शनिवार, 16 नवंबर 2019

प्रदूषण से ऐसे निपट रहे हैं दुनियाभर के देश, अपनाना होगा ये फॉर्मूला

भारत में प्रदूषण (pollution) का संकट बढ़ता ही जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) समेत पूरे उत्तर और उत्तर पूर्व भारत (North East India) का हाल बुरा है. गंगा के मैदानी इलाकों में बढ़ते प्रदूषण ने हवा को जहरीला बना दिया है. दिल्ली एनसीआर में ऑड ईवन (odd even) जैसे कुछ उपाय अपनाने के बाद भी प्रदूषण से राहत मिलती नहीं दिख रही है, हवा की क्वालिटी में सुधार होता नहीं दिख रहा है.

ऐसे में सवाल है कि फिर प्रदूषण से कैसे निपटा जाए? दुनिया के बाकी देश भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं, आखिर वो देश कौन से उपाय अपना रहे हैं? क्या दुनिया के उन देशों के फॉर्मूले पर चलकर हम प्रदूषण की समस्या से निपट सकते हैं? कभी बीजिंग को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता था. आज उसने अपने प्रदूषण को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया है. आखिर उसने कौन से उपाय अपनाकर पॉल्यूशन को कंट्रोल में किया?

प्रदूषण से निपटने में बीजिंग के फॉर्मूले पर हुई है स्टडी
बीजिंग ने प्रदूषण से निपटने में पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है. बीजिंग कभी प्रदूषण की भीषण समस्या से जूझ रहा था, लेकिन उसने इससे निपटने में काफी हद तक कामयाबी पाई. बीजिंग के हालात रातोंरात नहीं बदले. 1998 से लेकर 2017 तक बीजिंग ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए.



यूनाइटेड नेशंस ने बाकायदा इसकी स्टडी की है और इसकी रिपोर्ट दुनिया के सामने रखी है, ताकि प्रदूषण से जूझ रहे बाकी देश भी इस तरह के कदम उठाएं. रिपोर्ट में लिखा गया है कि बीजिंग की हवा में बदलाव कोई अचानक नहीं आया. ये लंबे वक्त के मेहनत, संसाधनों के इस्तेमाल और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की बदौलत हुआ. बीजिंग के एयर पॉल्यूशन से निपटने के तरीके को अपनाकर दुनिया के कई देश इसका लाभ उठा सकते है


 

बीजिंग में कैसे कम हुआ प्रदूषण


बीजिंग ने 1998 से लेकर 2013 तक प्रदूषण से निपटने के सख्त नियम अपनाए, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा 2013 से लेकर 2017 तक चले बीजिंग के क्लीन एयर एक्शन प्लान की वजह से हुआ. बीजिंग में इंधन के तौर पर कोयले के इस्तेमाल और ज्यादा गाड़ियां होने की वजह से प्रदूषण फैल रहा था. बीजिंग के प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा था. 2013 तक बीजिंग ने कुछ प्रमुख प्रदूषणकारी तत्वों जैसे कार्बन मोनोक्साइड और सल्फर डाइक्साइड के हवा में स्तर को नियंत्रित किया.



2013 में बीजिंग ने ज्यादा व्यवस्थित और गहराई से प्रदूषण रोकने के उपाय किए. इसकी वजह से 2017 के आखिर में बीजिंग में पीएम 2.5 का लेवल 35 फीसदी तक कम हुआ. पीएम 2.5 के लेवल को कम करने के लिए बीजिंग ने कोयले से जलने वाले बॉयलर को नियंत्रित किया. घर-घर तक साफ घरेलू इंधन पहुंचाने की व्यवस्था की. उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया.


लेबल: