ पढ़े हैं. ‘शिवराज हमारे साथ पढ़े हैं’, इसमें अपनापन तो था ही लेकिन एक भाव यह भी कि देखो हमारे साथ पढ़ा विद्यार्थी, हमारा दोस्त शिवराजसिंह आज मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री है। थोड़े से लोग इस बात पर गर्व करते हैं कि ‘हम शिवराजसिंह के साथ पढ़े हैं' और थोड़े से लोग होंगे जो कहते मिल जाएंगे- ‘शिवराजसिंह और हम साथ पढ़े हैं।’ शिवराजसिंह के साथ सहपाठी होने की यह गर्वानुभूति सालों गुजर जाने के बाद हो रही है तो इसलिए कि शिवराजसिंह चौहान जब भोपाल के अपने स्कूल ‘मॉडल स्कूल’ में जाते हैं तो मुख्यमंत्री बनकर नहीं, स्कूल के एक पुराने विद्यार्थी की तरह। शिक्षकों का चरण स्पर्श करना नहीं भूले। सहपाठियों को नाम से याद रखना और उन्हें संबोधित करना उनकी सादगी की एक झलक है।


मध्यप्रदेश में 15 माह तक चली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार इन पन्द्रह महीनों में खाली खजाने को लेकर ही रोती रही। जिसके चलते किसान कर्जमाफी का जो वादा विधानसभा चुनाव के पूर्व तत्कालीन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया था, वह तीन चरणों में कमलनाथ सरकार ने पूरा करने की योजना बनाई थी। जिसमें दूसरे चरण की कर्जमाफी शुरू ही हुई थी कि अल्पमत में चल रही कमलनाथ सरकार को दो सप्ताह चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद इस्तीफा देना पड़ा। 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार को 15 महीनों में ही सत्ता गंवानी पड़ी। जिसके बाद एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश के सत्ता की कमान सौंप दी है। लेकिन इस बार शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे दौर में सत्ता संभाली है जब कोरोना जैसी महामारी से देश ही नहीं पूरा विश्व जूझ रहा है। सत्ता की बागडोर हाथ में लेते ही कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने पहला निर्णय लिया है।  

कोरोना वायरस संकट से मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं है। प्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के 26 मामले सामने आ चुके है। जिसमें से 2 लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार, 27 मार्च 2020 तक 24 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहचान हो चुकी है। आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। जिसको लेकर शिवराज सरकार द्वारा लगातार अहतियात बरती जा रही है। जहां पूरे प्रदेश में लॉक डाउन के दौरान कर्फ्यू की घोषणा की गई है तो वही जिला प्रशासन और पुलिस को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए गए है। जिला स्तर पर कोरोना संक्रमण से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक अस्पताल चिंहित किया गया है। यही नहीं आर्थिक मोर्चे पर भी सरकार ने कई अहम कदम उठाए है। 

 

शिवराज सरकार ने उद्योगपतियों, सरकारी कर्मचारीयों, जनप्रतिनिधियों और आम जनता से अपील की है कि वह मुख्यमंत्री राहत कोष में अपनी सामर्थ्य अनुसार राशि दान दें ताकि कोरोना के खिलाफ युद्ध स्तर पर किए जा रहे प्रयासों में सरकार को धन की कमी न हो। हालंकि शिवराज सरकार ने इस दौरान सरकारी स्तर पर बीपीएल परिवारों को 1 माह का राशन निशुल्क देने, प्रदेश के 46 लाख पेंशनर्स को सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत 2 माह का एडवांस 1200 रूपए भुगतान करने के निर्देश के साथ ही संनिर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत मजदूरों को 1 हजार रूपए की सहायता राशि के साथ ही सहरिया, बैगा, भारिया जनजातियों के परिवार के खाते में एडवांस राशि 2000 रूपए भेजी जाने का एलान किया है। इस दौरान केन्द्र की नरेन्द मोदी सरकार ने भी राहत पैकेज की घोषणा की है। केन्द्र सरकार ने विशेष पैकेज के तहत 1 लाख 70 हजार करोड़ रूपए के विशेष पैकेज का ऐलान किया है।  

 

मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है। जिसमें पिछले कुछ वर्षों से लगातार उछाल देखी जा रही थी लेकिन हाल ही के दिनों में प्राकृतिक आपदा के चलते बुरे दौर से गुजर रही है। मध्यप्रदेश कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला राज्य है। यहां पर गेहूं, सोयाबीन, चना, गन्ना, चावल, मक्का, कपास, राई, सरसों और अरहर का उत्पादन प्रमुख तौर पर किया जाता है। वही लघु वनोपज जैसे तेंदूपत्ता, साल बीज, सागौन बीज, और लाख आदि भी राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए योगदान देते हैं। मध्यप्रदेश में 5 विशेष आर्थिक क्षेत्र यानि SAZE हैं, जिनमें 3 आईटी/आईटीईएस (इंदौर, ग्वालियर), 1 खनिज आधारित (जबलपुर) और 1 कृषि आधारित (जबलपुर) शामिल हैं। जबकि इंदौर, राज्य का प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र है। राज्य के केंद्र में स्थित होने के कारण, यहाँ कई उपभोक्ता वस्तु कंपनियों ने अपनी विनिर्माण केंद्रों की स्थापना की है। वही खनिज की बात करें तो मध्यप्रदेश में देश का हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अन्य प्रमुख खनिज भंडारों में कोयला, कालबेड मीथेन, मैंगनीज और डोलोमाइट शामिल हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश में 6 आयुध कारखाने है, जिनमें से 4 जबलपुर (वाहन निर्माणी, ग्रे आयरन फाउंड्री, गन कैरिज फैक्टरी, आयुध निर्माणी खमरिया) में स्थित है, बाकि एक-एक कटनी और इटारसी में हैं। यहां पर भारतीय सशस्त्र बलों के लिए उत्पादों का निर्माण किया जाता हैं। तो दूसरी ओर राज्य सरकार की आय में वृद्धि करने वाला मध्यप्रदेश में पर्यटन उद्योग भी जोर-शोर से बढ़ रहा है, वन्यजीव पर्यटन और कई संख्या में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थानों की उपस्थिति इनका मुख्य कारण हैं। सांची और खजुराहो में विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। प्रमुख शहरों के अलावा अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में भेड़ाघाट, भीम बेटका, भोजपुर, महेश्वर, मांडू, ओरछा, पचमढ़ी, कान्हा और उज्जैन शामिल हैं। कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन और कर्फ्यू के दौरान यह अपने निचले स्तर पर आ गई है। 

