ROTOMAC के मालिकों पर CBI ने दर्ज की FIR, अब इलाहाबाद बैंक से 36 करोड़ का फ्रॉड
इलाहाबाद बैंक की शिकायत पर लखनऊ सीबीआई ने रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. आपको बता दें कि विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी पर इलाहाबाद बैंक से 36 करोड़ रुपये से अधिक के फ्रॉड का आरोप है.
लखनऊ: इलाहाबाद बैंक की शिकायत पर लखनऊ सीबीआई ने रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. आपको बता दें कि विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी पर इलाहाबाद बैंक से 36 करोड़ रुपये से अधिक के फ्रॉड का आरोप है. इलाहाबाद बैंक ने कंपनी पर जालसाजी, धोखाधड़ी, अमानत में खयानत के आरोप में एफआईआर कराई है. बैंक ने इस मामले में कंपनी से जुड़े सीए, स्टॉक आडिटर्स, इम्पैनल्ड वैल्युअर्स, लोकसेवकों और निजी लोगों की भूमिका की भी जांच करने की मांग की है.
हजरतगंज स्थित इलाहाबाद बैंक के सीजीएम ऑफिस में तैनात डीजीएम अमरजीत सिंह हीरा की शिकायत पर लखनऊ सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने रोटोमैक कंपनी के मालिकों पर एफआईआर दर्ज की है. आपको बता दें कि फरवरी 2018 में भी सीबीआई और ईडी ने रोटोमैक कंपनी के मालिकों के खिलाफ 3600 करोड़ से अधिक के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज किया था.
रोटोमैक कंपनी के मालिकों पर 3600 करोड़ का बकाया
इसमें विक्रम और राहुल कोठारी की गिरफ्तारी भी हुई थी. आपको बता दें कि रोटोमैक कंपनी पर 2017 तक कुल कर्ज बैंक कर्ज 3600 करोड़ से अधिक का था. इसमें इंडियन ओवरसीज बैंक का 1400 करोड़ रुपये बैंक ऑफ इंडिया का 1395 करोड़ रुपये. बैंक ऑफ बड़ौदा का 600 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक का 352 करोड़ रुपये शामिल था.
इलाहाबाद बैंक के साथ फर्जीवाड़े का ऐसे हुआ था खुलासा
सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक रोटोमैक कंपनी कंप्यूटर उत्पाद, कृषि उत्पाद और मशीनरी के व्यवसाय से जुड़ी थी. कंपनी को 13 मार्च, 2010 को लेटर आफ क्रेडिट लिमिट के जरिए इलाहाबाद बैंक से 50 करोड़ रुपये का लोन मंजूर हुआ. बैंक गारंटी के तौर पर 22 प्लॉटों के दस्तावेज, शेयर आदि रखे गए थे. साल 2011 में कंपनी का क्रेडिट रिव्यू किए जाने के बाद 2013 और 2015 में फिस से क्रेडिट लिमिट मंजूर की गई.
रोटोमैक कंपनी की तरफ से क्रेडिट लिमिट 225 करोड़ रुपये करने की मांग की गई. कंपनी मानकों को पूरा नहीं कर पाई तो इलाहाबाद बैंक ने लिमिट बढ़ाने से मना कर दिया. 14 सितंबर 2016 को कंपनी के लिए बैंक ने 75 लाख डॉलर (करीब 50.21 करोड़ रुपये) का भुगतान किया. जब इस रकम के एवज में खरीदार को 51.43 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए कहा गया तो वह नहीं हुआ.
इलाहाबाद बैंक से कर्जा लेकर फर्जी सेल कंपनियों में निवेश
बैंक में जमा कैश घटाने के बाद 43.09 करोड़ रुपये की देनदारी कंपनी पर आई. कई बार पत्राचार के बावजूद भुगतान न करने पर तीन जून, 2017 को खाता एनपीए घोषित कर दिया गया. 22 प्लॉटों की कीमत (6.24 करोड़ रुपये) घटाने के बाद कंपनी पर बैंक की 36.84 करोड़ रुपये की देनदारी बची. इलाहाबाद बैंक ने कंपनी का फॉरेंसिक ऑडिट करवाया तो फर्जी सेल दिखाने का खुलासा हुआ. बैंक से रकम निकालकर फर्जी कंपनियों के जरिए इधर-उधर निवेश करने की बात सामने आई.
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