गुरुवार, 14 नवंबर 2019

इनहेलेशन थेरेपी से कम से कम साइड इफेक्ट के साथ मरीजों का इलाज किया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में करीब 30 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और सर्दियों के मौसम में मरीजों में इसके लक्षण अधिक उभरते हैं। हर साल अस्थमा से एक करोड़ 38 लाख लोग दम तोड़ देते हैं। वैश्विक स्तर पर कुल बीमारियों में से फेफड़े से संबंधित और अस्थमा के पीड़िच करीब 1.7 फीसदी मरीज हैं।
 
अमेरिकन लंग एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर 71 लाख बच्चे इस समय फेफड़े के रोगों से प्रभावित हैं।

अस्थमा से अटैक के बचाव के कई इलाज हैं जिनमें फिश थेरेपी, दवाएं और योग शामिल हैं। इनमें इनहेलेशन थेरेपी से कम से कम साइड इफेक्ट के साथ मरीजों का इलाज किया जा सकता है।

चेस्ट रोग विशेषज्ञ हरीश भाटिया के अनुसार ठंड में अस्थमा और सांस से संबंधित रोगों में 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी होती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए इनहेलेशन थेरेपी सबसे प्रभावी है। इसके साइड इफेक्ट बहुत कम होते हैं और यह तेजी से अपना असर दिखाती है। एक शोध के अनुसार इनहेलेशन थेरेपी का काफी सकारात्मक असर होता है। वयस्कों, शिशुओं और बच्चों पर किये गये एक अध्ययन के अनुसार इनहेलेशन थेरेपी से रोग पर जल्द नियंत्रण पाया जा सकता है। इससे फेफड़े सामान्य तरीके से काम करने लगते हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ गौरव सेठी के अनुसार इनहेलेशन थेरेपी में बहुत कम मात्रा में दवाई की जरूरत होती है। बाल एवं नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ सीतांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इनहेलेशन थेरेपी में कार्टिकोस्टेरॉइड्स सीधे शरीर में पहुंचते हैं। 

अस्थमा को काबू में रखने के लिए सही मात्रा में कार्टिकोस्टेरॉइड्स देने की जरूरत होती है। इनहेलेशन थेरेपी अस्थमा के मरीजों के लिए सर्दी का मौसम बिना किसी परेशानी के बेहतर तरीके से बिताने का आसान उपाय है।


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