सरकार का खजाना पहले से ही खाली था। प्रदेश पर पिछले साल 31 मार्च तक एक लाख 52 हजार 745 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो इस साल 31 मार्च की तारीख में बढ़ कर एक लाख 80 हजार 988 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। वही कोरोना संक्रमण की मार भी अर्थव्यवस्था पर पर पड़ी है। अर्थव्यवस्था के जानकारों की मानें तो इस समय मध्यप्रदेश अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। राज्य सरकार के खजाने में आय के प्रमुख स्रोत आबकारी और पेट्रोलिय पदार्थों के रूप में राजस्व प्राप्त होता था। लेकिन लॉक डाउन की वजह से यह दोनों स्रोत भी बंद पडे है। जहाँ आबकारी से आय न के बराबर हो गई है, तो वही लॉक डाउन कर्फ्यू के दौरान वाहन न चलने से पेट्रोल-डीजल की खपत भी कम हुई है। जिसका सीधा असर सरकार के खजाने पर पड़ रहा है। अर्थव्यवस्था के जानकार आदित्य जैन मनिया का कहना है कि कोरोना के चलते राज्य की कमान संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान ने कांटो का ताज पहना है। अब उन्हें सिर्फ केन्द्र सरकार के विशेष पैकेज का ही आसरा है, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकती है। इसके बाद भी इससे उबरने में प्रदेश को करीब एक साल का वक्त लगेगा। लेकिन कोरोना की वजह से लॉक डाउन और कर्फ्यू के साथ प्राकृतिक आपदा ने प्रदेश की कमर तोड़कर ऱख दी है। मध्‍यप्रदेश 30, 8,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला राजस्थान के बाद दूसरा सबसे बड़ा भारतीय राज्‍य है, 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 7,25,97,565 है। कोरोना संक्रमण के चलते अब राज्य की शिवराज सरकार को आर्थिक मोर्चे पर खराब अर्थव्यवस्था के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 


 

 

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विशेष बस से लोगों को भेजना गलत कदम, इससे लॉकडाउन पूरी तरह असफल हो जाएगा : नीतीश

पटना। कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो जाने पर, दूसरे राज्यों से अपने मूल प्रदेश लौट रहे मजदूरों और अन्य गरीब लोगों को बसों से भेजे जाने को एक गलत कदम बताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि यह कदम लॉकडाउन को पूरी तरह असफल कर देगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक प्रेस विग्यप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा है कि विशेष बसों से लोगों को भेजना एक गलत कदम है। उन्होंने कहा कि इससे कोरोना वायरस महामारी और फैलेगी जिसकी रोकथाम और उससे निबटना सबके लिए मुश्किल होगा। उन्होंने कहा ‘‘जो जहां हैं उनके लिये रहने खाने की व्यवस्था वहीं की जा रही है। बसों से लोगों को उनके राज्य भेजने काफैसला लॉकडाउन को पूरी तरह असफल कर देगा।’’नीतीश ने सुझाव दिया कि स्थानीय स्तर पर ही कैम्प लगाकर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम किया जाए। गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर से हजारों की संख्या में लोग अपने घर जाने के लिए पैदल निकल पड़े हैं। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 200 बसों का इंतजाम किया है। ये बसें नोएडा-गाजियाबाद से हर दो घंटे में रवाना होंगी। इन बसों में ज्यादातर लोग पूर्वांचल और बिहार के हो सकते है ।


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प्रवासी श्रमिकों को पूरा सहयोग देने की प्रतिबद्धता-अमित शाह

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए घोषित 21 दिन के बंद (लॉकडाउन) के दौरान प्रवासी श्रमिकों को पूरा सहयोग देने की प्रतिबद्धता जतायी है। गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों आदि के लिए तुरंत राहत शिविर स्थापित करने के लिए कहा है, जो देशभर में लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों में लौट रहे हैं या ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं। शाह ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के अनुसार, सरकार ने लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रवासी कामगारों को पूरे सहयोग की प्रतिबद्धता जतायी है। लॉकडाउन बुधवार को लागू हुआ था।


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PM मोदी कोरोना की स्थिति पर आज करेंगे 'मन की बात', ट्वीट कर युवाओं के बारे में कही ये बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  आज सुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' से राष्ट्र को संबोधित करेंगे. आज का यहा कार्यक्रम कॅरोना वायरस की वर्तमान स्थिति पर केंद्रित होगा.


मोदी ने की युवाओं की तारीफ
पीएम मोदी ने आज ट्वीट कर कोरोना के खिलाफ जंग में युवाओं की भागीदारी की तारीफ की. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ' कोरोना के खिलाफ लड़ाई में युवा सबसे आगे हैं.' इसके अलावा उन्होंने 'PM-CARES फंड' में सहयोग करने वालों की भी तारीफ की


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शनिवार, 28 मार्च 2020

जिलाधिकारी ने जारी किया खाता नम्बर जिमसें आप दे सकते है आपदा प्रबंधन के लिए सहयोग राशि

कानपुर-जिलाधिकारी डॉ० ब्रह्मदेव तिवारी ने अपील करते हुए कहा कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के कारण आपदा घोषित किया गया है इस मानवीय त्रासदी के समय देश के प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व बनता है कि वह चुनौती से निपटने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दें अतः जनपद कानपुर नगर के समस्त नागरिकों से मेरी अपील है कि इस त्रासदी से निपटने के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा संचालित जिला सद्भावना समिति कलेक्ट्रेट के बैंक खाते में अपनी स्वेच्छा से सहयोग धन राशि चेक ड्राफ्ट आरटीजीएस के माध्यम से प्रदान करने का कष्ट करें ताकि सहयोग के रूप में प्राप्त धनराशि का उपयोग कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के चिकित्सा उपचार एवं उससे संबंधित अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं पर किया जा सके_*


*_सहयोग राशि हेतु बैंक खाते का विवरण A/C_*


*_NAME-Sadbhawna samiti collectorate, A/C No-0269000109148279 ,Bank Name-Punjab National Bank Gumti No 5 Branch, Branch coad :00107, IFSC Coad: PUNB0026900(5,6,10 and 11 digit is Zero)_*


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कानपुर में कोरोना वायरस से नही भूख से मरने को मजबूर लोग , दो दिनों से कई घरो में नही जला चूल्हा।

(नितिन त्रिपाठी)। उत्तर प्रदेश में लॉक डाउन के चलते कोरोना जैसी महामारी से नही बल्कि भूख से मरने को मजबूर है कानपुर की जनता।आइये आपको बताते है यूटीआई की टीम की ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट । लोग कह रहे है कि घर में राशन खत्म हो गया है और सुबह से कुछ खाया भी नही , दो दिन हो गए घर का चूल्हा भी नहीं जला है। ऐसा ही चलता रहा तो कोरोना से नहीं हम भूखे मर जाएंगे । पनकी शताब्दी नगर स्थित काशीराम कॉलोनी के निवासियों ने  बताया की एक हफ्ता हो गया, काम पर नहीं गए हैं और जेब में पैसा भी खत्म हो गया है । आसपास की सभी दुकानें बंद है ,चाह कर भी राशन नहीं खरीद सकते । घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं कुछ तो दूध के सहारे ही जी रहे हैं और कुछ थिंदा बहुत कहा के । वहीं घर में सब भूखे हैं, जो थोड़ा बहुत था बच्चों को खिला दिया।
   देश में लाकडाउन घोषित होने के बाद शहर के पनकी शताब्दी नगर स्थित काशीराम कालोनी के निवासियों की स्थिति काफी दयनीय है। कॉलोनी में लगभग 3000 से ज्यादा लोग रहते हैं और सभी रोजमर्रा के मामूली काम करके कमाने वाले लोग हैं। लॉक डाउन की वजह से पिछले 7 दिनों से कोई अपने घर से नहीं निकल पा रहा है, जिससे कमाई ठप हो गई है। शनिवार को हम ने मौके पर जाकर स्थिति को देखा तो हालात बेहद चिंताजनक थे। लोगों के आंसू निकल रहे थे और  उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा साहब दो दिन से भूखे हैं कुछ खिला दीजिए । घरों के भीतर जाकर स्थिति देखी तो राशन के नाम पर आटा और चावल खत्म हो गया था। चूल्हे भी ठंडे पड़े हुए थे। कहीं छोटा बच्चा रो रहा था , तो कहीं पानी और शरबत पीकर लोग अपनी भूख मिटाने की कोशिश कर रहे थे ‌। सबकी आंखों में आंसू चेहरे पर सरकार के प्रति गुस्सा झलक रहा था। काशीराम कॉलोनी के निवासियों का कहना था सरकार ने लाक डाउन तो कर दिया, लेकिन हमारे खाने की कोई व्यवस्था कर दी होती तो ज्यादा बेहतर होता। शहर को बंद हुए लगभग 6 दिन से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन हमारे पास अभी तक ना कोई प्रशासन का आदमी आया और ना ही कोई हमारी सुध लेने वाला है । टीवी पर सरकार कह रही है घर-घर राशन पहुंचाया जाएगा लेकिन यहां तो लगता है हम लावारिस हैं । कॉलोनी में रहने वाली दिव्यांग बबली ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा लाकडाउन तो कर दिया पर हम मरे या जिए सरकार को क्या फर्क पड़ेगा। घर में तीन बच्चे और पति है और सभी दो दिन से सब भूखे हैं। मर भी जाएंगे तो किसी को क्या फर्क पड़ता है। 


कालोनीवासियों से सीधी बातचीत।


दो दिन से घर में खाना नहीं बना, शरबत पीकर पेट भरा है। अभी घर के बाहर निकली हूं तो पड़ोसी ने बिस्कुट खिला दिया वही खाया।
रेशमा बेगम


पति रिक्शा चलाते हैं ।  शहर बंद हो गया तो रिक्शा भी नहीं चला पा रहा है , घर में ना पैसा है ना राशन दो दिन से भूखे हैं। 
रमा देवी


रिक्शा चलाता हूं । दो दिन हो गए घर का चूल्हा ठंडा पड़ा है । चाय और बिस्कुट के सहारे जी रहा हूं देखता हूं कब तक सांसे साथ देंगी ।
संतराम


साहब मजदूरी करता हूं । एक हफ्ते से काम नहीं मिला घर में 5 बच्चे हैं ।घर में कुछ चावल बचा था वह बच्चों को शक्कर के साथ मिलाकर खिला दिया अब वह भी खत्म हो गया है। पत्नी और खुद 2 दिन से पानी पी पीकर जी रहे हैं ।
सुरेश कश्यप


पति मनोज मजदूरी करते हैं । घर में सात साल की छोटी बच्ची है । आज तक उसका किसी तरह पेट भरा है आगे उसके पेट भरने का भी चारा नहीं है।
आरती


घर में दो बच्चे और पत्नी है ।  बच्चों को दूसरे के घर से मांग कर चावल खिलाएं हैं ,हम खुद भूखे हैं।
पता नहीं साहब ऐसा कब तक चलेगा ।
ललित



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फतेहपुर मे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लिए सुरेश गुप्ता ने प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए दो लाख चेक प्रदान किया.

 फतेहपुर मे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लिए सुरेश गुप्ता ने प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए दो लाख चेक प्रदान किया. 


एंकर.. उतर प्रदेश के फतेहपुर जिले के सुरेश गुप्ता ने राष्ट्रीय आपदा कोरोना को दृष्टिगत रखते हुए आज मैंने सुरेश गुप्ता अपनी स्वेच्छा से  कोरोना महामारी के संक्रमण के बचाव हेतु आवश्यक उपकरण जैसे कि मास्क, सैनिटाइजर, दवा का छिड़काव और गरीब लोगों के भोजन हेतु उपयोगी संसाधन क्रय करने हेतु ₹200000 चेक द्वारा प्रधानमंत्री राहत कोष एवं जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण के नाम माननीय एडीएम साहब को दिया साथ में भाजपा जिला अध्यक्ष आशीष मिश्रा  मैहजुद रहे।


भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि कोरोना की महामारी को रोकने के लिए आज मनुष्य आगे आना चाहिए.आप सभी लोगों से भी मेरा विनम्र निवेदन है कि इस संकट की घड़ी में स्वेच्छा से  जो भी योगदान दे। हम सब लोगों को देश के लिए ऐसे अवसर पर सरकार के साथ चलना  चाहिए।


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बड़ी खबर,कानपुर जनपद - नगर आयुक्त वा नगर स्वास्थ अधिकारी डा अजय संखवार का फोन हुआ लाक डाउन। जनता राम भरोसे ।

कानपुर, जनपद में कोरोना महामारी के चलते शहर में अफरा तफरी का माहौल,चल ही रहा है ऐसे में सेनेटाइज्ड वा फांगिग को लेकर जनता परेशान,नगर स्वास्थ अधिकारी डा अजय संखवार से लेकर नगर आयुक्त तक का मोबाइल हुआ लॉक डाउन ,आखिर कैसे बचेगें इस महामारी से । जानकारी करने पर कोई जबाब भी नही मिल रहा है ऐसे में कानपुर जनपद की जनता सिर्फ राम भरोसे ही अब है ।
 


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कानपुर - लॉक डाउन की जमकर उड़ाई जा रही धज्जियां। बिठूर में ब्लू वर्ड के पास किया जा रहा मिट्टी का अवैध खनन।

 


लॉक डाउन की जमकर उड़ाई जा रही धज्जियां।


बिठूर में ब्लू वर्ड के पास किया जा रहा मिट्टी का अवैध खनन।


मैनावती मार्ग पर एक नामचीन कंपनी की साइड पर डाली जा रही मिट्टी।।


बिठूर पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है अवैध मिट्टी के खनन का काला कारोबार।


रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक दौड़ने लगते हैं दर्जनों डम्फर।


घर से न निकलने के लिए किए गए लॉक डाउन की उड़ रही जमकर धज्जियां।


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जनपद कानपुर नगर में शहरी क्षेत्रों के लिए  कुक्ड फूड (बना हुआ खाना )  वितरण के सम्बन्ध में  कन्ट्रोल रूम  संचालित होगा -जिलाधिकारी कानपुर

कानपुर नगर - जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्म देव राम तिवारी ने बताया कि  कल से  जनपद कानपुर नगर में शहरी क्षेत्रों के लिए  कुक्ड फूड (बना हुआ खाना )  वितरण के सम्बन्ध में  कन्ट्रोल रूम  संचालित होग जिसे  केडीए में स्थापित किया गया है जिसका नम्बर 0512 2546511तथा 0512 2541115 है यह कंट्रोल रूम सुबह 8 बजे से रात्रि 11 बजे तक चलेगा । कोरोना वायरस की  वजह से  अन्य जनपदों से आए लोग जो लाक डाउन के कारण जनपद  कानपुर नगर में रुके व  है ऐसे लोगो को खाना खिलाने के  लिए जिला प्रशासन ने यह व्यवस्था की है ।जिसके क्रम में आज जिला प्रशासन द्वारा  सोशल  डिस्टेंस बनाते हुए 10 हजार लोगों को खाना  वितरण किया गया।


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फतेहपुर मे ललौली थाने के बहुआ कस्बे में तेज रफ्तार ट्रैक्टर से गिरा

