गुरुवार, 21 नवंबर 2019

पुनर्विचार याचिका राम मंदिर निर्माण को लटकाने की साजिश, हल्के में न लें: प्रवीण तोगड़िया

राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया को राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से आया फैसला फिर अटकने का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और बाबरी एक्शन कमेटी को हल्के में लेने की गलती भारी पड़ सकती है। उनके साथ कई शक्तियां हैं, जो पुनर्विचार याचिका के जरिए मामले को फिर लटकाने में सफल हो सकती हैं। ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को अब अपना वादा पूरा करना ही होगा। सरकार इसी शीतकालीन सत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए सोमनाथ की तर्ज पर संसद में कानून पारित कराए।


 

तोगड़िया ने बुधवार को 'अमर उजाला' से फोन पर बातचीत में राम मंदिर पर केंद्र सरकार की तैयारी से लेकर विहिप की ओर से मंदिर मॉडल अपनाने की जिद और हिंदू पक्षकारों व संतों में ट्रस्ट को लेकर आपसी प्रतिस्पर्धा को औचित्यहीन ठहराया। उन्होंने कहा कि मंदिर के स्वरूप, ट्रस्ट, प्रबंधन आदि की चर्चा तब ठीक होती, जब कोई पक्ष पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात नहीं करता।

तोगड़िया ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल है कि राम मंदिर बनना शुरू होगा क्या? क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी उस पर दो अपीलें हो सकती हैं। एक पुनर्विचार याचिका होती है, जिसे दाखिल करने का फैसला बाबरी एक्शन कमेटी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कर लिया है। जैसे ही अदालत इसे स्वीकार करेगी, राम मंदिर के फैसले पर रोक लग जाएगी। इसके बाद एक और क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का प्रावधान है। इसलिए मंदिर बनना शुरू हो ही नहीं पाएगा। पुनर्विचार याचिका में यदि निर्णय बदल दिया गया तो क्या होगा।


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