पाकिस्तान का वो शहर, जहां बीफ नहीं खाते हैं मुस्लिम
पड़ोसी देश पाकिस्तान से अक्सर अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा और जबरिया धर्म परिवर्तन की खबरें आती रहती हैं. गोश्त वहां रोजमर्रा के खाने का हिस्सा है, वहीं पाकिस्तान का ही एक छोटा सा शहर इसका अपवाद है. मीठी नाम के इस कस्बे में बीफ नहीं खाई जाती. यहां के अल्पसंख्यक भी मुहर्रम के दौरान कोई शादी-उत्सव नहीं मनाते हैं. लाहौर से 879 किलोमीटर दूर थारपारकर जिले में बसे इस कस्बे में ऐसा क्या है, जो ये पूरे देश से इतना अलग सुनाई देता है?
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बसा मीठी शहर गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से सिर्फ साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर है. थार के रेगिस्तान में बसे इस कस्बे की आबादी हिंदू बहुल है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां की आबादी लगभग 87 हजार है, जिसमें 70 फीसदी से ज्यादा लोग हिंदू हैं. पाकिस्तान के बनने के बाद जब दोनों देशों में कत्लेआम मचा हुआ था, तब भी मीठी में हिंदू-मुसलमान मिलकर रहते थे. यहां हिंदुओं की भावनाओं के सम्मान के लिए मुस्लिम बीफ नहीं खाते हैं तो हिंदू भी मुस्लिमों के साथ-साथ ही उनके सारे त्योहार मनाते और दुख-दर्द में शामिल होते हैं. मीठी शहर में कई मंदिर भी हैं, जैसे यहां का श्रीकृष्ण मंदिर काफी ख्यात है.
वैसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को देखते हुए ये शहर पाकिस्तान में एक अपवाद ही है. Human Rights Commission of Pakistan के अनुसार यहां के हिंदुओं को पाकिस्तानी सरकार और नागरिक दोनों ही pro-India की तरह देखते हैं. यहां तक कि HRCP की हालिया एनुअल रिपोर्ट में कहा गया कि जिस तरह से अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं के साथ सख्त रवैया बरता जा रहा है, उसमें जल्द ही हिंदू आबादी यहां से बाहर चली जाएगी. हालांकि मीठी में इस बैर का कोई निशान नहीं मिलता.
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