फतेहपुर मे ललौली थाने के बहुआ कस्बे में तेज रफ्तार ट्रैक्टर से गिरा।जिससे मजदूर ट्राली के पहिये के नीचे दबा,राहगीरों ने घायल को एबुंलेंस से इलाज के लिए ले जा रहे थे।तभी घायल की  रास्ते मे मौत हो गई। परिजनों ने नहीं उठने दिया शव ।बडी मुस्किल से पुलिस ने शव पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया है।



उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के ललौली थानाक्षेत्र के बहुआ कस्बे के गैस एजेंसी के पास बाँदा टाण्डा हाइवे में तेज रफ्तार ट्रैक्टर ट्राली से गिरे नाबालिग ट्रैक्टर मजदूर श्यामू गिहार 16 वर्ष पुत्र स्व राजबहादुर निवासी पाण्डे ताला(कंजरनडेरा) मजरे सुजानपुर थाना ललौली की ट्रैक्टर ट्राली के पहिये के नीचे दबने व इलाज के लिए पीएचसी बहुआ जाते समय रास्ते मे मौत हो गयी।
ट्रैक्टर चालक शिवा गिहार पुत्र हीरालाल गिहार निवासी पांडेताला सुजानपुर मौके से ट्रैक्टर ट्राली UP71X1206 छोड़कर भाग खड़ा हुआ।
मृतक श्यामू गिहार क्षेत्र के एक भट्ठे में भोर  पहर 3 बजे तड़के कच्ची ईंट की भराई करने गया था।इसके बाद करीब 10 बजे दिन को अन्य साथी मजदूर धरमवीर गिहार,नीरज गिहार,अमित गिहार व चालक शिवा गिहार के साथ वापस घर जा रहा था। तभी तेज रफ्तार में ट्रैकटर चल रहा है कि अचानक मजदूर सडक़ पर गिर पड़ा।और मजदूर की पहिया नीचें दबने मौत हो गई।


घटना के बाद परिजन मृतक के शव को एम्बुलेन्स से उतारकर अपने घर लेकर चले गए।
सूचना पर पहुच क्षेत्रीय  पुलिस ने घंटो मशक्कत के बाद मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।


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कानपुर नगर - जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्म देव राम तिवारी तथा डीआईजी /एसएसपी श्री अनन्त देव  ने आज शहर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया

कानपुर नगर - जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्म देव राम तिवारी तथा डीआईजी /एसएसपी श्री अनन्त देव  ने आज शहर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया । जिलाधिकारी  ने भ्रमण के दौरान निर्देशित करते हुए कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए ही लोग फल, सब्जी तथा   अन्य  आवश्यक वस्तुएं खरीदनी है जिसका पालन सभी जनपद वासियों के करना है।उन्होंने कहा कि अनावश्यक वस्तुओं का भंडारण  लोग न करे जितनी जरूरत हो उसी के हिसाब से ही खरीदे , होम डिलीवरी के माध्यम से सभी    आवशयक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु समस्त वार्डों में दुकानदारों का   चिन्हीकरण किया जा रहा है आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी  होम डिलेवरी  के माध्यम से ही करे।उन्होंने समस्त जनपद के  दुकानदारों को कड़े निर्देश देते हुए कहा कि अनावश्यक वस्तुओं के मूल्य बढ़ा कर न बेचे और न ही काला बाजारी करे ऐसा करने वालो पर   कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी ।  सबसे पहले जिलाधिकारी  फूल बाग फल मण्डी पहुचे जहां पर सब्जी के ठेलो व दुकानों के सामने एक निश्चित दूरी पर गोले बनाए गए थे जिसका अनुपालन वहां पर आने वाले ग्रहको द्वारा किया जा रहा था। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पद्धति को अपनाएं और सोशल डिस्टेंसिग  रखते हुए  ही आवश्यक  वस्तुवें खरीदे ।तत्पश्चात जिलाधिकारी  कलेक्टर गंज  थोक बाजार पहुचे जहां पर दुकानदारो  को निर्देश देते हुए कहा कि सोशल डिस्टेंसिग बनाते हुए ही बिक्री करे । तत्पश्चात  जिलाधिकारी   बादशाही नाका सब्जी मण्डी तथा बड़ा चौराहा फल मण्डी का भी निरीक्षण किया । जिलाधिकारी  ने एलाउंसमेंट करते हुए कहा कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखें।  भ्रमण के दौरान डीआईजी/ एसएसपी श्री अनन्त देव ने निर्देशित करते हुए कहा कि फल सब्जी के ठेले 24 घण्टे चलेंगे ,उक्त निर्देश उन्होंने समस्त  थानाध्यक्षों को  दिये ।उन्होंने  कहा कि  फल, सब्जी  आदि के ठेले गली मोहल्लों में  24 घण्टे चलेंगे  , केवल सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए उनकी बिक्री सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये ।


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कानपुर में लोग कोरोना जैसी महामारी का उड़ा रहे मज़ाक , बिना सतर्कता बरते खुले आम घूम रहे लोग ।

उत्तर प्रदेश । देश मे कोरोना वायरस की फैलती महामारी को रोकने से बड़ी चुनौती सरकार के सामने अब लीगो के बीच सोशल डिस्टेंनसिंग को मेन्टेन कराना है । जहां कोरोना से बचने के लिए सरकार द्वारा तरह तरह के बचाव व उपाय बताये जा रहे है वही आम जनमानस का इस पर कोई खासा असर नही दिखाई पड़ रहा है। आपको बताते चलें की कोरोना वायरस के फैलने का सबसे बड़ा माध्यम भीड़ एकत्रित व कम्युनिटी  में आने से होता है । केंद्र व राज्य सरकार बार बार लोगो से अपील भी कर रही है कि भीड़ ना लगाएं , सोशल डिस्टेंनसिंग को पूरी तरह से मेन्टेन करें। बाबजूद इसके कानपुर में लोगो के कानों तक अभी भी सरकार की बात नही पहुच रही है । 


लॉक डाउन के दौरान रोजमर्रा के सामान को खरीदने के लिए प्रशासन द्वारा हर दिन सुबह 6 से 11 बजे तक कि छूट दी जा रही है और साथ ही लोगो व दुकानदारों को समझाया जा रहा है कि इस दौरान सभी लोग विशेष तौर पर सोशल डिस्टेंनसिंग का पालन जरूर करें । मगर कानपुर स्तिथ रतनलाल नगर सब्ज़ी मंडी में सरकार और प्रशासन की इस अपील का लोग मज़ाक उड़ाते दिख रहे है। आपको बता दें कि मंडी में समान खरीदने के दौरान सोशल डिस्टेंनसिंग मेन्टेन करना  तो दूर लोगो ने मास्क लगाना भी जरूरी नही समझा। ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर कानपुर जैसे लाखो की आबादी वाले शहर में इस महामारी ने अपने पैर पसारे तो इस हसंते खेलते शहर की कितनी भयानक तस्वीर हो सकती है।


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कानपुर देहात में लॉकडाउन न मानने वालो पर प्रशासन हुआ सख्त, दुकानदारों समेत 59 लोगो को गिरफ्तार कर भेजा जेल।

