विदेश में पढ़ाई करने की सोच रहे हैं? ऐसे मैनेज करें अपना खर्च
पढ़ाई करने से उन लोगों के लिए कई करिअर ऑप्शंस भी खुल जाते हैं जो अपनी विशेषज्ञता में आगे बढ़ना चाहते हैं।
इन खर्चों पर रखें ध्यान
विदेश में अपनी पढ़ाई की प्लानिंग करते समय आपको कुछ महत्वपूर्ण खर्चों को ध्यान में रखना चाहिए, जैसे ट्यूशन फीस, एकोमोडेशन या बोर्डिंग चार्ज और अन्य जरूरी खर्चे जैसे भोजन, परिवहन, जीवनशैली आदि से जुड़े। कई कॉलेज, किताबें और अन्य स्टडी मटीरियल प्रदान करते हैं, लेकिन ट्यूशन फीस, विदेश में पढ़ाई करने के दौरान होने वाला खर्च प्रमुख है। यह उस देश पर आधारित होता है जिसे आप अपनी पढ़ाई के लिए चुनते हैं। यदि आपको कैंपस एकोमोडेशन मिल जाता है तो बोर्डिंग और लॉजिंग का इंतजाम हो जाता है।
कैसे करें इंतजाम?
विदेश में पढ़ाई करने का फैसला करते ही आपको सबसे पहले ज्यादा-से-ज्यादा पैसे बचाने की शुरुआत कर देनी चाहिए। लेकिन, विदेश में पढ़ाई का खर्च इतना अधिक है कि उसे पूरा करने के लिए सिर्फ पैसे बचाने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए कुछ और उपाय करने होंगे जिनके बारे में नीचे बताया गया है...
एजुकेशन लोन
आप बैंकों से विदेश में हायर स्टडीज के लिए 15 साल तक के लोन रीपेमेंट पीरियड के साथ 1.5 करोड़ रुपये तक का फॉरन एजुकेशनल लोन ले सकते हैं। यह लोन आपके द्वारा लिए जाने वाले कोर्स के आधार पर दिया जाता है और यह एजुकेशन फीस, लाइब्रेरी फीस, ट्रेवल कॉस्ट, किताब इत्यादि का खर्च कवर करता है। लोन की रकम ज्यादा होने के कारण बैंक आम तौर पर एजुकेशनल क्रेडिट देने से पहले कोलैटरल सिक्यॉरिटी मांगते हैं। एजुकेशन लोन का रीपेमेंट प्रोसेस आपके कोर्स के छः महीने पूरे होने के बाद शुरू होता है। एजुकेशन लोन पर 11 से 15 प्रतिशत के आसपास इंट्रेस्ट लिया जाता है और अलग-अलग बैंक का इंट्रेस्ट रेट अलग-अलग होता है। इसलिए कोई भी एजुकेशन लोन लेने से पहले आपको तरह-तरह के ऑप्शन पर गौर करना चाहिए। हर बैंक के ऑफर्स की अच्छी तरह छानबीन कर लें और कोई भी फैसला लेने से पहले इंट्रेस्ट रेट, लोन अमाउंट, लोन रीपेमेंट पीरियड इत्यादि के आधार पर उनका मूल्यांकन करना न भूलें।
यदि आप हमेशा से विदेश में पढ़ाई करने की सोच रहे हैं तो आपको शुरू से ही वित्तीय तैयारियों में जुट जाना चाहिए। यदि आप एक वर्किंग प्रफेशनल हैं तो आपको अपने इस वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक बड़ी रकम बचाकर रखना शुरू कर देना चाहिए और उसे किसी ऐसी जगह निवेश करना चाहिए जहां उसे बढ़ने का मौका मिल सके। समय सीमा के बारे में मालूम होना भी उतना ही जरूरी है क्योंकि आप जहां पैसे निवेश कर रहे हैं उसमें कोई लंबा लॉक इन पीरियड नहीं होना चाहिए। एक तरफ फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट इत्यादि पैसे निवेश करने के लिए सुरक्षित ऑप्शन है और उन्हें मैनेज करना बेहद आसान है तो दूसरी तरफ म्यूच्यूअल फंड्स में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIP) मार्केट से जुड़ा रिटर्न देने वाले कुछ अन्य अधिक आक्रामक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार नियमित अंतराल पर अपने लक्ष्य के आधार पर उपयुक्त म्यूच्यूअल फंड्स में एक फिक्स्ड अमाउंट निवेश कर सकते हैं।
आप मेधावी छात्रों को कुछ खास विदेशी संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करके और उसका लाभ उठाने की कोशिश करके भी अपने फॉरन एजुकेशनल एक्सपेंस को फाइनैंशल सपॉर्ट दे सकते हैं। कई स्कॉलरशिप में आपकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया जाता है जिसमें बोर्डिंग, लॉजिंग और ट्यूशन फीस भी शामिल होता है। कुछ स्कॉलरशिप में सिर्फ ट्यूशन फीस अमाउंट को कवर किया जाता है। यदि आपकी ट्यूशन फीस का इंतजाम हो जाता है तो आप अपना बाकी का खर्च उठाने के लिए वहां के कामकाजी कानून के अनुसार वहां कोई पार्ट-टाइम जॉब भी कर सकते हैं।
अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात, विदेश में पढ़ाई करने की तैयारी, फॉरन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट का चुनाव करने के साथ ही और वहां ऐडमिशन पाने की प्रक्रिया के बारे में मालूम होते ही शुरू कर देनी चाहिए।
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