जन्म के बाद मां गुजर गईं, गाय से ममता पाकर गोसेवक बने पद्मश्री अवॉर्डी शब्बीर सैयद
महाराष्ट्र का बीड जिला, जहां जमीन से पानी की इतनी ज्यादा दूरी है कि दरारें साफ नजर आती हैं। सूखाग्रस्त इस जिले में फसलों को पानी की किल्लत ने खत्म कर दिया। बात आई जानवरों के लिए चारे की तो जब फसल ही नहीं बची तो उनके खाने का इंतजाम कहां से होगा। तौल भर पानी से जिंदगी काट रहे मवेशी हड्डियों के ढांचे में तब्दील हो चुके हैं। ऐसे में जब पता चलता है कि यह वही बीड जिला है जहां से पद्मश्री विजेता शब्बीर सैयद ताल्लुक (70) रखते हैं तो हैरान होना लाजमी है। यह सवाल उठना भी लाजमी है कि बदहाल से इस गांव में व्यवस्थाओं, प्रेरणा की लौ जला पाना कैसे संभव है लेकिन कहा जाता है न कि जहां चाह वहीं राह। शब्बीर सैयद इसी की मिसाल हैं।
शब्बीर सैयद के परिवार में उनकी पत्नी आफराबी, दो बेटे रमजान और यूसुफ और दो बेटियां है। दोनों बेटियों और बेटों की शब्बीर शादी कर चुके हैं। शब्बीर को 26 जनवरी 2019 को पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया था। पहले शब्बीर के पास तकरीबन 165 मवेशी थे, जो अब लगभग 130 बचे हैं। उनका परिवार इस सम्मान से बहुत खुश रहता है। शब्बीर के बेटे यूसुफ का कहना है कि हर चीज पैसा नहीं होती, सम्मान बहुत बड़ी चीज होता है। हमें लोग इज्जत की नजरों से देखते हैं, अच्छा लगता है।
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