मंगलवार, 19 नवंबर 2019

सोनिया गांधी शिवसेना को लेकर इस बात की चाहती हैं गारंटी, असमंजस में हैं शरद पवार

राकांपा सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की दो दौर की बैठक के बाद भी साथ आने के 'फॉमूले' पर लगातार बातचीत चल रही है. सूत्रों का दावा है कि सरकार में हिस्सेदारी को लेकर ज्यादा विवाद नहीं है. शिवसेना (Shiv Sena) से उद्धव ठाकरे (Dhadhav Thackeray) मुख्यमंत्री बन सकते हैं. वहीं, राकांपा के खाते में गृह मंत्रालय, रेवेन्यू और PWD विभाग के साथ-साथ उप-मुख्यमंत्री का पद भी जा सकता है, जबकि कांग्रेस को भी नए समीकरण में डिप्टी सीएम की कुर्सी मिल सकती है. इस फैसले पर तीनों पार्टियां राजी भी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अभी तक कोई औपचारिक फैसला नहीं हो सका है. दरअसल, कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी NCP प्रमुख शरद पवार से शिवसेना को लेकर 'गारंटी' चाहती हैं. बताया जाता है कि इसी बात पर मामला अटका हुआ है.

जानकारी के मुताबिक, सरकार गठन में देरी की वजह शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच सत्ता के बंटवारे के साथ-साथ विचारधारा का भी बड़ा टकराव है. सोनिया गांधी विवादास्पद मुद्दों पर भविष्‍य में शिवसेना की भूमिका पर शरद पवार से 'गारंटी' चाहती हैं. जानकारी के मुताबिक, सोनिया गांधी चाहती हैं कि एनसीपी प्रमुख पवार इस बात की गारंटी दें कि शिवसेना भविष्‍य में साम्प्रदायिक नीतियों को भविष्य में न दोहराएं. शरद पवार इसको लेकर असमंजस में हैं और इस बात का आश्‍वासन नहीं दे सके हैं. सोनिया गांधी यह भी चाहती हैं कि शिवसेना पहले सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर अपना विचार साफ करे दे कि वह कांग्रेस के रुख का समर्थन करेगी या अलग लाइन लेगी?

सबसे ज्यादा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर जोर
इसके अलावा सोनिया गांधी सबसे ज्यादा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर जोर दे रही हैं. उनका कहना है कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में सभी कार्यक्रम 'धर्मनिरपेक्ष' सिद्धांत की आत्मा के अनुरूप ही होना चाहिए. इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता है. ऐसे में अब गेंद पूरी तरह पवार के पाले में है. ठोस आश्वासन के बाद ही गठबंधन का ऐलान होगा. इसमें कुछ दिन का वक्‍त लग सकता है.


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