शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

अयोध्या पर आ चुका है SC का फैसला लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर सस्पेंस बरकरार

 सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राम जन्मभूमि पर फैसला तो सुना दिया लेकिन गेंद मोदी सरकार (Modi Government) के पाले में डाल दी है. केन्द्र सरकार के आला अधिकारी और मंत्री ट्रस्ट और राम मंदिर की रूप रेखा को लेकर माथापच्ची करने में लगे हैं. मंदिर के लिए हुई लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) की रथ यात्रा के दौर से ही रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) तो मंदिर का खाका तैयार करने के दौर से ही अपने इरादे साफ कर दिए हैं. इरादा है एक भव्य राम मंदिर बनाना और अयोध्याजी को वेटिकन और येरुशलम की तर्ज पर भगवान की दिव्य नगरी बनाना.

ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने ब्राजिल जाने से पहले ही पीएम मोदी ने इस बाबत दो बैठकें कर ली है. बैठकों में आला केन्द्रीय मंत्री और अधिकारी भी शामिल रहे. सूत्र बताते हैं कि इन बैठकों में बातचीत फिलहाल किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है लेकिन संकेत हैं कि जो भी चीज पूरी होकर सामने आएगी वो दुनिया भर को संदेश देने वाली होगी. पीएम मोदी के वापस लौटते ही इसे अंतिम रूप देने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा.

ट्रस्ट के स्वरूप को लेकर चर्चा जारी
अब बात ट्रस्ट की. ट्रस्ट का स्वरूप कैसा हो इस पर चर्चा जारी है और दावों की झड़ी लगी है. वीएचपी के महासचिव चंपत राय 1984 से अयोध्या में डेरा डाले बैठे रहे. अब जब रामलला की जीत हुई है तो कहते हैं कि सिर्फ जो राम भक्ति करते हैं वही इस ट्रस्ट के सदस्य बने यानी सिर्फ वर्शिपर को ही जगह मिले. पूछा गया कि क्या समिति में नामी गिरामी धर्म गुरुओं को शामिल करना चाहिए, तो चंपत राय ने कहा कि वो चाहते हैं कि कोई भी निर्गुण का उपासक ट्रस्ट का सदस्य नहीं बने.


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