कहीं आप पर भी तो बेअसर नहीं हो रही एंटीबायोटिक दवा, ये हो सकती है प्रमुख वजह
कहीं आप पर भी तो एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर तो नहीं होने लगी हैं? बीमार होने पर ली जाने वाली जो दवाएं खाकर आप पहले ठीक हो जाते थे, अब उनसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा! अगर आपको लगता है कि दवा बदलने से कुछ फायदा होगा, तो ऐसा नहीं है। दरअसल आपकी थाली में परोसे जाने वाले खाने की वजह से आपके शरीर पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम होता जा रहा है। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में किसान खतरनाक मात्रा में एंटीबायोटिक्स का उपयोग कर रहे हैं, जो खेतों से होकर हमारी थाली तक पहुंच रहा है।
विश्व एंटीबायोटिक जागरुकता सप्ताह (18 से 24 नवंबर) के दौरान 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट' (CSE) ने यह अध्ययन किया है। सीएसई का कहना है, 'दिल्ली, हरियाणा के हिसार और पंजाब के फजिल्का में यमुना किनारे खेती करने वाले किसान स्ट्रेप्टोसाइक्लाइन नाम की दवा का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। यह दवा स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लाइन के 90:10 के अनुपात से बनी है।'
विश्व एंटीबायोटिक जागरुकता सप्ताह (18 से 24 नवंबर) के दौरान 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट' (CSE) ने यह अध्ययन किया है। सीएसई का कहना है, 'दिल्ली, हरियाणा के हिसार और पंजाब के फजिल्का में यमुना किनारे खेती करने वाले किसान स्ट्रेप्टोसाइक्लाइन नाम की दवा का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। यह दवा स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लाइन के 90:10 के अनुपात से बनी है।'
टीबी के इलाज के लिए होता है इस्तेमाल :
स्ट्रेप्टोमाइसिन दवा का इस्तेमाल टीबी के इलाज के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग टीबी के उन मरीजों पर किया जाता है, जिन पर अन्य दवाएं काम करना बंद हो जाती हैं। साथ ही दिमागी टीबी के मरीजों को भी यह दवा दी जाती है। अध्ययन के मुताबिक, 'स्ट्रेप्टोमाइसिन का प्रतिरोध काफी ज्यादा है और गैर—इंसानों पर ज्यादा प्रयोग समस्या खड़ी कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा को इंसानों के लिए काफी ज्यादा अहम बताया है।'
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