कोरोना वायरस से बचाव के लिए लाॅक डाउन का पालन करना बेहद जरूरी और इसके प्रधानमंत्री भी अपील कर चुके हैं। ज्यादातर लोग इस बात को समझकर घरों के अंदर हैं लेकिन कुछ लोग अभी समझने को तैयार नहीं है। कानपुर देहात के शिवली क्षेत्र में पुलिस ने लॉक डाउन का उल्लंघन करने पर 59 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार करके धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिन तक लॉक डाउन का एलान करने के साथ लोगों से रोड पर न निकलने की अपील कर चुके हैं। इसी क्रम में उप्र प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोराेना वायरस के फैलते संक्रमण से बचाव के लिए पूरे प्रदेश में लॉक डाउन की घोषणा की है। प्रदेश सरकार ने पुलिस प्रशासन को लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है। गुरुवार को शिवली कोतवाल वीरपाल सिंह तोमर, एसआई लक्ष्मण सिंह पुलिस बल के साथ बैरी तिराहे पर निगरानी कर रहे थे। यह एक बाइक सवार बेवजह घूमता मिला।


पुलिस ने बाइक सवार बैरीसवाई गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया। मैथा बाजार में दुकानदारों को चेतावनी दिए जाने के बावजूद गिट्टी-मौरंग की दुकान खोलकर मजदूरों को एकत्रित करके बैठे मैथा मारग निवासी देवेंद्र शर्मा बैठे थे। पुलिस ने दुकानदार को गिरफ्तार कर लिया। एसआई सत्य पाल सिंह ने जवाहर नगर शिवली में लॉक डाउन का उल्लंघन करते बुधवार शाम दुकान खोलकर भीड़ लगवाए श्यामू पटेल को गिरफ्तार कर लिया। सीओ राम शरण सिंह ने बताया कि शासन की मंशा के अनुरूप लॉक डाउन का उल्लंघन करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।


वहीं रसूलाबाद में जान मोहम्मद समेत 13 लोगों को पुलिस ने सड़क पर घूमते हुए पकड़ा। भोगिनीपुर में नफीस व हसन, देवराहट थाने में शाहिबा, छोटे लाल समेत दो अन्य, अमराहट में आशीष व नौ अन्य के साथ ही मंगलपुर में दीपक व राजू के अलावा 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। सिकंदरा में रामसिंह व चार अन्य, डेरापुर में आजाद व एक अन्य, सट्टी में अंकित, बरौर थाना क्षेत्र में आशीष व मूसानगर में मोहित व मुबीन के अलावा तीन को गिरफ्तार किया है। यह सभी बेवजह सड़क पर घूमते हुए पकड़े गए। एसपी अनुराग वत्स ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है कि आप निर्देशों का पालन करते हुए घरों के अंदर रहे। अगर कोई लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए सड़क पर बेवजह मिला तो कड़ी कार्रवाई होगी।


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लॉक डाउन के चलते कानपुर में राशन की बढ़ी किल्लत , दुकानदार बोले सप्लाई नहीं आ रही दुकानों में हो रहा राशन खत्म ।

-लाकडाउन के चलते नहीं आ पा रही सप्लाई की गाड़ियां
-फुटकर दुकानदार बोले थोक वाले पास भी नहीं है माल



कानपुर । लाकडाउन के चलते शहर की फुटकर राशन की दुकानों में माल खत्म हो गया है । राशन देने वाली गाड़ियां  आ नहीं रही है और दुकानदार जब थोक विक्रेता पास जाता है ,  तो वह भी माल ना होने की बात कहता है । कल्याणपुर क्षेत्र के दुकानदारों का कहना है आटा तो चार दिन पहले ही खत्म हो गया था । दाल, चावल, राजमा , छोला ,शक्कर और मसाले अब थोड़े थोड़े बचे हैं । एक दिन और सप्लाई ना आई तो दुकान बंद करनी पड़ेगी । दुकानदारों ने बताया जो भी ग्राहक आ रहा है उसको थोड़ा थोड़ा सामान दे रहे हैं, जिससे सभी का काम चल सके। वही क्षेत्रीय जनता ने राशन न मिलने से जिला प्रशासन पर असंतोष जाहिर किया ।


लोगो से बातचीत ।


छोटी दुकान है कुछ लोग सप्लाई देने आते थे, कहीं-कहीं मैं स्वयं लेने जाता था । 11 बजे के बाद पहली बात तो जाना मुश्किल होता है अगर पहुंच भी गया तो माल नहीं मिल रहा है, दुकानें बंद हो जाती है। ऐसा ही चलता रहा तो दुकान बंद करनी पड़ेगी। 
रामचंद्र गुप्ता , दुकानदार


21 तारीख के बाद से कोई भी सप्लाई वाला नहीं आया है । जो खुद  बचा है ,वह ग्राहकों को दे रहा हूं । सबसे ज्यादा समस्या आटे की है, वह चार दिन पहले ही खत्म हो गया था ‌। किसी ठोक दुकानदार पास जा रहा हूं तो वह भी माल ना होने की बात कहता है। 
राजन सिंह, दुकानदार


21 तारीख को घर में कुछ राशन लाकर रख लिया था। अब धीरे-धीरे भाभी खत्म होने लगा है । दुकानों में राशन मिल नहीं रहा है। समझ नहीं आता क्या करूं ‌।
शिवम पांडे, निवासी कल्याणपुर आवास विकास एक।


दुकानों में सबसे ज्यादा किल्लत आटे की है ‌ । सुबह से कम से कम 5 दुकानों पर जा चुका हूं, कहीं भी आटा नहीं मिला। सरकार ने लाक डाउन किया है तो उसको जनता के लिए राशन की व्यवस्था करवानी चाहिए ।
जितेंद्र सिंह भदौरिया, निवासी कल्याणपुर आवास विकास तीन।


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कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन के दौरान पैदल घर जाने को मजबूर लोग , 650 से अधिक किलोमीटर पैदल पलायन कर रहे लोग

उत्तर प्रदेश। जहां पूरी दूनिया में अभी कोरोना महामारी का संकट जारी है, वहीं भारत मे भी अन्य राज्यों से आए मजदूरों को भी घर पहुंचने की समस्या सता रही है। रोजमर्रा का काम करने वाले मजदूर अब देश के अलग अलग राज्यो से अपने घर जाने को पैदल पलायन करते नज़र आ रहे है ।


मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का है , जहां शहर स्तिथ कल्याणपुर क्रोसीइंग के पास 6 युवा मजदूर दिल्ली से फैज़ाबाद पैदल जाते दिखाई दिए। टीम द्वारा  उनसे पूछताछ की गई तो बताया कि वे दिल्ली से सट्टे नोएडा  जिले  से आए हैं और अब अपने घर उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद स्थित तारूल  गांव के लिए  पलायन कर रहे हैं। जब 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आवाहन हुआ था तब उन्हें लगा था कि स्तिथि नियंत्रण में आ जायेगी परन्तु 21 दिनों के लॉक डाउन के बाद इस महामारी के चलते ठेकेदार ने भी अब मदद के लिए हाथ ऊपर कर दिए हैं। ऐसे में अब घर जाने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। दो दिन पूर्व वह सभी लोग दिल्ली से पैदल रवाना हुए थे। साथी मजदूर 23 वर्षीय संजय ने बताया कि उनके पास पैसे खत्म हो गए थे , खाने के लिए राशन भी नही था ऐसे में पैदल अपने घर जाने के बजाए उन लोगो के पास कोई रास्ता नही बचा था । इसलिए वह पैदल ही निकल पड़े , हालांकि बीच बीच मे उन्हें लोगो द्वारा  लिफ्ट भी दि और कही चाय बिस्कुट भी खिलाय गए परन्तु ऐसी मजबूरी में वह क्या करते । वही उनके साथ पैदल घर जा रहे 22 वर्षीय देवनारायण ने बताया कि दिल्ली से हमारे घर की दूरी लगभग 650 किलोमीटर की है । और इसे हमे पैदल ही तय करना होगा क्योंकि न तो सरकार हमारी सुन रही है और ना ही हमारे मालिकान , उनका कहना है कि कोरोना वायरस से तो शायद बाद में मरे पर इस भूख से पहले ही मर जायेंगे। 


ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश मे लॉक डाउन करने से पहले सरकार को इनकी मजबूरी के बारे में सोचते हुए इनकी मूलभूत व्यवस्थाओ के बारे मे नही सोचना चाहिए था । सिर्फ यही नही पूरे देश मे मजदूर तमगे के लोगो मे अपने घर जाने के लिए पैदल पलायन करने की होड़ लगी है ।






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कोरोना महामारी के चलते सरकार का निर्देश ,अब दूरदर्शन भारती,में देखे सुप्रसिद्ध सीरियल महाभारत ।

कोरोना महामारी के चलते सरकार का निर्देश ,अब दूरदर्शन भारती,में देखे सुप्रसिद्ध सीरियल महाभारत । जी है बिल्कुल सही सुना आज से रामायण का प्रसारण तो आरम्भ हो ही गया था जिसे आप 125 नम्बर पर दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर देख सकते थे । वही आज से  आपकी अपनी महाभारत का भी प्रसारण कल से दूरदर्शन के dd भारती पर होने जा रहा है । दूरदर्शन पर इसे सुबह 11 बजे से प्रसारित किया जाएगा ।


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सावधान - Jio दे रहा है 498 रुपये का फ्री रिचार्ज! ऐसे लिंक पर ना करें क्लिक हैक हो जाएगा डाटा

कारण पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन घोषित किया है और ऐसे में लोगों वर्क फ्रॉर्म होम कर रहे हैं। लोगों को बेहतर इंटरनेट सुविधा मुहैया कराने के लिए टेलिकॉम कंपनियां नए प्लान लॉन्च कर रही हैं। ताकि घर से काम करते वक्त लोगों इंटरनेट की स्पीड या डाटा खत्म होने जैसे समस्याओं का सामना ना करना पड़ें। ऐसे में Jio के नाम से लोगों के पास एक मैसेज आ रहा है जिसमें कंपनी द्वारा 498 रुपये का फ्री रिचार्ज देने की बात कही गई है। आइए जानते हैं कि इस मैसेज में कितनी सच्चाई है?


Reilance Jio के नाम से एक मैसेज काफी वायरल हो रहा है। इस मैसेज में कंपनी की ओर से 498 रुपये का रिचार्ज बिल्कुल फ्री देने की बात कही जा रही है। मैसेज के साथ ही आपको एक लिंक भी मिलेगा। इस लिंक पर क्लिक करने के बाद ही आपको रिचार्ज की जानकारी मिलेगी। मैसेज में यह भी लिखा है कि यह ऑफर केवल 31 मार्च तक ही वैलिड है।


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मदद के लिए आगे आईं सोनिया गांधी, नाराज लोग बोले- सबसे बड़ी भूल, तुमको किया कुबूल

रायबरेली से सांसद और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपने संसदीय क्षेत्र की जनता की कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को पूरी सांसद निधि का इस्तेमाल करने की पेशकश की है.


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लॉकडाउन में लोगों को घर पहुंचाने के लिए दिल्ली बॉर्डर से हर दो घंटे पर बस

कोरोना के चलते पूरी तरह लॉकडाउन के कारण लोगों और खासकर बाहर काम करने वालें मजदूरों के अपने घर लौटने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर यूपी परिवहन दिल्ली की सीमा से जुड़े लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए बसें चला रहा है। इसके लिए बसों को नोएडा और गाजियाबाद पहुंचाया जा रहा है। आज सुबह 8 बजे से हर 2 घंटे में लगभग 200 बसें प्रस्थान कर रही है। ये बसें 28 और 29 मार्च को चलेंगी। इन बसों को लेने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है।


कुछ बसें जो पहले ही गाजियाबाद नोएडा और सीमावर्ती क्षेत्रों से निकल चुकी हैं, वे यूपी में विभिन्न गंतव्य के रास्ते पर हैं। सरकार ने अब इन सभी यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों के डीएम, एसपी और एसएसपी को इन बसों को न रोके जाने का निर्देश दिया है।


दिल्ली की सीमा से लेकर यूपी के विभिन्न जिलों में लोगों को ले जाने का विशेष कार्य आज 28 अप्रैल और 29 मार्च तक जारी रहेगा। सरकार ने कहा है कि हम सभी डीएम से अनुरोध करेंगे कि वे आज और कल अपने डिस्ट्रिक्ट पॉइंट्स तक पहुंचने वाली बस की डिटेल्स पर ध्यान दें और टर्मिनेशन पॉइंट्स पर नजर रखने वाले सभी यात्रियों की मेडिकल स्क्रीनिंग की व्यवस्था करें और पैसेंजर्स डिटेल्स को भी बरकरार रखें। आगे की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि।




गौरतलब है कि देश में कोरोना का तांडव जारी है। सरकार द्वारा देश में लॉकडाउन के बावजूद बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस 'कोविड-19' संक्रमण के 75 नए मामले सामने आए हैं और कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 800 से ऊपर हो गई है तथा इससे चार मरीजों की मौत हुई हैं। कोरोना वायरस का प्रकोप देश के 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में फैल चुका है।  कोरोना वायरस के संक्रमण से देश भर में अब तक 19 लोगों की मौत हुई है। केरल, महाराष्ट्र, कनार्टक, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में अभी तक सबसे अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं।



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देश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 873 हुई, पिछले 24 घंटों में सामने आए 149 केस

कोरोना वायरस से दुनियाभर के देशों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। जहां एक तरफ मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर इकॉनमी की भी कमर टूट रही है। दुनिया में अब तक पांच लाख से अधिक कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, चीन आदि जैसे देश वायरस के संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। भारत में भी कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक भारत में 873 मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा मरने वालों की संख्या 19 पहुंच गई है। देश में कोरोना वायरस के 67 मरीज ऐसे हैं, जो ठीक हो चुके हैं। 


- पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 149 नए मामले सामने आए। देश में कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या बढ़कर 873 हुई।


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कोरोना वायरस: दक्षिण कोरिया ने जो किया वो दुनिया के लिए मिसाल

दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के एक हॉस्पिटल के पीछे कार पार्किंग से अपनी कार को बाहर निकालते समय 45 साल की रशेल किम शीशा नीचे करती हैं और फिर अपनी जीभ को बाहर निकालती हैं. वो पिछले हफ़्ते डैगु गई थीं. डैगु दक्षिण कोरिया का वो इलाक़ा है जो कोरोना वायरस की चपेट में था.


वहाँ से लौटने के बाद से ही रशेल को खांसी आ रही है और बुख़ार भी है. चूंकि मौजूदा समय में दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है तो उन्हें भी इस आशंका ने घेर लिया कि कहीं वो संक्रमित तो नहीं हो गई हैं.


उन्होंने फ़ैसला किया कि वो अपना टेस्ट करवाएंगी ताकि उनका डर स्पष्ट हो जाए. दक्षिण कोरिया में दर्जनों ऐसे केंद्र बनाए गए हैं जहां आप गाड़ी में बैठे-बैठे टेस्ट करा सकते हैं.


