महाराष्ट्र में राजनीतिक उजाला या काला धब्बा?
अपने अनूठे एवं विस्मयकारी फैसलों से सबको चैंकाने वाले नरेंद्र मोदी एवं भाजपा सरकार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने की असमंजस्य एवं घनघोर धुंधलकों के बीच रातोंराज जिस तरह का आश्चर्यकारी वातावरण निर्मित करके सुबह की भोर में उसका उजाला बिखेरा वह उनके राजनीतिक कौशल का अद्भुत उदाहरण है। जिस राजनीतिक परिवक्वता, साहस एवं दृढ़ता से उन्होंने न केवल बाजी को पलटा बल्कि एनसीपी के अजित पवार की मदद से सरकार बना ली है। सरकार गठन के लिए शिवसेना के नेतृत्व में एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन के लिए बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी थी लेकिन शनिवार सुबह बड़ा उलटफेर करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। यह खबर जंगल में आग की तरह फैली और उन तमाम राजनीतिक जानकारों की समझ को गलत साबित कर दिया, जो इस पक्ष को पूरी तरह से नजरअंदाज कर चुके थे। ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र की राजनीति में यह कोई पहली घटना है। यदि राज्य के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि मौका परस्ती वहां पहले भी होती रही है, तीनों राजनीतिक दलों की बैठकों में भी यह चल रहा था, और रातोरात बदले परिदृश्यों में भी यही हुआ, लेकिन यह घटना मोदी की अन्य घटनाओं की तरह लम्बे समय तक राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी रहेगी।
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