इन केंद्रों पर सिर से लेकर पैर तक सफ़ेद सुरक्षात्मक कपड़े पहने खड़े रहते हैं. उनके हाथों में उम्दा दस्ताने होते हैं, आंखों पर चश्मे और मुंह पर सर्जिकल मास्क.


सेंटर पर खड़े इन दोनों में से एक शख़्स रशेल को एक स्वैब स्टिक (जांच में इस्तेमाल होने वाला उपकरण) देता है. रशेल उसे अपने मुंह में अंदर की तरफ़ ले जाती हैं और फिर एक टेस्ट-ट्यूब में सुरक्षित रखते हुए उसे जांच के लिए खड़े दूसरे शख़्स को सौंप देती हैं.


इसके बाद एक मुश्किल जांच.


एक दूसरा स्वैब वो नाक के अंदर ले जाती हैं. ये थोड़ा तक़लीफ़देह है क्योंकि उनकी आंखों में पानी आ जाता है. लेकिन ये सारी प्रक्रिया एक से डेढ़ मिनट में पूरी हो जाती है.


इसके बाद वो अपनी कार का शीशा ऊपर चढ़ाती हैं और ड्राइव करते हुए पार्किंग एरिया से निकल जाती हैं. अगर उनकी जांच का नतीजा पॉज़ीटिव रहा तो उन्हें कॉल करके इसके बारे में सूचित किया जाएगा. अगर नतीजा निगेटिव रहा तो सिर्फ़ एक मेसेज.


निगेटिव प्रेशर रूम


दक्षिण कोरिया में हर रोज़ क़रीब 20 हज़ार लोगों की जांच की जा रही है. टेस्ट किए जाने का ये आँकड़ा दुनिया के किसी भी दूसरे देश से कहीं अधिक है.


रशेल के पार्किंग से निकलने के कुछ वक़्त बाद ही उनका सैंपल पास के लैब में भेज दिया गया. दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस टेस्ट के लिए बनाए गए ये लैब्स 24x7 काम कर रहे हैं.


कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस तरह के कई लैब तैयार किए गए हैं जो फ्रंट-लाइन पर इस महामारी को मात देने का काम कर रही हैं.


दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस टेस्ट के लिए 96 पब्लिक और प्राइवेट लैब का निर्माण किया है.


स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि इस तरह से लोगों की ज़िंदगियां बचायी जा सकती हैं. दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस से मौत की दर 0.7 फ़ीसदी है. अगर वैश्विक स्तर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर जारी की गई दर की बात करें तो यह 3.4 फ़ीसदी है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि स्थिति इससे कहीं अधिक ख़राब है क्योंकि हर केस दर्ज हो ही रहा हो, यह ज़रूरी नही है ।


मैंने ग्रीन क्रॉस लैब का रुख़ किया जो कि सोल के बाहरी हिस्सें में स्थापित की गई है. जब मैं वहां पहुंची तो सैंपल का नया स्टॉक टेस्ट होने के लिए बस आया ही था. डॉ. ओह येजिंग ने हमें पूरी लैबोरेटरी दिखाई लेकिन एक जगह जाकर वो रुक गईं. उन्होंने हमें बताया कि वहां हमारे जाने की मनाही है.


उन्होंने मुझे बताया "इस निगेटिव प्रेशर रूम में टेस्ट किया जाता है


उस कमरे के भीतर दो डॉक्टर मौजूद थे. उन्होंने हल्के पीले रंग का सुरक्षा कवच पहन रखा था. वो उस कमरे में कभी एक कोने पर जाते, कभी दूसरे. वे एक मेज पर रखी टेस्ट ट्यूब्स उठाकर दूसरी मेज पर रख रहे थे.


हमें अपने आसपास दर्जनों मशीनों की आवाज़ सुनाई दे रही थी. ये लगातार काम कर रही थीं और नतीजे दे रही थीं. ये पीसीआर (पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) टेस्ट कर रही थीं. अगर एकदम साधारण शब्दों में कहें तो ये मशीनें इस बात की जांच कर रही थीं कि कौन सा सैंपल प़ॉजीटिव है.


टेस्ट-ट्यूब में सैंपल स्टोर करने से लेकर टेस्ट का परिणाम आने तक में पाँच से छह घंटे का समय लगता है.


मर्स से सबक


प्रोफ़ेसर गे चियोल कोन लैबोरेटरी मेडिसीन फ़ाउंडेशन के चेयरमैन हैं. वो कहते हैं कि इतनी तेज़ी से यह सब कुछ कर पाना दक्षिण कोरियाई जीन का हिस्सा है. इसे वो कोरियाई 'बाली-बाली' जीन कहते हैं.


बाली एक कोरियाई शब्द है, जिसका मतलब है जल्दी.


वो ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि दक्षिण कोरिया टेस्ट का तरीक़ा खोजने में कामयाब रहा और उन्होंने पूरे देश में प्रयोगशालाओं का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जो महज़ 17 दिनों के भीतर ही सक्रिय तौर पर काम करने लगा.


लेकिन इन सभी त्वरित प्रक्रियाओं के पीछे एक बेहद कड़वा अनुभव है.


चियोल कोन कहते हैं, "हमने किसी भी नए संक्रमण के ख़तरे से लड़ना सीखा है. यह साल 2015 में फैले मिडिल ईस्ट रेस्पाइरेटरी सिंड्रोम (मर्स) की सीख का नतीजा है."


जिस समय मर्स का प्रकोप फैला था, दक्षिण कोरिया में 36 लोगों की जान चली गई थी.


36 लोगों की मौत ने इस देश को संक्रमण से निपटने के लिए त्वरित और उपयोगी क़दम उठाने के लिए प्रेरित किया. इसके साथ ही दक्षिण कोरिया अपने दृष्टिकोण में भी बदलाव लाने को मजबूर हुआ.


दक्षिण कोरिया सेंटर फ़ॉर डिज़ीज कंट्रोल ने तो एक ऐसे विभाग की स्थापना ही कर डाली जो इस तरह की किसी भी बुरी से बुरी परिस्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहे.


...और अब जबकि कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर को परेशान कर रहा है, दक्षिण कोरिया की यही तैयारी उसे लाभ दे रही है.


प्रो कोन कहते हैं " मुझे लगता है कि शुरुआती संक्रमित लोगों की पहचान करके, उनकी सही जांच और उसके बाद उन्हें आइसोलेशन में रखकर मृत्यु दर को रोका जा सकता है और वायरस के प्रसार को भी नियंत्रित किया जा सकता 


वो कहते हैं कि हर पुराने अनुभव से सीखने की ज़रूरत होती है और पहले से ही सिस्टम को तैयार रखने की आवश्यकता...संभव तौर पर इस तरह के किसी भी नए प्रकोप से निपटने के लिए यही सबसे कारगर उपाय होता है.


फ़रवरी की शुरुआत तक ग्रीन क्रॉस की टीम के लिए सब कुछ बहुत ही सामान्य था लेकिन उसके बाद एक मरीज़ की पहचान हुई. जिसे दक्षिण कोरिया में अब पेशेंट-31 के नाम से भी जाना जाता है. इस महिला का कोई यात्रा का रिकॉर्ड नहीं था, ना ही वो किसी ऐसे शख़्स के संपर्क में आई थीं जिन्हें कोरोना पॉज़ीटिव पाया गया हो.


वो शिंचेओंजी चर्च ऑफ़ जीसस से जुड़ी हुई थीं. इस धार्मिक समुदाय के क़रीब दो लाख सदस्य हैं. इस एक बात ने इस प्रकोप के मूल स्रोत को खोजने और उसके फैलने के बारे में शुरुआती जानकारी दी.


दक्षिण कोरिया में प्रयोगशालाएं टेस्ट के लिए तैयार थीं. हालांकि कर्मचारियों का लगातार काम करना और थकना एक मुद्दा ज़रूर था. लेकिन अब वे पालियों में काम करते हैं.


डॉ. ओह ने बताया कि अब परिस्थितियां पहले की तुलना में बेहतर हुई हैं और अब वो काम के बाद कुछ घंटों की नींद ले पा रहा ।


सभी के लिए एक रोल मॉडल


दक्षिण कोरिया में टेस्टिंग किट्स की कोई कमी नहीं है. चार कंपनियों को टेस्टिंग किट बनाने के लिए अप्रूवल दिया गया है. इसका मतलब ये हुआ कि दक्षिण कोरिया के पास पूरी क्षमता है कि वो हर सप्ताह क़रीब एक लाख चालीस हज़ार टेस्ट कर सके.


प्रो. कोन का मानना है कि दक्षिण कोरिया में जो टेस्ट किए जा रहे हैं उनकी प्रमाणिकता 98 फ़ीसदी है.


इतनी अधिक संख्या में लोगों को टेस्ट करने की क्षमता और योग्यता ने इस देश को दुनिया के दूसरे देशों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर स्थापित किया है. एक ऐसे देश के तौर पर जो कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार है.


लेकिन सब कुछ अच्छा ही नहीं है. कुछ ग़लतफ़हमियां भी हुई हैं.


अस्पताल का बेड मिलने का इंतज़ार करते-करते डैगु में दो लोगों की मौत हो गई. शुरुआत में यहां जिसे भी संक्रमित पाया जा रहा था उसे अस्पताल में ही क्वॉरन्टीन के लिए रखा जा रहा था.


लेकिन अब डॉक्टरों ने यह समझ लिया है कि जिन लोगों में यह संक्रमण बेहद कम है उन्हें उनके आवास पर भी इलाज मुहैया कराया जा सकता है. ऐसे में जो लोग ख़तरनाक तौर पर संक्रमित हैं उन्हें अस्पताल का बिस्तर मिलना आसान हो गया है.


कोरिया नेशनल मेडिकल सेंटर के डॉ किम योन जे के मुताबिक़, "हम हर किसी को क्वॉरन्टीन नहीं कर सकते हैं और ना ही हर किसी का इलाज कर सकते हैं. जिन लोगों में संक्रमण के बेहद मामूली लक्षण हैं उन्हें घर पर रहना चाहिए और वहीं इलाज लेना चाहिए."


"हमें परिणाम को देखते हुए रणनीति में बदलाव करना चाहिए ताकि मौत के आँकड़ों को बढ़ने से रोका जा सके. जैसे की इटली में यह भयानक रूप ले चुका है. ऐसी स्थिति में इटली को अपनी रणनीति में बदलाव लाना चाहिए."


वैक्सीन को लेकर उम्मीद


जिन लोगों के सैंपल जमा किए गए हैं उनकी भी जांच हो रही है और उन पर भी परीक्षण किए जा रहे हैं. वैज्ञानिकों ने एक यूनिक प्रोटीन ईजाद किया है जो एंटीबॉडी का पता लगा सकता है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इसका टीका तैयार कर लिया जाएगा.


ली नाम के एक शख़्स (बदला हुआ नाम) हर सप्ताह ख़ून की जांच कराने के लिए जाते हैं. वो वुहान में काम करते थे. वो दिसंबर महीने में वहीं थे, जब इस वायरस का पता चला और फिर ये पूरी दुनिया में फैल गया. उन्हें दक्षिण कोरियाई सरकार वापस लेकर आई और जब उनकी जांच हुई तो पता चला कि वो पॉज़ीटिव हैं.


उनकी मां इस बात से काफ़ी दुखी थीं.


वो बताते हैं, "मां यह जानकर सबसे अधिक परेशान हो गई थीं लेकिन उन्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैं 28 साल का हूं और मेरा केस माइल्ड लेवल का था."


अपनी तबीयत के बारे में ली कहते हैं, "मैं बिलकुल ठीक महसूस कर रहा था. मुझे इसके कोई लक्षण भी नज़र नहीं आ रहे थे. बस हल्का सा कफ़ था. अगर मैं अपने अनुभव से कहूं तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप सचेत रहें और सावधान भी. लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि ज़्यादा घबराएं नहीं. कम से कम मेरे मामले में वायरस के लक्षण बहुत तीव्र नहीं थे. लेकिन मैं ये ज़रूर जानता हूं कि जो लोग बुज़ुर्ग हैं उन्हें ज़्यादा सावधानी रखने की ज़रूरत है. लेकिन जो लोग युवा हैं और स्वस्थ हैं उन्हें बहुत अधिक डरने या घबराने की ज़रूरत नहीं. लेकिन सावधानी अपनाना ज़रूरी है."



जानकारी होना अच्छा है


दक्षिण कोरिया में अभी तक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो भी उपाय अपनाए गए हैं, उनमें लॉकडाउन कहीं भी नहीं है. यानी सुरक्षा उपायों के नाम पर ना तो कहीं बंदी की गई है ना सड़कों पर प्रतिबंध लगाया गया है और ना ही लोगों के आवाजाही को रोका गया है.


दक्षिण कोरिया का इस वायरस से लड़ने का सिर्फ़ एक मंत्र है- पहचान, परीक्षण और इलाज.


लगभग पाँच करोड़ की आबादी वाला ये देश इस वायरस से लड़ने के लिए हर छोटी से छोटी कोशिश को भी तवज्जो दे रहा है. स्कूल अब भी बंद हैं, दफ़्तरों में लोगों को घर से काम करने को कह दिया गया है और लोगों से कहा गया है कि वे किसी समारोह और आयोजन का हिस्सा ना बनें.


सोल की सड़कों पर धीरे-धीरे लोगों की आवाज़ बढ़ रही है. ज़्यादातर लोग मास्क में दिखते हैं. हर प्रमुख इमारत के बाहर थर्मल ट्रेसिंग की व्यवस्था की गई है.


हर लिफ़्ट में हैंड-सेनेटाइज़र की व्यवस्था की गई है. जगह-जगह लोगों को खड़ा किया है जो आते-जाते लोगों को याद दिलाते रहते हैं कि हाथ धोना है.


दक्षिण कोरिया में धीरे-धीरे ये चलन आम होता जा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी अब भी मुस्तैद हैं. उनका मानना है कि अभी लापरवाही, ख़तरनाक साबित हो सकती है. अगर किसी चर्च, ऑफ़िस, जिम या सोसायटी में किसी एक ने भी लापरवाही की तो परिणाम भयानक हो सकते हैं.


रही बात रशेल किम के टेस्ट रिज़ल्ट की तो...


रशेल किम को उनके टेस्ट के अगले दिन एक मैसेज आया. उन्हें कोरोना वायरस संक्रमित नहीं पाया गया.


लेकिन वो कहती हैं "टेस्ट के बाद ये पता चलना सुकून देने वाला है. यह एक बड़ी राहत इसलिए भी है क्योंकि अब मैं किसी और के लिए भी ख़तरा नहीं हूं.


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